विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 38
नाद का शाब्दिक अर्थ है – शब्द, ध्वनि और आवाज |
क्या आप इन से परिचित हैं ?
नहीं ! आप नहीं जानते ?
आइये इसे जानें और ध्यान करें
आज के समय में हम नाद के असल स्वरुप को नहीं जानते तभी तो हर पल परेशान रहते हैं ? शब्द, ध्वनि और आवाज ने हमारे जीवन में तांडव मचा रखा है फिर भी हम इसे छोड़ने को तैयार नहीं हैं ?
हम बचपन से ध्वनि या आवाज को शब्द और वाक्य में पिरोते आ रहे हैं क्योंकि हमें यही सिखाया जाता है | बच्चा पहला शब्द ‘म’ बोलता है और हम उसे ‘माँ’ और फिर ‘प’ को पापा में बदलने को प्रेरित करते हैं और बस यहीं से हमारे आस-पास शब्दों का जाल बनने लगता है | अभी आप जो पढ़ रहे हैं वह भी शब्द से बने वाक्य हैं | शब्द एक आवाज या ध्वनि है जिसे हम एक रूप दे बहुत छोटा बना देते हैं और फिर आगे का सारा जीवन इन्हीं के आस-पास चक्कर काटता रहता है |
वाक्य, शब्दों का जाल है | हम किसी की बात सुन बुरा या अच्छा मान जाते हैं | वह गाली दे रहा है या दुआ दे रहा है हम शब्दों से ही तो अंदाजा लगाते हैं | बचपन से हम शब्द और वाक्य को मन में पिरोते आ रहे हैं | हमें कहने वाले की feeling से कोई मतलब नहीं है | हमारे सामने है तो भी नहीं देखते और यहाँ तक कि फ़ोन पर भी उसने जो बोला उसी से अंदाजा लगा फैसला सुना देते हैं | नवजात शिशु तब तक खुश और मस्त रहता है जब तक वह इन शब्दों के चक्कर में नहीं फँसता है | आप किसी ऐसे देश में जाते हैं या किसी ऐसे इंसान से मिलते हैं जो आपकी भाषा नहीं जानता है तब आप उसके हाव-भाव से उसकी feeling का अंदाजा लगा लेते हैं | आप पालतू जानवर या पेड़-पौधे की feeling तक को समझ जाते हैं क्योंकि आप में यह खासियत है लेकिन शब्द के जाल में पड़ कर हम सब-कुछ भूल चुके हैं | आज हम हर शब्द, वाक्य और बात का अंदाजा लगाने बैठ जाते हैं | आज के समय में लड़ाई-झगड़े, मन-मुटाव या धोखा, शब्दों के जाल में फँसने के कारण ही हो रहे हैं | मनोविज्ञान कहता है कि व्यक्ति विशेष के हाव-भाव यह बता देते हैं कि वे वह सच बोल रहा है या झूठ बोल रहा है लेकिन हम उसके शब्दों पर ही ध्यान देते हैं उसके हाव-भाव पर नहीं | इसी कारण हम धोखे का शिकार होते हैं |
यह सूत्र हमें इसी जाल से बाहर निकलने को कह रहा है |
यह सूत्र हमें ध्वनि यानि आवाज में खोने को कह रहा है | आपके कान जो सुनते हैं उस पर ध्यान दो, उसका मतलब निकालने मत बैठो | जितना मतलब निकालने में जुटोगे उतना ही उस ध्वनि या आवाज से दूर होते चले जाओगे | यह सूत्र कहता है कि जितना कहने वाले से दूर होते जाओगे उतना ही तुम असलियत और अपने से भी दूर होते जाओगे |
इस सूत्र में बताई गई विधि के अनुसार अनहद नाद यानि अनाहतनाद के एक रूप में खो कर ध्यानावस्था प्राप्त की जा सकती है | अनाहतनाद का दूसरा रूप अगले सूत्र में बताया गया है |
अनाहत नाद का अर्थ है कि ब्रह्माण्ड में गूंज रही ध्वनि को सुनते हुए ध्यान करना है | इस क्रिया द्वारा बहुत आसानी से ध्यानावस्था प्राप्त की जा सकती है |
इस सूत्र के अनुसार हमारे ब्रह्माण्ड में अनेक तरह की ध्वनियाँ गूंज रही है लेकिन हम इन कानो से सुन नहीं पाते हैं क्योंकि हमें बचपन से वही आवाजे सुनने की आदत हो गई है जिनका कोई अर्थ होता है | इस सूत्र के अनुसार आँख व् कान बंद कर वह ध्वनि सुनने की कोशिश करते हुए ध्यान उन ध्वनियों पर लगाना है | आध्यात्म के अनुसार एक ब्रह्माण्ड हमारे शरीर के अंदर भी बसता है | यदि आप शुरू-शुरू में उस पर ध्यान केन्द्रित करेंगे तो कुछ समय बाद आप ब्रह्माण्ड की आवाज भी सुन पायेंगे |
यह सूत्र उन सब के लिए है जो साँस या तीसरी आँख पर ध्यान नहीं केन्द्रित कर पाते हैं या जिन में एकाग्रता की कमी है |
इस सूत्र में बताई गई विधि के अनुसार आपको जब भी समय मिलता है तब आप पद्मासन या वज्रासन या सुखासन में आँख बंद कर कुछ देर बैठे और फिर अपने अंगूठे से हल्का जोर देते हुए अपने दोनों कान बंद कर शरीर के अंदर की आवाज पर ध्यान केन्द्रित करें | पहले कुछ दिन हो सकता है कि आपको कुछ भी सुनाई न दे लेकिन यह शून्य भी एक आवाज है | अतः आप हिम्मत न खोएं | कुछ दिन के बाद आपको अवश्य ही शरीर के अंदर की आवाज सुनाई देने लगेंगी |
दोस्तों, आपने बचपन से अपने शरीर के बाहर का शोर ही सुना है | आपने कभी अपने अंदर की आवाज और शोर सुना ही नहीं है | यह सूत्र हमें उस ओर बढ़ने को प्रेरित कर रहा है जिस ओर हमारा कभी ध्यान ही नहीं गया है | अंदर की आवाज सुनते-सुनते हम अपनी आत्मा की आवाज और इस ब्रह्माण्ड में फैली आवाज को भी सुन पायेंगे | जोकि सबसे ज्यादा जरूरी हैं | आत्मा की आवाज परमात्मा की आवाज है जिसे हम पूरी जिन्दगी नजरअंदाज कर बाहर से परमात्मा की आवाज सुनने की कोशिश में लगे हैं जो कभी सुनाई नहीं देगी |
ऐसा प्रयास करते हुए कुछ दिन बाद आपको शरीर के अंदर की आवाज के ईलावा भी कुछ ऐसी आवाजें सुनाई देंगी जोकि इस धरती या सौरमंडल की नहीं हैं | जिस दिन से आपको ऐसी आवाजें सुनाई देने लगेंगी उसी दिन से आपकी ध्यानावस्था भी गहराई लेने लगेगी |
इस विधि द्वारा आप पहले दिन से ही एकाग्रता और ध्यान की ओर बड़ी आसानी से बढ़ सकते हैं |
यदि आप उपरोक्त तरीके से भी ध्यान नहीं कर पाते हैं तो इस सूत्र में एक और विधि भी बताई गई है | उस विधि के अनुसार आप किसी पहाड़ी या ऐसी जगह पर जाएँ, जहाँ प्राकृतिक झरना या तेज बहाव से बहती नदी हो | आपको ऐसी जगह जा कर झरने या नदी से आती आवाज पर ध्यान लगाना है | यह आपको शहर के शोर से दूर प्रकृति के नजदीक ले आएगा |
आप यदि ऐसी जगह पर भी नहीं जा सकते हैं तो आप झरने या नदी की आवाज की recording जोकि NET पर बहुत आसानी से मिल जायेगी उसे earphone द्वारा सुनते हुए ध्यान लगायें | अवश्य ही आपको सफलता मिलेगी |
धन्यवाद |