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सफलता का मन्त्र

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ज़िन्दगी में हर कोई सफल होना चाहता है | हर कोई सब कुछ पाना चाहता है | इस में कोई शक नहीं कि ज़िन्दगी में हर व्यक्ति सफल हो सकता है | वह, वह सब पा सकता है जो वह चाहता है लेकिन असल ज़िन्दगी में ऐसा होता नहीं है | क्योंकि ऐसा चाहने वालों को सही दिशा-निर्देश देने वालों का अभाव है | जो लोग उपलब्ध हैं वह ऐसा प्रशिक्षण दे रहे हैं जिस से सफलता उन्ही के हाथ लगती है जो अगर वह प्रशिक्षण न भी लेते तब भी सफल हो जाते | बाकि प्रशिक्षण लेने वाले अपना समय और पैसा खराब कर सब कुछ किस्मत पर छोड़ किसी कोने में खो जाते हैं |

सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्तित्व विकास यानि personality development या प्रेरक व्याख्यान यानि motivational Lectures या सफलता कैसे हासिल करें इस पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है |

यदि दीवार में रिसाव है और ऐसे में हम ऊपर से कितना भी अच्छा पलस्तर कर दें लेकिन एक न एक दिन वह रिसाव फिर उभर आएगा | उस समय वह रिसाव बहुत घातक सिद्ध होगा क्योंकि तब आप ऐसे माहौल में रहने या ऐसी परिस्थिति का सामना करने में असमर्थ होंगे | ऐसा ही कुछ व्यक्तित्व विकास के प्रशिक्षण में भी हो रहा है | असफलता व्यक्ति के अंदर कई तरह के डर पैदा कर देती है | जितनी ज्यादा या देर तक असफलता रहती है उतना ही वह व्यक्ति विशेष अंदरूनी रूप से टूटने लगता है | यहाँ सबसे पहले उस टूटन का इलाज होना चाहिए | उसकी टूटन का इलाज उसकी असफलता का विश्लेष्ण कर ही हो सकता है | लेकिन असल जिन्दगी में ऐसा नहीं हो रहा है | असफलता का विश्लेष्ण करने की बजाय प्रेरक भाषण दिए जा रहे हैं | ऐसे भाषण देने वाले यह सोचते या मानते हैं कि प्रेरणा से सब कुछ सम्भव है | ऐसा ही कुछ सफलता कैसे हासिल करें के सन्दर्भ में भी हो रहा है | लेकिन पैसा कमाने वालों को इससे क्या लेना | उनकी दूकान खूब चल रही है | सफलता पाने वाले सौ में से पन्द्रह या बीस या तीस हों उन्हें इससे क्या मतलब ? प्रशिक्षण देने वाले तो यह मान कर ही चलते हैं कि हर कोई सफलता नहीं पा सकता और उनके अनुसार तीस प्रतिशत लोगों का सफल होना बहुत अच्छा परिणाम यानि result है | जबकि वह यह नहीं जानते कि उस तीस प्रतिशत में बीस प्रतिशत वह लोग हैं जो यदि प्रशिक्षण न भी लेते तो भी सफल हो जाते |

दोस्तों, जिन्दगी में हर कोई सफल हो सकता है | क्षमता और प्रतिभा हर किसी में होती है लेकिन ज्यादात्तर लोग सही प्रशिक्षण के अभाव में या गलत धारणा या गलत प्रचलन के कारण आम जिन्दगी जीने को मजबूर हो जाते हैं |

अच्छी किताब, प्रेरक कथा-कहानी व व्याख्यान, पूजा-पाठ, संत-समागम, धार्मिक आस्था इत्यादि पर जोर दिया जाता है | ताकि आपके अंदर आस्था और विश्वास जागे और आप सद्कर्म करते हुए सत्मार्ग पर चलें |

यह कहना और ऐसी सोच रखना अच्छी बात है लेकिन यह आज के सन्दर्भ में कारगर नहीं है | आज हर किसी को सफलता चाहिए और वह भी कम से कम समय में और ऐसे युग में जहाँ प्रतिस्पर्धा अपने चर्म पर है |

बचपन में हमें हर छोटी से छोटी बात बताई-सिखाई-समझाई गई और उसी के सहारे आज चल-फिर, लिख-पढ़ और बोल-सुन पा रहे हैं | उस समय हमारे माँ-बाप और अध्यापक यह जानते थे कि हमें यह बात समझाने की कोई जरूरत नही है कि यदि तुमने यह नहीं सीखा या समझा तो जिन्दगी भर पछताना पड़ेगा | बचपन में हमारे पास भी सीखने-समझने के इलावा और कोई चारा नहीं था | लेकिन अब हम बड़े हो गये हैं | हमारी सोच-समझ शक्ति पूर्ण रूप से mature हो चुकी है | बहुत सी बातें या सोच हमारे दिलोदिमाग में घर चुकी हैं | बहुत से पूर्वाग्रह हमारी सोच पर हावी हो चुके हैं जिसके कारण हम समझते हुए भी समझना नहीं चाहते | क्योंकि समझते ही हमें अपने पूर्वाग्रह या सोच को बदलना पड़ेगा  जोकि हम चाह कर भी नहीं चाहते हैं | इसके बावजूद भी यहाँ हर कोई एक-दूसरे को समझा रहा है और देखने से लगता है हर कोई समझ रहा है लेकिन उन समझाई गई बातों पर चल कोई नहीं रहा है |

क्योंकि आप यह समझ ही नहीं रहे हैं कि किसी के समझाने से कुछ नहीं होने वाला | आप तभी समझ सकते हैं जब आपकी समझने की इच्छा होगी | आपके समझने पर वह बात आपकी हो जाती है और जरूरी नहीं कि वह वही बात हो जो आपको समझाई गई हो | यह वैसे ही है जैसे आपको मीठे पानी के कुएं से बहुत मुश्किल से पानी खींच कर मीठा और ठंडे पानी से भरा लोटा हाथ में थमा दिया जाए तो भी आप पीना चाहेंगे तो पियेंगे वर्ना हाथ धो कर बाकि पानी बहा देंगे |

जिन्दगी या ईश्वर इंसान को कुछ बनने का केवल एक या दो अवसर ही देते हैं | यदि इंसान ने वह अवसर खो दिया तो फिर जिन्दगी, संघर्ष में ही बितानी पड़ती है | आपको ऐसा कहते बहुत से लोग मिल जायेंगे | वह ऐसा इसलिए नहीं कहते क्योंकि वह यह जानते हैं बल्कि इसलिए कहते हैं क्योंकि वह यह मानते हैं | यह किस ने और क्यों फैलाया मालूम नहीं लेकिन जो कुछ कहा गया है वह बिलकुल गलत है | कम से कम आज के सन्दर्भ में तो बिलकुल ही गलत है | हमें कोई अवसर नहीं देता बल्कि हमें अवसर बनाना पड़ता है और वह भी अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत से | अतः इस कहावत को बिलकुल भी दिल में न बिठाएं | अपनी इच्छाशक्ति पर भरोसा रखते हुए जुटे रहें | आपको हर हालत में सफलता मिलेगी | और मान भी लिया जाए कि आपको सफलता नहीं मिली तो भी इच्छा शक्ति के बल पर की गई मेहनत का फल तो अवश्य मिलेगा |

इच्छा शक्ति सफलता की कुंजी है |

इच्छाशक्ति यानि willpower और धैर्य यानि patience कैसे जागृत करें, एकाग्रता यानि concentration कैसे प्राप्त करें और असफलता के मुख्य कारण क्या होते हैं इस पर असल में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए | शुरू में ऐसा प्रशिक्षण व्यक्ति विशेष पर आधारित होना आवश्यक है क्योंकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाला अपनी प्रतिभा और क्षमता को पहचान ही जाता तो वह स्वयमेव ही सफलता की सीड़ी चढ़ जाता, उसे किसी प्रशिक्षण की आवश्यकता ही क्यों पड़ती |

इस संसार में आने के पल से ही इच्छा शक्ति भी हमारे साथ जन्म लेती है | जैसे भूख लगने पर हम रोते हैं | उस समय हमारी इच्छा शक्ति बलवती होती है कि किसी तरह हमारी भूख शांत हो | हमारे हाथ जो कुछ भी आता है हम उसे मुँह में डाल कर भूख शांत करना चाहते हैं | यही इच्छा शक्ति बड़े होने पर अलग रूप धारण कर लेती है | यहाँ हमारे कहना का तात्पर्य केवल यह है कि इच्छा शक्ति चूँकि हमें जन्म से मिलती है अतः जिन्दा रहते खत्म होने का सवाल ही पैदा नहीं होता | हाँ, यह कम या ज्यादा, वक्त, सोच-समझ और कर्म के अनुसार होती रहती है |  

अतः यह गाँठ बाँध लें कि इच्छा शक्ति सब में होती है | कुछ कर गुजरने का मन सब का करता है लेकिन सफल कुछ ही हो पाते हैं | कारण केवल एक है कि असफल लोग उसे सही दिशा नहीं दे पाते या उन्हें सही प्रशिक्षण नहीं मिलता | आप प्रेरणा दे सकते हैं लेकिन सीखने-समझने की इच्छा शक्ति होगी तभी तो वह समझ पायेगा | जब समझेगा तो उसे आत्मसात यानि मन में ठान कर उस पर कार्य में जुट जाएगा और ऐसा होते ही सफलता मिलनी अपने आप निश्चित हो जाती है |

इच्छा शक्ति से धैर्य और धैर्य से एकाग्रता और एकाग्रता यानि concentration आ जाने पर सफलता स्वयमेव प्राप्त हो जाती है | लेकिन यह आज के सन्दर्भ में लागू नहीं होता | क्योंकि तीव्र इच्छा शक्ति होने पर हम ज्यादात्तर धैर्य खो देते हैं या एकाग्रता से काम नहीं कर पाते हैं |

अतः आज के सन्दर्भ में हमें पहले एकाग्रता पर इच्छा शक्ति को जागृत करना होगा | एकाग्रता से धैर्य और फिर सफलता अपने आप आ जाती है | लेकिन इच्छा शक्ति ही कम हो या न के बराबर हो या गलत दिशा पकड़ ली हो तो क्या किया जाए…. ?

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