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तीसरी आँख सक्रिय करें – 1

ध्यान विधि द्वारा तीसरी आँख खोलना

 

 

विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 31

दोस्तों, हमारे माथे के बीचोबीच यानि दोनों भवों या भृकुटियों या eyebrow के बीच लगभग डेढ़ से दो अंगुल ऊपर तीसरी आँख होती है जोकि आज्ञा या अजना चक्र के इलावा शिव या दुर्गा की तीसरी आँख के नाम से प्रसिद्द है |

दोस्तों, लगभग इसी स्थान पर दिमाग के बिलकुल मध्य में आज का चिकित्सा विज्ञान pineal gland बताता है तथा उसी की सीध में दूसरी तरफ pituitary gland | चिकित्सा विज्ञान के अनुसार यह दोनों gland का काम हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है | मस्तिष्क के मध्य में स्थित पीनियल ग्रंथि होती है जो मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्राव करती है | यह हार्मोन जागने-नींद के चक्र को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है | इस ग्रंथि को कुछ मनोवैज्ञानिक भी मनुष्य की तीसरी आँख कहते हैं | इसी प्रकार पिट्यूटरी ग्रंथि ऐसे हार्मोन का स्त्राव करती है जिसका सीधा असर हमारे स्वाभाव पर पड़ता है | इसके इलावा यह अन्य तरह के हार्मोन का भी स्त्राव करती है जोकि सेक्स होरमोन के नाम से जाने जाते हैं | इसके कई अन्य महत्वपूर्ण काम भी हैं जिसके कारण चिकित्सा विज्ञान में इस ग्रंथि मास्टर ग्रंथि के नाम से जाना जाता है |

हर मनुष्य के शरीर में यह तीसरी आँख होती है जोकि पैदायश से सक्रिय नहीं होती है लेकिन यह आँख अंधी भी नहीं होती | विज्ञान के अनुसार ऐसे बहुत से पशु-पक्षी या जीव हैं जो pineal gland की वजह से बिना देखे भी सटीक अंदाजा लगा लेते हैं |

इस में कोई शक नहीं कि तीसरी आँख को सक्रिय करने में अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए | यह सावधानी आपको रोजमर्रा की जिन्दगी से जुड़े बहुत से कामों में भी बरतनी पड़ती है | वहाँ तो आपको डर नहीं लगता तो फिर इस काम में डरने की क्या बात है |

शरीरिक योग करते हुए भी सावधानी बरतनी पड़ती है | शरीरिक योग में भी कहा जाता है कि किसी भी योग को एक सीमा से ज्यादा न करें और एक दिन में ज्यादा बार या ज्यादा समय न करें तथा किसी भी अंग पर जरूरत से ज्यादा जोर न डालें | शरीरिक योग यह भी कहता है कि जिस योग के लिए जो सावधानियाँ बरतने को कहा जाता है वह नियम से लागू करें | किसी भी तरह की कोई परेशानी का अनुभव होने पर योग के जानकार या परामर्शदाता या डॉक्टर से सम्पर्क करें | कुल मिला कर आप कह सकते हैं कि अति किसी भी चीज की हो या कैसी भी हो हमेशा बुरा फल ही देती है | अतः ऐसा ही कुछ तीसरी आँख पर भी लागू होता है |

दोस्तों, नदी में कूदोगे नहीं तो तैराक कैसे बनोगे | तैराक बनने के लिए यह आवश्यक है कि उस नदी को चुनो जिसका बहाव तेज न हो | वह जगह चुनो जहाँ पानी गहरा न हो | ज्यादा जल्दी न करें तथा ज्यादा जोर न दे | धीरे-धीरे समय बढायें आदि | इसी तरह की सावधानी यदि आप यह क्रिया करते हुए भी अपनाते हैं तो अवश्य ही निपूर्ण हो जायेंगे |

दोस्तों, एक बात आध्यात्म और तंत्र को अपनाते हुए हमेशा याद रखिये कि किसी ख़ास या विशेष प्राप्ति की इच्छा से इसे न करें | आपकी इच्छा है इसलिए करना चाहते हैं तथा आपने यह बात जान ली और मान ली है कि ध्यान या तंत्र से जो भी मिलेगा वह स्वीकार है लेकिन अभ्यास नहीं छोड़ूगा और न ही अधिक जोर दूंगा | कुल मिलकर यह कहना है कि जो भी सहज भाव से करते हुए प्राप्त होता है उसे सहजता से स्वीकार करें |

निस्संदेह, मेडिटेशन के जरिए आप तीसरी आँख को सक्रिय कर अपनी पीनियल ग्रंथि को अत्याथिक सक्रिय कर सकते हैं या जब तक चाहें इसे सक्रिय रख सकते हैं | पीनियल ग्रंथि वातावरण में प्रकाश और अंधेरे के जैव-विद्युत संकेतों के प्रति संवेदनशील होती है | ध्यान इस बायोइलेक्ट्रिक ऊर्जा को सक्रिय कर सकता है और अभ्यास के साथ, आप इस ऊर्जा को पीनियल ग्रंथि की ओर या पिट्यूटरी ग्रंथि या दोनों की ओर निर्देशित कर असम्भव दिखने वाले काम भी कर सकते हैं | यहाँ एक ही बात ध्यान रखने की है कि मैडिटेशन के दौरान आपका मन स्थिर होना चाहिए ताकि आपके शरीर में बिखरी हुई ऊर्जा एक दिशा की मुड़ सके | इसके सक्रिय होने से आपका मस्तिष्क अधिक ऊर्जावान हो जाएगा | आप अपने और अन्य के बारे में जान पायेंगे वह भी बिना कुछ बोले और यहाँ तक कि बिना देखे | आप बहुत कुछ भविष्य में घटित होने वाला भी जान सकते हैं इत्यादि |

Disclaimer/अस्वीकरण:

यह जान लें कि हम यहाँ जो कुछ भी बता रहे हैं वह निजी अनुभव और इस सूत्र में बताई गई विधि की जानकारी है जोकि आपके साथ साझा की जा रही है | जो जानकारी साझा की गई है वह ऐसा या वैसा ही होगा की कोई गारंटी नहीं देती है | यह केवल सामान्य सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है | अगर आप यह क्रिया करते हैं तो वह आप पर निर्भर करता है | हम आपको किसी तरह से प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं और न ही इसकी जिम्मेदारी लेते हैं | यह क्रिया करते हुए आपको कोई शरीरिक या मानसिक परेशानी या बिमारी होती है तो इसके जिम्मेदार आप खुद होंगे तथा किसी तरह की चिकित्सा सम्बन्धी आपात स्थिति होने पर तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लें |

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