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प्रेम, बुद्धि और मन

दोस्तों, जैसा हमने पहले भी कहा है कि प्रेम पागलों का रास्ता है | आपने सोचा कि हमने ऐसा क्यों कहा ? हमने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि पागल व्यक्ति के पास बुद्धि नहीं होती है | बुद्धि में तार्किक शक्ति होती है | बुद्धि ही हमारे अंदर अहंकार पैदा करती है | बुद्धि तो मन को पागल समझती है | और पागल व्यक्ति के पास बुद्धि होती ही नहीं है | वह तो अपने मन के अधीन होता है | वैसे तो मन भी हमें भटकाता है लेकिन इतना नहीं भटकाता है जितना हम बुद्धि के कारण भटकते हैं |

आप किसी रास्ते से जा रहे हैं और रास्ते में एक भिखारी अपना हाथ भीख के लिए फैला देता है तो आपका मन कर जाता है कि उसे भीख दे दी जाए | लेकिन आपकी बुद्धि आपको समझती है कि वह अच्छा-भला इंसान है | यह पेशे से भिखारी लग रहा है | इसे भीख देने का कोई फायदा नहीं है | और आप आगे बढ़ जाते हैं | क्योंकि आप मन से ज्यादा बुद्धि पर विश्वास करते हैं | बुद्धि ही आपको बताती है कि आप दूसरे पर बिना बात के भरोसा कर रहे हैं | वह इंसान भरोसे लायक नहीं है | जब वह आप से प्रेम नहीं करता है तो आप उससे क्यों प्रेम कर रहे हैं | बुद्धि ही मन को आदेश देती है कि पहले हुई बातों को पेश करो | फिर बुद्धि के अधीन मन आपको सब कुछ बताता है कि यह इंसान पहले भी आपको कई बार धोखा दे चुका है | और आप बुद्धि और मन की बात मान प्रेम के रास्ते से भटक जाते हैं |

दोस्तों, जिसे असल में प्रेम हो जाता है उसके मन में प्रेमी सदा के लिए बस जाता है | वह उस प्रेमी को हर जगह पाता है | वह उसे हर किसी में दिखता है | प्रेमी उसके रोंये-रोंये में बस जाता है | वह उसे कभी भूल ही नहीं पाता है | आप सोचेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है | यह तो बिलकुल भी अव्यवहारिक है | यह आज के जमाने में बिलकुल भी मुमकिन नहीं है | लेकिन दोस्तों यह बिलकुल मुमकिन है | हर किसी ने इसे मुमकिन होते देखा है | इसे व्यवहारिक होते देखा है |

दोस्तों, आपने गर्भवती स्त्री अवश्य देखी होगी | वह गर्भवती जागते की बात तो छोड़िये नींद में भी कभी भूल नहीं पाती है कि उसके गर्भ में एक जान पल रही है | गर्भ में पल रहा वह जीव उसके रोंये-रोंये में बस जाता है | जब वह ऐसा कर सकती है तो आप क्यों नहीं कर सकते | आपके रोंये-रोंये में प्रेम कैसे नहीं बस सकता है | मीरा और राधा ने इसी धरती पर यह सब करके दिखाया था | नानक इक औंकार की धुन में जगह-जगह घूमते फिरे | उन्हें हर जगह ‘वह’ दिखता था | वह कहीं भी और कभी भी उसके प्रेम में डूब जाते थे |

नानक के बारे में कहा जाता है कि एक बार उन्हें एक राशन की दूकान पर लगाया गया | वह आनाज तोल-तोल कर दिया करते थे | किसी को एक किलो, किसी को दो तो किसी को दस किलो | एक दिन उन्हें किसी को तेरह किलो आनाज तोल कर देना था | बस ‘तेरा’ सुनते ही वह उस परमेश्वर के प्रेम में डूब गए | वह तोलते जा रहे थे और बोलते जा रहे थे, सब तेरा, सब तेरा | ऐसा होता है प्रेम | एक शब्द भर से भी इंसान डूब सकता है | इसी प्रकार रामकृष्ण परमहंस को भी हर जगह यहाँ तक की अपनी पत्नी में भी ‘माँ’ दिखती थी | रामकृष्ण के बारे में भी कहा जाता है कि उन्हें माँ काली की पूजा-पाठ के लिए पुजारी रखा गया | कुछ ही समय के बाद जब उनके बारे में शिकायत मिली कि वह ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं तो मंदिर की समिति ने उन्हें बुलाया और उन से पूछा कि शिकायत मिली है कि कभी तो तुम दिन में तीन-चार बार माँ की पूजा-अर्चना कर उन्हें भोग लगाते हो और कभी दो-तीन दिन तक कुछ भी नहीं करते हो | यहाँ तक कि तुम मंदिर में भी नहीं आते हो | यह सुन कर रामकृष्ण परमहंस मुस्कुराये और बोले ‘जैसी माँ की इच्छा, जब वह आती हैं तब मैं उनकी हाजरी में प्रस्तुत हो जाता हूँ | जब वो नहीं आती हैं तो मैं किसे भोग लगाऊं | इसके इलावा कुछ पूछना है तो आप ‘माँ’ से पूछें | दोस्तों ऐसा होता है प्रेम | प्रेम में ‘माँ काली’ खिंची चली आती हैं | और उनके प्रेम में रामकृष्ण पहुँच जाते हैं |

दोस्तों, हमें ईश्वर से डरना सिखाया गया है | ‘I AM GOD FEARING PERSON’, ‘भगवान से डरो’, आप भी गाय-बगाय बोलते ही होंगे | तुलसीदास की रामायण में भी लिखा है कि डर बिन न होय प्रतीति | क्या भगवान से डरना चाहिए | हमारी राय में तो जहाँ डर है वहाँ प्रेम हो ही नहीं सकता | पिंजरे का शेर आपके डर से सब करतब दिखा सकता है लेकिन वह आपसे कभी प्रेम नहीं कर सकता | यह डर धीरे-धीरे हमारे रिश्तों में भी पहुँच गया है | बचपन में माँ-बाप और टीचर से, बड़े हो कर पति/पत्नी या प्रेमी/प्रेमिका से डर या फिर इज्जत/ओहदा खोने का डर या फिर समाज या कुछ खोने का डर | सारी जिन्दगी डर में गुजर जाती है | और जहाँ डर है वहाँ अटूट प्रेम हो ही नहीं सकता है | आप कह सकते हैं कि नहीं ऐसा नहीं है | हम अपने माँ-बाप से प्रेम करते हैं | उन्होंने जो भी कुछ किया वह उस समय जायज था | दोस्तों, अगर वह जायज था और अगर तुम उनसे अटूट प्रेम करते थे या हो तो फिर उनका गलत किया तुम्हें याद कैसे है | प्रेमी को तो गलत या ठीक कुछ भी याद नहीं रहता है | वह तो नानक की तरह सिर्फ यही कहता है ‘सब’ तेरा’ | लेकिन आप तो ऐसा कुछ भी नहीं कहते हो |

यही कारण है कि आज समाज से प्रेम गायब होता जा रहा है और चारों तरफ डर और घृणा का महौल है | दोस्तों, घृणा से घृणा और डर से डर आकर्षित होता है या पनपता है | आइये, चहुँ ओर प्रेम का दिया जलाएं और प्रेम फैलायें|

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