प्राणायाम से श्वास यानि साँस पर काबू पाया जा सकता है और लयबद्ध श्वास से आपकी शरीरिक उर्जा ज्यादा बनती भी है और बचती भी है
आगे पढ़ें ..........मिथक – 9
भावनात्मक इंसान में क्रोध, आवेश, उत्तेजना, घृणा, शक और झल्लाहट जल्द आ जाती है और इसी कारण ऐसा इंसान एकाग्रता पाने में ज्यादात्तर असफल रहता है
आगे पढ़ें ..........मिथक-8
यह गलत प्रचलित है कि इंसान को भावनात्मक होना चाहिए असल में भावना ही भटकाती है जबकि भावना नहीं भाव होना चाहिए भाव हमेशा समभाव रहता है
आगे पढ़ें ..........मिथक -7
यह गलत फैला हुआ है या फैलाया गया है कि एकाग्रता और धैर्य प्राणायाम से प्राप्त कर सकते हैं जबकि… आप प्राणायाम से साँस पर नियंत्रण पा सकते हैं और सहज लयबद्ध साँस सोच पर नियंत्रण देती है जो एकाग्रता..
आगे पढ़ें ..........मिथक – 6
यह गलत फैला हुआ है या फैलाया गया है कि एकाग्रता और धैर्य ध्यान यानि meditation से प्राप्त कर सकते हैं जबकि… आपके पास एकाग्रता और धैर्य है तभी आप ध्यान यानि meditation में सफल हो पायेंगे
आगे पढ़ें ..........मिथक – 5
इच्छाशक्ति यानि willpower धैर्य यानि patience एकाग्रता यानि concentration यह तीनो आपस में बंधे हैं सफलता पाने के लिए इच्छाशक्ति होना बहुत जरूरी है यह होने पर बाकि दोनों को आसानी से हासिल किया जा सकता है यही कारण..
आगे पढ़ें ..........मिथक – 4
यहाँ हर कोई एक-दूसरे को समझा रहा है और देखने से लगता है हर कोई समझ रहा है लेकिन समझने के बाद हर कोई जब अपना रास्ता पकड़ लेता है तब समझ आता है कि सब बेकार गया लेकिन क्यों..
आगे पढ़ें ..........मिथक – 3
क्षमता और प्रतिभा हर किसी में होती है लेकिन ज्यादात्तर लोग सही प्रशिक्षण के अभाव में या गलत धारणा या गलत प्रचलन के कारण आम जिन्दगी जीने को मजबूर हो जाते हैं | असफलता या टूटन होने पर प्रेरक कथा-कहानी,..
आगे पढ़ें ..........मिथक-2
असफलता व्यक्ति के अंदर कई तरह के डर पैदा कर देती है | जितनी ज्यादा या देर तक असफलता रहती है उतना ही वह व्यक्ति-विशेष अंदरूनी रूप से टूटने लगता है | सबसे पहले उस टूटन का इलाज होना चाहिए..
आगे पढ़ें ..........मिथक -1
सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्तित्व विकास यानि Personality development या प्रेरक व्याख्यान यानि Motivational Lectures या सफलता कैसे हासिल करें इस पर प्रशिक्षण दिया जाता है | जबकि…….. इच्छाशक्ति यानि willpower और धैर्य यानि patience कैसे जागृत करें, एकाग्रता..
आगे पढ़ें ..........बस यूँ ही – 9
हम धर्म ग्रन्थ की हर बात पर दुहाई देते हैं बार-बार उसे दोहराते हैं लेकिन हम ने कभी ये समझने की कोशिश नहीं की है कि लिखने वाला ब्रह्मज्ञानी और दिव्य दृष्टा था और हम अज्ञानी और अन्धें उस..
आगे पढ़ें ..........बस यूँ ही – 8
नए साल के पहले दिन पूजा स्थल के बाहर लम्बी कतार देख यूँही एक पुरानी कहावत याद आ गई कि साल के पहले दिन अच्छा करोगे तो पूरे साल तुम्हें अच्छा ही अच्छा मिलेगा क्या सचमुच ऐसा होता है इस जैसी और भी..
आगे पढ़ें ..........बस यूँ ही – 7
कर्म करने के बाद प्रश्न उठने का मतलब है कि आपने विचार या भावना के तल पर ही कर्म किया है आप उससे आगे बढ़ ही नहीं पाए आपने मंथन कर भाव के तल पर कर्म नहीं किया है विचार-भावना-मंथन-भाव-कर्म भावना से विश्वास जन्म..
आगे पढ़ें ..........बस यूँ ही -6
हजारों प्रश्न उठ सकते हैं तेज बहती नदी में कूदने से पहले लेकिन कूदने के बाद कभी प्रश्न उठा कि क्या मैं भीग गया हूँ, क्या मैं तैर सकता हूँ क्या मैं किनारे तक पहुँच पाऊंगा फिर कर्म करने के बाद प्रश्न..
आगे पढ़ें ..........बस यूँ ही -5
जिन्दगी की हर समस्या का समाधान ही समस्या का जन्मदाता है तो फिर हल क्या है हल इतना-सा है कि हमें प्रश्न या समस्या का हल या समाधान नहीं प्रश्न जिस समाधान से उपजा है वह खोजना है
आगे पढ़ें ..........बस यूँ ही -4
पढ़ाई-लिखाई हम पर इस कद्र हावी हो चुकी है कि हम जिन्दगी की हर समस्या का समाधान गणित के प्रश्न की तरह खोजने निकल पड़ते हैं और ये भूल जाते हैं कि यहाँ हर समाधान कई और समस्याओं को जन्म..
आगे पढ़ें ..........बस यूँ ही -3
रोज एक नया धर्म जन्म ले रहा है और धर्म के ठेकेदार आज भी जो लिखा या बोला गया है उससे आगे न तो सोचने और न ही बोलने देते हैं तभी तो धर्म पिछड़ रहा है और विज्ञान आगे..
आगे पढ़ें ..........बस यूँ ही -2
अच्छा हुआ कि Newten, Einstein Marie Curie, Galileo जैसे वैज्ञानिक में पैदा नहीं हुए वरना उनकी खोज और किताबों पर एक नया धर्म खड़ा हो जाता उनकी मेहनत और खोज धार्मिक किताब में बंद हो किसी धार्मिक स्थल में मूर्ति..
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