निद्रा ध्यान विधि और मनोविज्ञान
विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 75 & 86
नींद हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है | हम अपने जीवन का लगभग एक तिहाई भाग सो कर गुजारते हैं | क्या आप जानते हैं कि आपके सोने पर भी आपका शरीर नहीं सोता है | उस समय हमारा शरीर स्वयं अपने आपको व्यवस्थित भी करता है और जो भी कमी या कमजोरी है उसे ठीक भी करता है | इसीलिए डॉक्टर्स कहते हैं कि एक स्वास्थ्य इंसान के लिए पूरी नींद लेना बहुत जरूरी है | लेकिन इसके बावजूद हम इस पर कोई ध्यान नहीं देते और जब भी रोजमर्रा की जिन्दगी में कोई ख़ास काम या परेशानी आती है तो हम हमेशा नींद के समय में कटौती करते हैं | जब ऐसा कुछ दिन लगातार होता है तब हमें कमजोरी या कोई बिमारी बेवजह आ घेरती है |
आइये निद्रा यानि नींद यानि sleep का तरीका यानि pattern को पहले विज्ञान के नजरिये से समझते हैं और फिर इस सूत्र में क्या कहा जा रहा है वह आसानी से समझ आ जायेगा |
दोस्तों, नींद आने पर या सोने पर हमारा चेतन मन भी सो जाता है लेकिन इसके बावजूद भी मस्तिष्क सक्रिय रहता है | मनोविज्ञानिकों ने शोध में पाया कि नींद के कई चरण होते हैं | हर चरण लगभग 90 मिनट तक चलता है | नींद के मुख्य दो चरण होते हैं : रैपिड आई मूवमेंट (REM) चरण, जिस में कि हम आँख बंद होने के बावजूद तेजी से आँख यानि पुतली घुमाते हैं | REM नींद, हमारी कुल नींद के समय का लगभग 25% होता है | REM नींद के दौरान, बाहरी घटनाओं के प्रति जागरूकता नाटकीय रूप से कम हो जाती है | नींद के इस चरण के दौरान हमारी मांसपेशियां बंद हो जाती हैं और यह एक अच्छी बात है क्योंकि यह हमें खुद को चोट पहुंचाने या उन दृश्यों को अभिनय करने की कोशिश करने से बचाती है जो हमारे सपनों में हो रहा होता है | दूसरी प्रमुख नींद का प्रकार यानि चरण को नॉन-रैपिड आई मूवमेंट (Non-REM) कहते हैं | इस चरण में हम गहरी नींद में होते हैं | Non-REM के तीन चरण होते हैं जिसे : N1, N2 और N3 कहा जाता है |
जब हम सोना शुरू करते हैं या सोने के लिए लेटते हैं या सोने की कोशिश शुरू करते हैं तो उस चरण को NREM -N1 कहते हैं | इस चरण में हमारा शरीर भारी हो जाता है, उनींदापन (dizziness) या ऊंघाई या ऊंघ या झपकी का अनुभव होता है | चरण N1 की नींद के दौरान, मांसपेशियों की ताकत कुछ हद तक कम हो जाती है और आस-पास के वातावरण के बारे में जागरूकता लगभग खत्म हो जाती है | कुछ लोगों को नींद के इस प्रारंभिक चरण के दौरान अचानक झटके या मरोड़ और यहां तक कि स्पष्ट मतिभ्रम (hallucination) का अनुभव होता है | यह चरण 5 से 15 मिन्ट तक का हो सकता है | यह नींद आने से पहले का चरण है जहाँ हमारा शरीर सोने के लिए तैयारी शुरू करता है |
चरण NREM – N2 के दौरान, मांसपेशियों की गतिविधि और कम हो जाती है और आस-पास के वातावरण के प्रति जागरूकता खो जाती है | यह अवस्था आमतौर पर सामान्य वयस्कों में सोने के कुल समय का लगभग आधा हिस्सा होती है | इस चरण में नींद आनी शुरू हो जाती है | आप नींद की गहराई की ओर बढ़ने लगते हैं और यह चरण 10 से 25 मिन्ट रहता है |
चरण NREM – N3 नींद का सबसे गहरा स्तर है | यह वह चरण है जिसमें अधिकांश नींद संबंधी असामान्यताएं, जैसे नींद में चलना, नींद में बात करना, बुरे सपने आना और बिस्तर गीला करना आदि इसी चरण में हो सकता है | गहरी नींद में भी हम बाहरी दुनिया के बारे में सजग रहते हैं | यदि कमरे में धुंआ प्रवेश करता है या बच्चे के रोने की आवाज सुनते हैं तो हम प्रतिक्रिया करने की संभावना रखते हैं, भले ही हम गहरी नींद में सो रहे हों | ये बातें बताती हैं कि हमारा शरीर गहरी नींद में होने के बावजूद बाहरी घटनाओं के प्रति सजग रहता है |
NREM की तीन चरण के बाद एक बार फिर से हमारा मस्तिष्क सक्रिय होना शुरू हो जाता है, और हम आम तौर पर सोने के लगभग 90 मिनट बाद REM नींद की पहली अवधि में चले जाते हैं | NREM में हम बिलकुल शांत हो जाते हैं | इसमें शरीर में किसी प्रकार की कोई गतिविधि नहीं होती | चेहरे पर शांत भाव रहता है | साँस और हृदय गति सामान्य से थोड़ी कम ही रहती है जबकि इसके बिलकुल विपरीत REM नींद होती है | इसमें हृदय गति में वृद्धि, चेहरे का फड़कना और बार-बार आंखों की तेज गति होना ही इसका नाम भी है | जो लोग REM नींद के दौरान जागते हैं वे उठते हुए यही कहते हैं कि वे सपना देख रहे थे, जबकि नींद के अन्य चरणों में जागने वाले लोग बहुत कम बार सपने देखते हैं। REM नींद भावनात्मक नींद है इस में ही शरीरिक और मानसिक उत्तेजना होती है और आप करवट लेते हैं या आपके शरीर में हलचल होती है |REM नींद में Sleep Paralysis जैसी समस्या भी उत्पन्न होती है | यह लगभग सभी के साथ महीने या साल में एक-दो बार हो सकता है लेकिन इस बिमारी से पीड़ित व्यक्ति को हफ्ते में एक दो बार या रोज भी हो सकता है |
NREM में हमारा शरीर बिलकुल स्थिर हो जाता है और लगभग बाहर की दुनिया से सम्पर्क टूट जाता है | हमारे शरीर के लगभग हर मासपेशी या अंग में हल चल न के बराबर होती है क्योंकि हम गहरी नींद में होते हैं | Sleep-Paralysis बिमारी से पीड़ित व्यक्ति NREM से REM में तो आ जाता है जहाँ उसे बाहरी वातावरण का ज्ञान होने लगता है यानि दिमाग एक बार फिर से एक्टिव हो जाता है लेकिन शरीर नहीं हो पाता है | वह इस अवस्था में आधा जागा और आधा सोया हुआ होता है | वह चाह कर भी अपने अंग हिला नहीं पाता है | इसी अवस्था में उसे भूत-प्रेत या आत्मायें दिखती हैं या उनकी आवाज सुनाई पड़ती है | यह सब केवल और केवल मतिभ्रम होता है जोकि उसके अपने दिमाग या सोच की उपज होता है | यह सब डर या मानसिक कमजोरी या किसी दर्दनाक हादसे या घटना या भूत-प्रेत की कहानियाँ पढ़ने या नशा करने के कारण हो सकता है | इस के बारे में वैज्ञानिक पूरी तरह से नहीं जान पाए हैं कि ऐसा क्यों होता है |
आइये अनिद्रा के कारण जानते हैं : अनिद्रा, शारीरिक विकार जैसे चोट या बीमारी के कारण दर्द या मनोवैज्ञानिक समस्या जैसे तनाव, वित्तीय चिंता या रिश्ते की कठिनाइयों के कारण हो सकती है | नींद के पैटर्न में बदलाव, काम की शिफ्ट में बदलाव या दूसरे देश से आने पर ख़ास कर जहाँ पर समय का फर्क सात घंटे या उससे ज्यादा का होना अनिद्रा पैदा कर सकता है | कभी-कभी अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति को जब नींद आती है वह ज्यादात्तर परेशान करने वाली होती है और अच्छी नींद की कमी दिन के कारण रोजमर्रा की जिन्दगी में बाधा उत्पन्न होती है | ऐसा व्यक्ति सोने के बावजूद आराम महसूस नहीं करता है | विडंबना यह है कि अनिद्रा को लेकर चिंता से समस्या और भी बढ़ सकती है | सोने में असमर्थ होने का डर उन्हें जगाए रखता है |
इन सब मुश्किलों को सदियों पहले भाँप लिया गया था, इसीलिए यह सूत्र बनाया गया |
अगले भाग में मनोविज्ञान और तंत्र को मिला कर हल जानेंगे |