श्वास विधि द्वारा ध्यान – 5
विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 55 (अंतिम भाग)
दोस्तों, जैसा हमने पिछले भाग में भी बताया था कि विज्ञान भैरव तंत्र के सूत्र – 55 की विधि करते हुए आपके मन में किसी भी तरह की बुराई या बुरी सोच या किसी के प्रति घृणा या गुस्सा नहीं होना चाहिए | आप जब शांत और अच्छा अनुभव कर रहे हों कृपया तभी यह विधि करें |
इस विधि द्वारा आप स्वयम अपनी इच्छा से स्वपन ले सकते हैं और किसी अधूरे सपने को पूरा भी कर सकते हैं | इस सूत्र में बताई गई विधि द्वारा आपका अपने स्वपन पर नियंत्रण यानि control हो सकता है | आप जो सपना लेना चाहें वह सपना ले सकते हैं और वह सपना असल में सच भी हो सकता है | इस विधि में माहिर होने पर आप भविष्य में होने वाली घटनाओं को भी जान सकते हैं | लेकिन आपको इतना माहिर होना होगा कि आप यह जान पायें कि कौन सी घटना आपका मन दिखा रहा है और कौन सी घटना असल में आप देख रहे हैं | क्योंकि इस विधि को करते हुए illusion यानि माया या भ्रम की स्थिति अवश्य आती है | आपको यदि किसी भी तरह का कोई डर या शक या शुभा है तो कृपया न करें या किसी विशेषज्ञ की निगरानी में करें |
आइये इस सूत्र में बताई गई विधि को जानते हैं :
इस सूत्र में बताई गई विधि का पहला भाग आप कभी भी कर सकते हैं | जब आप पहले भाग में प्रवीण यानि expert हो जाते हैं तभी दूसरा भाग करें | इस विधि में बताये तीन भाग एक साथ शुरू न करें | एक भाग में महारत कर दूसरे की ओर बढ़ें |
जब आपको दूसरे भाग में महारत हासिल हो जाती है यानि आपको साँस पर कण्ट्रोल हो जाता हैं तब इस सूत्र में बताई गई विधि का दूसरा भाग रात को सोने से पहले करें | जब तक आपको कण्ट्रोल नहीं आता है तब तक आप इस भाग को कभी भी कर सकते हैं |
इस सूत्र में बताई गई विधि का अंतिम भाग आप रात को सोने से पहले ही करें तथा वहाँ करें जहाँ आप यह क्रिया करते हुए लेट पायें या सो पायें लेकिन आप अंतिम भाग तभी करें जब आपकी साँस लम्बी, गहरी तथा आवाज के जब आपको साँस पर कण्ट्रोल आ जाता है | जब तक आपको कण्ट्रोल नहीं आता है तब तक आप इस भाग को कभी भी कर सकते हैं |
सूत्र-55 (पहला भाग) :- इस सूत्र में बताई गई विधि के पहले भाग में आपको कमर या पीठ सीधी कर सिद्धासन या सुखासन में बैठ दोनों भवों यानि eyebrow से कुछ ऊपर तिलक की जगह पर ध्यान लगाना है यानि दोनों आँखों की पुतलियों को ऊपर भवों के बीच में देखते हुए आँख बंद कर वहीं ध्यान टिके रहने देना है | जब आपका ध्यान टिक जाता है यानि आपकी आँखे हिलना-डुलना बंद कर देती है तब आपको अपनी साँस पर ध्यान देना है | इस विधि में आप अनाहत या हृदय या हार्ट चक्र या विशुद्ध चक्र यानि थ्रोट चक्र पर भी ध्यान लगा कर साँस पर ध्यान दे सकते हैं |
सूत्र-55 (दूसरा भाग) :- इस सूत्र में बताई गई विधि के दूसरे भाग में आपने साँस पर ध्यान देते हुए साँस को आवाज के साथ धीरे-धीरे लम्बा और गहरा करना है | जब आप साँस गहरा और लम्बा लेंगे तब साँस के आने और जाने पर आवाज स्वयमेव ही आने लगेगी | यदि साँस लेने और बाहर छोड़ने पर आवाज नहीं आ रही है तो इसका मतलब है साँस में अभी लम्बाई और गहराई नहीं आई हैं | साँस लम्बी और गहरी होते ही आवाज आने लगती है |
सूत्र-55 (अंतिम भाग) :- इस सूत्र में बताई गई विधि के अंतिम भाग में ध्वनि के साथ साँस, धीरे-धीरे लम्बा व् गहरा करते जाना है | जब आप कुछ समय तक ध्वनि के साथ लम्बी और गहरी साँस लेते हैं तब आप को नींद का आभास होने लगता है | ऐसा आभास होने पर कुछ देर और बैठने की कोशिश करिए | जब आप से बैठा न जाये या नींद के झटके से लगने लगें तब आप उसी स्थान पर लेट कर यह क्रिया करें | यहाँ ध्यान देने वाले बात यह है कि जब आप लेटें तब आपका ध्यान या साँस बाधित यानि disturb नहीं होना चाहिए | जब आप लेट कर यह क्रिया करने लगते हैं तब आपको स्वयमेव ही महसूस होगा कि आपका ध्यान और साँस का केंद्र अनाहत यानि हृदय या हार्ट चक्र हो गया है | यहाँ से आपकी आगे की यात्रा शुरू होती है |
यहाँ से आप स्वपन-लोक में प्रवेश करते हैं | आपको नींद महसूस होगी यानि आपको लगेगा कि आप सो गये हैं अर्थात आपका बाहरी दुनिया से सम्पर्क टूट जाएगा लेकिन इसके बावजूद आपको यह भी महसूस होगा कि आप जाग रहे हैं | यही वह अवस्था है जहाँ आप अवचेतन मन के क्षेत्र में हैं और वो भी चेतन अवस्था में |
इस अंतिम भाग का जितना ज्यादा अभ्यास करेंगे उतना ही आपको हर दिन एक नया अनुभव होगा | इस स्थिति में आपका चेतन और अवचेतन मन दोनों पर कण्ट्रोल हो जाएगा | आप अभ्यस्त होने पर जो भी स्वपन लेना चाहें ले सकते हैं और क्योंकि वह स्वपन आप चेतन मन की अवस्था में ले रहे हैं और अवचेतन मन उसका साक्षी है अतः वह स्वपन आपका साकार भी हो सकता है | बशर्ते कि आप उस स्वपन को पूरा करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से मेहनत भी कर रहे हैं | अभ्यस्त होने पर आप एक ही सपना बार-बार भी ले सकते हैं | अधूरा छूटा सपना आप दुबारा वही से शुरू कर सकते हैं जहाँ से वह सपना छूटा था | अधिक अभ्यस्त होने पर आपको भविष्य में होने वाली बातें या घटनाओं के बारे में जानकारी या अंदाजा भी लग जाएगा | यह सूत्र तो यहाँ तक कहता है कि अभ्यस्त होने पर आप अपनी मृत्यु या उसके बारे में जान सकते हैं |
दोस्तों, हम आपको यहाँ एक बार फिर आगाह कर रहे हैं कि आपने इस विधि का अभ्यास करते हुए किसी भी क्षण जोर नहीं लगाना है और न ही कोई जबरदस्ती करनी है | जितना धीरे-धीरे और अभ्यस्त होने पर आप आगे बढ़ेंगे उतना ही उसका प्रभाव हमेशा साथ रहने वाला है और जोर जबरदस्ती करने पर कुछ समय के लिए अवश्य लगेगा कि सफलता मिल रही है लेकिन असल में वह मन का वहम होगा | जोर जबरदस्ती करने पर दुष्परिणाम भी हो सकते हैं |
जबरदस्ती ज्यादा देर तक या दिन में कई बार करने से कोई लाभ नहीं होता है बल्कि उल्टा असर ज्यादा होता है | आप पाँच मिनट भी करते है तो बहुत है | यहाँ गुणवत्ता यानि quality की जरूरत है न कि समय या मात्रा यानि quantity की | आप यदि सच्चे मन से पाँच मिनट भी गहराई से करते हैं तो वह एक घंटा जबरदस्ती बैठने से लाख दर्जे अच्छा है |
Disclaimer/अस्वीकरण:
यह जान लें कि हम यहाँ जो कुछ भी बता रहे हैं वह निजी अनुभव और इस सूत्र में बताई गई विधि है जोकि आपके साथ साझा की जा रही है | जो जानकारी साझा की गई है वह ऐसा या वैसा ही होगा की कोई गारंटी नहीं देती है | यह केवल सामान्य जानकारी एवं सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और पेशेवर चिकित्सा या सलाह का विकल्प नहीं है | अगर आप यह क्रिया करते हैं तो वह आप पर निर्भर करता है | हम आपको किसी तरह से प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं और न ही इसकी जिम्मेदारी लेते हैं | यह क्रिया करते हुए आपको कोई शरीरिक या मानसिक परेशानी या बिमारी होती है तो इसके जिम्मेदार आप खुद होंगे तथा किसी तरह की चिकित्सा सम्बन्धी आपात स्थिति होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें |