तंत्र, आध्यात्म, योग, ध्यान आदि में सफलता पाने के लिए उन के साथ प्राकृतिक रूप से जुड़ना बहुत जरूरी है |
तंत्र, ध्यान या आध्यात्मिक योग हम अंदरूनी ताकत जगाने के लिए या उससे मिलने के लिए करते हैं यानि अंदरूनी रूप से करते हैं जबकि रोजमर्रा की जिन्दगी में लगभग हर कार्य शरीर के साथ और शरीर से बाहर करते हैं |
तंत्र, ध्यान, योग, आध्यात्म हो या फिर साधारण पूजा-पाठ हो इन सब से जुड़ने के लिए आपका ध्येय(goal/objective) क्या है आपको पूरी तरह से साफ़ होना जरूरी है |
तंत्र या आध्यात्मिक योग या ध्यान कुछ भी छोड़ने के लिए नहीं कहता है और न ही हम कह रहे हैं |
हमें अपनी जिन्दगी में कुछ बदलाव करने जरूरी हैं क्योंकि हमारी आज की जिन्दगी बनावटी हो गई है | हम प्राकृतिक रूप से न जी रहे हैं, न रह रहे हैं और न ही खा रहे हैं और यही कारण है कि हम हर रोज एक नई परेशानी, दुःख, तकलीफ और बिमारी का सामना करते हैं | यह सब दिनों-दिन इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि इनके इलाज या बचाव के नाम पर भी हमें बनावटी चीजें ही दी जा रही हैं |
दोस्तों, आप रोजमर्रा की ज़िन्दगी में जो कुछ भी कर रहे हैं उस में से कुछ भी छोड़िये या जोड़िये नहीं | यह आप तभी करें जब आपके अंदर से आवाज आये | हमारे कहने भर से बिलकुल मत करिए |
कुछ बातें जो आप चाहें तो अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में जोड़ सकते हैं या थोड़ा बदलाव के साथ कर सकते हैं | जिन्हें आप शुरू में अस्थाई रूप से करके देखिये | यदि आपको पसंद आयें या अच्छा लगे तो आगे बढ़ें |
ध्यान करने से पहले शरीरिक व्यायाम और योग अवश्य करें | स्वस्थ्य शरीर के साथ ही आप ध्यानावस्था में आसानी से सफलता प्राप्त कर सकते हैं | एक बात और ध्यान रखने वाली है कि ध्यान यानि मैडिटेशन का समय कभी भी हो सकता है |
योग या ध्यान पार्क में पेड़ के नीचे या किसी फूल के पौधे के पास या घर या कमरे के भीतर लगाये जाने वाले पौधे के पास बैठ कर करें |
आज के दौर में हम अपने असली रूप को पसंद नहीं करते | हम अपने शरीर से आ रही गंध को पसंद नहीं करते | इसमें कोई शक नहीं कि हमें रहना इसी समाज है और समाज को कोई भी असली चीज या बात या काम पसंद नहीं है | सब कुछ दिखावटी चाहिए | अतः समाज और आध्यात्म दोनों के बीच का रास्ता हम आपको बताते हैं | पसंद आये तो अपनाएँ |
अपने असली स्वरुप या रूप या शरीर से प्रेम करें | इसी प्रेम को आगे बढ़ाते हुए आप जब भी नहाते हैं तो साबुन का प्रयोग करते हैं | यह साबुन आपको आपके प्राकृतिक सौन्दर्य से दूर लेकर जा रहा है लेकिन विज्ञापन के इस दौर में हमें समझ नहीं आ रहा है |
आप यदि बाल्टी भर कर नहाते हैं तो उसमें तीन चुटकी नमक डालें और फिर नहायें | यदि शावर से नहाते हैं तो एक डिब्बे में तीन चुटकी नमक डाल शावर में नहाते हुए इसे सिर से शावर के पानी के साथ शरीर पर उड़ेले |
- शरीर को हल्के हाथ से मलें जैसे साबुन लगाते हुए मलते हैं | साबुन के कारण हम शरीर को मलना ही भूल गये हैं |
- साबुन का प्रयोग आप चेहरे, हाथ और प्राइवेट पार्ट पर कर सकते हैं |
आप चेहरे पर कोई क्रीम या अन्य का प्रयोग करना चाहें तो कर सकते हैं | हमारी राय में यदि अपने असली स्वरुप में ज्यादा से ज्यादा रहें तो अच्छा है |
यदि किसी भी प्रकार का perfume या deo या powder या इतर का प्रयोग करते हैं तो आप सीधे तौर पर शरीर पर प्रयोग न करें बाहरी कपड़े यानि ड्रेस पर करना चाहें तो कर सकते हैं |
यह सब हम आपको अपने असली स्वरुप में रहने के लिए कह रहे हैं | आप पायेंगे कि शारीरिक गंध पहले से कम हो गई है और आप पहले से ज्यादा तरोताजा महसूस करेंगे |
हफ्ते में कम से कम एक बार और ज्यादा से ज्यादा दो बार दिशा, समय और जगह अवश्य बदलें | हफ्ते में एक दिन का गैप या अवकाश अवश्य करें यानि उस दिन न करें |
यह Psychology के अनुसार भी ठीक है कि जब आप रोजाना, एक समय, एक दिशा और एक ही जगह पर कोई कार्य करते हैं तब आप एक मशीन की भांति करने लगते हैं | वह आत्मिक तौर पर नहीं होता है | इसीलिए उचित लाभ नहीं मिलता |
आपको यह सब एक दिशा, एक समय, एक जगह पर नहीं करने के इलावा रोजाना नहीं करना है |