दोस्तों, जैसा हम ने पिछले भाग में बताया था कि इच्छाशक्ति पैदा होने से मरने तक सब में होती है लेकिन बहुत कम लोग अपनी शरीरिक उर्जा को सही दिशा में लगाते हैं |
आज हम उन लोगों के बारे में बात करेंगे जो :
- जल्द सफलता पाना चाहते हैं |
- असफल हैं या लगातार असफलता हाथ लग रही है
- नकारात्मक सोच रखते हैं या हर काम या बात में नकारात्मकता ही दिखती है या हमेशा नजर गलत पर ही जाती है या जो शक्की है या किसी पर विश्वास नहीं करते या अपनी उर्जा को बेफिजूल के कामों में लगाते हैं या डर, शक, हीन भावना, क्रोध, आवेश, उत्तेजना, घृणा और झल्लाहट के शिकार हैं |
- अपनी उर्जा को बिना किसी कारण के बेकार करते हैं जैसे सामान्य से ज्यादा तेजी से पलक झपकना, एक जगह नजर न टिका पाना, बार-बार बेवजह इधर-उधर झांकते रहना, हाथ या पैर या सर या होंठ या अन्य अंग को हिलाते रहना, किसी भी अंग को बार-बार दबाते रहना, तीन से चार मिनट भी एक मुद्रा में बैठ या खड़े न हो पाना, कोई भी बात करते हुए या सुनते हुए कोई अन्य बात याद आ जाना…. आदि, आदि ऐसे बहुत उदाहरण हैं |
आइए आपको उपाय बताते हैं :-
- हमने इस श्रृंखला में कई बार कहा है कि सब इंसान एक जैसे होते हैं | अगर कोई और सफल हो सकता है तो फिर आप भी सफल हो सकते हो | लेकिन हमारे कहने का मतलब अलग है उसे वैसे ही समझें जैसे कहा गया है | उसे वैसे न समझें जैसा आप समझना चाहते हैं | ‘कोई कर सकता है तो मैं भी कर सकता हूँ’, खाली कहने या बिना किसी सोच-समझ के मैदान में कूदने से कुछ नहीं होने वाला उसके लिए आपको बहुत कुछ करना होता है | आइये इसे एक उदाहरण से समझाते हैं | एक व्यक्ति साठ की उम्र में और एक महिला एक टांग न होने के बावजूद एवेरस्ट पर चढ़ गये तो आप भी वैसा कर सकते | हमने कहा कि सब इंसान एक जैसे होते हैं और अगर एक कर सकता है तो वह दूसरा भी कर सकता है यह सोच, आप भी हिमालय पर विजय पाने चल दें तो यह आपकी बहुत बड़ी भूल साबित होगी | हाँ, यह बात अवश्य है कि आप भी कर सकते हैं जैसा उन लोगों ने किया लेकिन आपको अपनी काबलियत, उम्र, शरीरिक कमजोरियों, कमियों, समय और पैसे को पहले देखना होगा | आपको उन पर पहले कार्य करना होगा फिर आपको हिमालय पर विजय पाने के लिए क्या-क्या करना होता है कितनी मेहनत करनी होती है वह सब सोचना-समझना होगा और उसके बाद एक प्लान बना उस पर कार्यवाही में जुट जाना होगा | यदि आप इस तरीके से चलेंगे तो अवश्य सफल होंगे |
- हर इंसान एक सा होने के बावजूद जुदा-जुदा है अतः इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए | ऐसा हो सकता है वह व्यक्ति एक साल की मेहनत और कार्य करने के बाद वहाँ पहुँच गया हो और आप करें तो हो सकता है आपको चार साल लग जायें | अतः हमारी राय में आपको कभी भी किसी से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए | हर इंसान एक-सा दिखने के बावजूद अलग है | आपकी अपनी सोच और कार्य क्षमता है और दूसरे की अपनी है | अतः आपको केवल अपने लक्ष्य पर नजर रखनी चाहिए न कि किसी दूसरे पर | सफलता का मूल मन्त्र भी यही है कि हमेशा अपनी सोच, कर्म और लक्ष्य पर ही नजर रखें |
- यह जान लें और गाँठ बाँध लें कि कोई भी इंसान जन्म से इच्छाशक्ति में कमज़ोर नहीं होता है | बस नेगेटिव सोच, वक्त, हलात और दूरदृष्टि की कमी इच्छाशक्ति में कमी कर देती है | बहुत से लोग अपने वक्त और हलात को कोसते हैं कि यदि ऐसा या वैसा उनके साथ नहीं होता तो वह भी आज बहुत कुछ होते | दोस्तों, ऐसी सोच भी नेगेटिव सोच ही है | सब कुछ आपके हाथ में होता है लेकिन आप अपने शरीर, अपनी सोच और अपनी क्षमता को वक्त रहते पहचानते ही नही हैं | आप वह सब करने या सोचने की कोशिश करते हैं जो आप चाह कर भी नहीं कर सकते और वह सब नजरअंदाज करते हैं जो आप आसानी से कर सकते थे | क्योंकि आप ने अपने आप को ही नहीं पहचाना | यह आज के समय का दस्तूर भी है कि यहाँ हर कोई दूसरे को जानने या पहचानने का दावा ठोकता है जबकि असल में वह अपने आप तक को नहीं पहचानता | दोस्तों, सफल होने के लिए यह जरूरी है कि वह सबसे पहले अपने आप को पहचाने | आप कोई भी लक्ष्य रख उस पर आपनी पूरी इच्छा शक्ति लगा सकते हैं लेकिन उसके बावजूद भी आप सफल होंगे या नहीं, यह तभी कहा जा सकता है जब आपने अपनी शरीरिक, मानसिक और दिमागी शक्ति को पहचान कर कार्य शुरू किया हो | आप यदि दूसरे को देख या समझ कर कोई तरीका अपनाते हैं तो वह गलत साबित होगा क्योंकि आपको वह तरीका अपनाना है जो आपके लिए सबसे बेहतर है | आप अपने आप को जानते हैं तो ठीक और अगर नहीं जानते हैं तो फिर आपको किसी जानकार या प्रोफेशनल से अपनी शरीरिक, मानसिक और दिमागी शक्ति व कमी का विश्लेष्ण करवाना जरूरी है | उसके बाद उस विश्लेष्ण और लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए वह तरीका अपनाना है जो आपको सफलता दिलवाये | हमारा दावा है यदि आप ऐसा करते हैं तो आप हर हालत में सफल होंगे, चाहे आपका लक्ष्य कुछ भी हो |
- दोस्तों, यदि आपको अभी बताया उपाय ठीक नहीं लगता अर्थात आप किसी विशेषज्ञ या जानकार की सहायता लेना नहीं चाहते हैं और अपना विश्लेष्ण खुद ही करना चाहते हैं तो उसका तरीका भी जान लीजिये : आप यदि अपनी खासियत या अच्छी या बुरी आदत या कमी को नहीं पहचानते हैं तो कोई बात नहीं हम आपको बताते हैं कि आप कैसे पहचान सकते हैं | एक तरीका हम ने आपको “एकाग्रता” शीर्षक के लेख/विडियो में बताया था और एक हम आपको आज बता रहे हैं कि कुछ समय यानि कम से कम एक से दो महीने के लिए अपना पूरा ध्यान अपने ऊपर केन्द्रित करें | आप अपने अच्छे या बुरे व्यवहार/सोच/आदत/शरीरिक हरकत/खान-पान का निरिक्षण करें | आपके अंदर जो छोटी से छोटी कमी है उसे ढूंढे और फिर अपनी इच्छाशक्ति से उस पर काबू पायें या उसे ठीक करें | ऐसा करने पर आपके अंदर खोया आत्म विश्वास जागेगा | जैसे आप चाह कर भी सुबह जल्दी उठ नहीं पाते हैं या उठ जाते हैं तो पढ़ नहीं पाते या सुबह के समय का सदपयोग नहीं कर पाते हैं तो सबसे पहले इसी पर काम शुरू करें और यह आठ-दस दिन के लिए नहीं दो-तीन महीने तक लगातार करते हुए इसे अपनी आदत में शामिल कर लेना होगा | यह आपकी आदत में तब शामिल मानी जायेगी जब आप बिना अलार्म के सुबह उसी समय पर उठने लग जायेंगे | आप जब उठ नहीं पाते हैं या उठ जाते हैं तो समय का सही फायदा नहीं उठा पाते हैं तो जब इसका मलाल आपको दिन भर परेशान करे तब समझ लीजिये कि बहुत जल्द सुबह उठाना और समय सही प्रयोग करना आपकी आदत में शामिल होने वाला है | इसके बाद अपनी सब कमियों या सोच या व्यवहार या आदत पर काबू पाने की कोशिश करें | लेकिन याद रखें शुरुआत सबसे पहले छोटी से छोटी कमी या आदत या व्यवहार से करनी है |
- दोस्तों, जब आप आपनी छोटी से छोटी कमी या आदत को भी इच्छाशक्ति से ठीक या रोक या काबू नहीं कर पाते हैं तो फिर आपको अपनी इच्छाशक्ति बढ़ाने के काफी मेहनत करना होगा और यदि आप छोटी कमी या आदत पर तो काबू पा लेते हैं लेकिन बड़ी पर नहीं कर पाते हैं तो भी आपको अपनी इच्छाशक्ति बढ़ाने पर ही काम करना होगा | हाँ, आपको बहुत ज्यादा मेहनत की आवश्यकता तो नहीं पड़ेगी लेकिन आपको लगातार एक ही काम बार-बार करते रहना होगा |
- आपके अंदर कोई इच्छा जागृत होती है तो देखें कि वह सही है या गलत ? सही पर इच्छा पर अपनी इच्छाशक्ति पूरी तरह से लगा दें और वह इच्छा पूरी करें और यदि वह इच्छा गलत है तो फिर उसे रोकें और फिर से वैसी इच्छा जागृत न हो ऐसा प्रयास करें |
- यदि आप कोई निर्णय लेने में देर लगाते हैं तो इसका मतलब है कि आपकी इच्छाशक्ति कमज़ोर है या पूरी तरह से सक्षम नहीं है | हम यहाँ रोजमर्रा की ज़िन्दगी में छोटे-मोटे निर्णय लेने की बात नहीं कर रहे हैं | हम यहाँ उस निर्णय की बात कर रहे हैं जो यदि समय पर न लिये जायें तो आप ज़िन्दगी में बहुत कुछ खो देते हैं या देंगे और फिर उसका पछतावा ज़िन्दगी भर रहता है या रहेगा | अतः इस तरह के निर्णय लेने के लिए अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करने के लिए शुरुआत रोजमर्रा की ज़िन्दगी में निर्णय लेने से करनी चाहिए | हम यहाँ ऐसा नहीं कह रहे हैं कि आप जल्दबाजी के चक्कर में कोई भी निर्णय आँख बंद कर ले लें या बिना ऊँच-नीच सोचे बिना ले लें | हमारा सिर्फ इतना कहना है कि आप समय रहते और आत्मविश्वास से निर्णय ले लें और उस निर्णय लेने का जो भी परिणाम हो उसे सहर्ष स्वीकार करें | कोई गलती हो जाये तो उसे अगली बार उसे अगली बार निर्णय लेते हुए सुधारें | निर्णय गलत होने पर आपको पछतावा कभी नहीं होना चाहिए क्योंकि यह पछतावा आपके आत्मविश्वास को डिगाता है और फिर निर्णय लेने की क्षमता घटती चली जाती है | अतः निर्णय गलत हो या सही उसे सहर्ष स्वीकार करने पर आप में आत्मविश्वास मजबूत होता है जो आपकी इच्छाशक्ति को मजबूत करता है | यहाँ एक बात अवश्य ध्यान रखें कि कभी भी अति आत्मविश्वासी न बने | हर निर्णय को बहुत सोच-समझ कर लें | यह कभी भी न समझें कि मेरे तो निर्णय हमेशा ही ठीक होते हैं | यह जान लें कि तैराक ही हमेशा डूबता है | अतः समय रहते और सोच समझ कर कार्य करें |
- आपको किसी अध्यापक या गुरु की आवश्यकता नहीं है क्योंकि किसी के समझाने से कुछ नहीं होता | जब तक आप समझना नहीं चाहते तब तक आपको कोई नहीं समझा सकता | शिक्षा के लिए अध्यापक या गुरु की आवश्यकता होती है | लेकिन जिन्दगी में सफलता के लिए आपको एक मार्गदर्शक या सहारे की जरूरत पड़ सकती है लेकिन तभी जब आप अपनी कमी या कमजोरी को नहीं देख पाते या स्वयम का निष्पक्ष विश्लेष्ण करने में असमर्थ हैं | यदि आप अपनी कमी या कमजोरी या अपनी शरीरिक या मानसिक क्षमता को पहचानते हैं और उसको ध्यान रखते हुए ही प्लान बना कर कार्य करते हैं तो आपको किसी मार्गदर्शक या सहारे की भी जरूरत नहीं है | मार्गदर्शक, आपको समझा या आगाह ही कर सकता है लेकिन बदलाव तो आपने खुद ही अपने अंदर लाना है और अगर आप बदलाव नहीं लाते हैं तो वह मार्गदर्शक भी केवल दर्शक बन कर ही रह जाएगा |