दोस्तों, या बना लिया है आज के समय में लगभग हर रिश्ते में और ख़ास कर प्रेमी-प्रेमिका या पति-पत्नी के सम्बन्धों में चाहते न चाहते हुए खिंचाव ने घर बनाना शुरू कर दिया है | यह खिंचाव खतरे का सूचक है लेकिन हम इसे नजरअंदाज कर देते हैं | जबकि यह खिंचाव ही आगे चल कर दरार बन जाता है | यह खिंचाव क्यों और कैसे पनपता है और इसका क्या हल है ?
पास आइये दोस्तों और इसी सोच पर आधारित ये कहानी पढ़िए :
विकास रोज की तरह अभी ऑफिस पहुँचा ही था कि अंकित का फ़ोन आ जाता है | अंकित ने बताया कि आज वह ऑफिस नहीं आ पयेगा क्योंकि उसकी माँ की तबियत काफ़ी खराब है और वह उन्हें हॉस्पिटल दिखाने ले जा रहा है | वह बोला कि उसकी टेबल पर एक फाइल पड़ी है वह बॉस को दे देना और कहना कि वह काम पूरा नहीं कर पाया है लेकिन कल आकर हर हालत में कर देगा | विकास के पूछने पर कि फाइल में क्या काम करना था जो वह पूरा नहीं कर पाया है तो अंकित बोला कि पिछले तीन साल का बैंक reconcile करना था | यह सुन विकास बोला कि कोई बात नहीं तुम ऑफिस और बॉस की चिंता छोड़ो और अभी अपना सारा ध्यान माँ के ईलाज पर लगाओ | ईश्वर पर भरोसा रखो जो होगा अच्छा ही होगा, कह विकास फ़ोन रख देता है |
दो दिन बाद अंकित ऑफिस पहुँच विकास के आने का बहुत बेसब्री से इन्तेजार करने लगा | ऑफिस के साथियों से उसे पता चला कि विकास ने न सिर्फ अपना काम बल्कि उसकी सीट का भी काम कर बॉस को यह कह दिया है कि अंकित तो लगभग सारा काम कर के ही गया था | उसने तो बस फिनिशिंग टच दिया है | उसे यह भी पता लगा कि काम के चक्कर में विकास पिछले दो दिन से घर काफी लेट जा रहा था जबकि उसकी खुद की दो साल की बच्ची काफी बीमार चल रही थी |
विकास ऑफिस पहुँच अभी अपनी टेबल पर आकर बैठता ही है कि अंकित आकर उसके गले लग रुंधे गले से बोला ‘भाई तूने चुपचाप इतना बड़ा काम कर बॉस को ये कह दिया कि सारा काम मैं कर के गया था | भाई, तूने तो कमाल कर दिया | ऐसा तो कोई अपना भी नहीं करता और तूने….’, विकास बीच में ही बात काटते हुए बोला ‘क्यों भाई तू मुझे अपना नहीं समझता…..’ ?
अंकित मुस्कुराते हुए बोला ‘भाई तू तो अपनों से भी बढ़ कर है | मैं तो अपने रिश्तेदारों की बात कर रहा था’ | विकास मुस्कुराते हुए अंकित को पास पड़ी कुर्सी पर बैठाते हुए बोला ‘भाई आजकल रिश्तेदार, परायों जैसा और मेरे जैसे पराये अपनों जैसा व्यवहार करते अक्सर मिल जाते हैं’ | अंकित मुस्कुराते हुए बोला ‘हाँ, भाई तू बिलकुल सही बात कह रहा है | अरे हाँ, ये तो बता भाई कि तेरी बेटी का क्या हाल है | वो बीमार थी और फिर भी तू इतनी देर तक ऑफिस में काम करता रहा | भाई, मेरी वजह से तुझे भाभी से तो बहुत डांट पड़ी होगी’ | विकास हँसते हुए बोला ‘बेटी अब ठीक है और ऐसा कुछ नहीं हुआ | सुधा को मैंने शाम को ही बता दिया था कि ऑफिस में कुछ एमरजेंसी वर्क आ गया है इसलिए मैं लेट हो जाऊँगा’ |
अंकित हैरान होते हुए बोला ‘क्या बात है, तूने कहा और भाभी मान गई | भाई, इसका मतलब भाभी बहुत अच्छे स्वाभाव की हैं’ | विकास हँसते हुए बोला ‘हाँ भाई, इसमें कोई शक नहीं और वैसे भी ताली दो हाथ से बजती है और हमारे घर में इसकी कभी नौबत ही नहीं आई | क्योंकि हम परेशानी के समय सिर्फ परेशानी के हल की तरफ ध्यान देते हैं’|
अंकित हैरान होते हुए बोला ‘इसका मतलब तुम लोगों का आपसी मन-मुटाव तक नहीं होता’ |
विकास हँसते हुए बोला ‘भाई, अभी तुम्हारी शादी नहीं हुई है इसलिए तुम जानते नहीं हो कि ज्यादात्तर पति-पत्नी की आपसी लड़ाई बिना किसी ख़ास कारण के होती है | क्योंकि दोनों अपनी बात, परेशानी या दुःख, एक दूसरे को बताने से कतराते हैं | अब तुम सोच रहे होगे कि इतने नजदीकी रिश्ते में भी इतनी दूरी | हाँ, भाई ऐसा अक्सर होता है और होता इसलिए है कि वह जब कभी बताते हैं तो दूसरा उसे समझने की बजाय या तो बात को दरकिनार कर देता है या फिर मजाक उड़ाता है | इसी कारण दोनों एक दूसरे पर बेतुके कारणों से अपनी खीज निकालने की कोशिश करते हैं | इसी कोशिश में किसी भी पक्ष के मुँह से यदि गलती से भी कुछ निकल गया तो समझो गये दस-पन्द्रह दिन | दोस्त, आज यह पति-पत्नी के रिश्तों तक ही सीमित नहीं रह गया है | ये खीज, आज हर रिश्ते को दीमक की तरह चाट कर खोखला बना रही है | और मजे की बात ये है कि दोनों पक्ष कारण जानते हुए भी तमाशा देख रहे हैं | बस एक दोस्ती का रिश्ता ही बाकि रह गया है जिस में ये खीज वाली दीमक कभी घुस नहीं पाई | क्योंकि दोस्ती में जब कभी कोई बेतुकी लड़ाई करता है तो दूसरा फट से बोल पड़ता है कि भाई बहाने मत बना | असली कारण बता, क्यों परेशान है | हाँ, एक ये भी बात है कि ऐसी बात दोस्त से सुनने पर हम दिल खोल कर बता भी देते हैं जबकि बाकि रिश्तों में चाह कर भी नहीं बता पाते हैं | यही कारण है कि जब तक प्रेमी-प्रेमिका एक दोस्त की तरह रहते हैं तब तक सब ठीक चलता रहता है जैसे ही शादी होती है वैसे ही हक़ और खीज की दीमक, रिश्ता चट कर जाती है | और दोस्त, हमारे घर में दादा-दादी के समय से सब एक दोस्त की तरह रहते हैं ’ |
अंकित अचम्भित होते हुए हकला कर बोला ‘भाई……, इतनी….. positivity………., कमाल है | भाई, लगता है कि शादी से पहले मुझे और मेरी होने वाली पत्नी को तुम्हारे घर आकर कुछ दिन बिताने होंगे’, कह कर अंकित हंस पड़ता है और उसे देख विकास हँसते हुए बोला ‘you are always welcome…’|
अंकित मुस्कुराते हुए बोला ‘भाई, तेरी बातें सुन बहुत अच्छा लग रहा है लेकिन एक प्रश्न दिमाग में उठ रहा है कि…..’, इससे पहले कि अंकित आगे कुछ बोल पाता विकास हँसते हुए बोला ‘मुझे पता है तुम क्या पूछना चाहते हो | यही कि जब सब कुछ सही चल रहा हो और अचानक एक दिन तुम्हे लगे कि दोनों के बीच कुछ ऐसा चल रहा है जो शब्दों में ब्यान तो नहीं कर सकते लेकिन महसूस कर सकते हैं कि आपसी सम्बन्धों में कहीं कुछ खिंचाव आ रहा है’, कह कर विकास अंकित को देखता है | अंकित अचंभित होते हुए ‘हाँ’ में सिर हिला देता है | उसे देख विकास मुस्कुराते हुए बोला ‘दोस्त, प्रेम के रिश्ते में यदि खिंचाव महसूस होने लगा है तो इसका मतलब है कि कहीं दरार उभरने लगी है जो अभी दिख नहीं रही है लेकिन समय रहते सही फैसला या कदम नहीं उठाया गया तो दरार दिखने भी लगेगी | खिंचाव या दरार के बहुत कारण हो सकते हैं | और मेरी राय में ऐसा महसूस होने पर कारण मत खोजो या मत कुरेदो बल्कि ऐसा माहौल बनाओ कि सब अपने आप बाहर आने लगे | positive माहौल में तो सब positivity दिखाते हैं लेकिन negative माहौल में दिखाओ तभी तो positive कहलाओगे |
दोस्त, एक यह गलत बात फैली हुई है कि रिश्तों में खिंचाव महसूस हो तो रिश्तों को सम्भलने के लिए कुछ समय दो, थोड़ी दूरी बनाओ | असल में ये उस समय करना चाहिए जब सब कुछ ठीक हो लेकिन जब negative माहौल हो तो नजदीकी बनाओ और दूसरे को सम्भलने का समय दो और वह तभी होगा जब आप positivity के साथ दूसरे से जुड़े रहोगे | ऐसे में तुम्हें बुरे से बुरा सुनने को मिल सकता है लेकिन प्यार और positivity बांटते चलो | ऐसे में कुछ भी expect मत करो, बस साथ चलते-चलो | समय बदलेगा और वो सिर्फ तुम्हारी positivity के कारण ही बदलेगा | दूसरे को समझो, उसे प्रोत्साहित करो, उसकी तारीफ करो, गले लगाओ, अच्छे पल की बार-बार याद कराओ |
Psychology कहती है कि एक ही तरह की बातों का असर अभी न दिखे लेकिन sub-conscious mind में घर करता चला जाता है और वही एक दिन बदलाव लाता है | ठीक है अब मिल गया उत्तर | अब जा भाई | सुबह-सुबह कहाँ भाषण सुनने बैठ गया है | बॉस ने देख लिया तो….’, विकास कुछ और बोल पाता इससे पहले ही अंकित उठते हुए बोला ‘ठीक है भाई बाकि की बातें लंच टाइम में करेंगे’, कह कर अंकित अपनी टेबल की ओर चल देता है |