दोस्तों, जिन्दगी में सफलता पाने के लिए आपने यदि हमारे पहले दो लेख पढ़े नहीं हैं तो हमारी प्रार्थना है कि आप पहले वह लेख जरूर पढ़ें तभी आपको यह लेख या आगे आने वाले लेख समझ में आयेंगे |
हम ने पहले दो लेख में आपको जो कुछ भी विस्तार से और उदाहरण देकर बताया/समझाया है उसे हम यहाँ संक्षेप में बताते हैं :
दोस्तों एक सफल इंसान(successful person) बनने के लिए या व्यक्तित्व विकास(personality development) के लिए इच्छाशक्ति(willpower) का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि इसी से धैर्य(patience) और एकाग्रता(concentration) आती है |
आप एकाग्रता से खोई इच्छाशक्ति जागृत कर सकते हैं या इच्छाशक्ति से एकाग्रता जगा सकते हैं |
आप एकाग्रता और धैर्य, ध्यान यानि meditation या शरीरिक योग ख़ास कर प्राणायाम से भी प्राप्त कर सकते हैं और हमारी राय में शरीरिक योग और ख़ास कर प्राणायाम के द्वारा काफी जल्दी एकाग्रता और धैर्य की प्राप्ति कर सकते हैं |
इन सब के इलावा आप में सकारात्मकता(positivity) होना बहुत जरूरी है क्योंकि तभी आप सही दिशा में कार्य कर सफल हो सकते हैं |
दिमागी या मानसिक एकाग्रता पाने के लिए आपको अपनी कमियों को सुधारने और बेहतर से बेहतर करने की कोशिश में लगना है | जो भी व्यक्ति दिमागी या मानसिक एकाग्रता पाना चाहता है तो उसे पूरा ध्यान अपने ऊपर केन्द्रित करना होगा |
एकाग्रता और “ध्यान” में बहुत फर्क है | और भौतिक जीवन में मन को काबू करना आसान है | क्योंकि आपको भटकते मन को किसी एक भौतिक वस्तु या कार्य पर लगाना है|
एकाग्रता का मूल मन्त्र : शरीर से प्राप्त उर्जा को एक समय में एक दिशा देना | आपकी जो भी और जितनी भी शरीरिक उर्जा है उसे ज्यादा से ज्यादा बचाना और फिर किसी एक दिशा की ओर मोड़ कर उस उर्जा से ज्यादा से ज्यादा फल हासिल करना है | सफलता का मूल मन्त्र भी यही है कि हमेशा अपनी सोच, कर्म और लक्ष्य पर ही नजर रखें |
आप कोई भी लक्ष्य रख उस पर अपनी पूरी इच्छा शक्ति लगा सकते हैं लेकिन उसके बावजूद भी आप सफल होंगे या नहीं, यह तभी कहा जा सकता है जब आपने अपनी शरीरिक, मानसिक और दिमागी शक्ति को पहचान कर कार्य शुरू किया हो |
किसी विशेषज्ञ या जानकार की सहायता लेना नहीं चाहते हैं तो आपको कुछ समय यानि कम से कम एक से दो महीने के लिए अपना पूरा ध्यान अपने ऊपर केन्द्रित करना होगा |
यदि आप कोई निर्णय लेने में देर लगाते हैं तो इसका मतलब है आपकी इच्छाशक्ति कमज़ोर है या पूरी तरह से सक्षम नहीं है |
आपको किसी अध्यापक या गुरु की आवश्यकता नहीं है क्योंकि किसी के समझाने से कुछ नहीं होता | जब तक आप समझना नहीं चाहते तब तक आपको कोई नहीं समझा सकता | जिन्दगी में सफलता के लिए आपको एक मार्गदर्शक या सहारे की जरूरत पड़ सकती है लेकिन तभी जब आप अपनी कमी या कमजोरी को नहीं देख पाते या स्वयम का निष्पक्ष विश्लेष्ण करने में असमर्थ हैं |
दोस्तों अब आगे बढ़ते हैं |
व्यक्तित्व विकास या सफलता के लिए आपके अंदर दृढ़ता अर्थात किसी भी काम को करने की तीव्र इच्छा होना जरूरी है | आपके अंदर दृढ़ता होगी तभी आपका सारा ध्यान काम पर लगेगा और जब ऐसा होगा तब भटकन की सम्भावना न के बराबर होगी | आपने देखा होगा कि जब कोई किसी काम में पूरी तरह से डूबा होता है तब उसके आस-पास क्या चल या हो रहा है उसे इसकी खबर तो क्या भनक भी नहीं लगती | अधिक डूबने पर तो ऐसा व्यक्ति भूख, प्यास और यहाँ तक कि नींद तक भूल जाता है | ऐसी परिस्थिति में ही आप वह हासिल कर जाते हैं जो हजारों-लाखों लोग सपने में भी नहीं सोच सकते | लेकिन ऐसी परिस्थिति तक पहुँचने के लिए आपका दिमागी और मानसिक रूप से सक्षम होना बहुत जरूरी है | आप दिमागी और मानसिक रूप से सक्षम हैं तो बहुत अच्छी बात है लेकिन यदि नहीं हैं तो आपको पहले इस पर कार्य करना होगा |
आपने एक कहावत अवश्य सुनी होगी कि जितनी चादर हो उतना ही पैर फैलाना चाहिए, इसका मतलब है कि जितनी हैसियत हो उतना ही करना चाहिए अर्थात जितना पैसा हो उतना ही खर्च करना चाहिये | लेकिन दोस्तों, यह कहावत हर बात और हर जगह के लिये प्रयोग की जाने लगी है | एक कारण तो हमारा आज का सोशल मीडिया है जहाँ हर कोई ज्ञान बाँट रहा है और दूसरा आज के समय में लोग खुद पढ़ना या समझना नहीं चाहते और जो दूसरा बोलता है उसे मान जाते हैं | मैंने बहुत लोगों को यह कहावत दिमाग, सोच, शरीरिक या मानसिक शक्ति और कार्य क्षमता के लिए प्रयोग करते हुए सुना है | जबकि यह इनके लिये प्रयोग करना बिलकुल गलत है क्योंकि यह कहावत हमें extra effort करने के लिये रोकती है | इसी वजह से हम बार-बार यह प्रयोग करते हैं कि हर व्यक्ति का दिमाग और शरीरिक शक्ति एक समान होती है | कमजोर से कमजोर दिमाग या शरीर वाला भी एक बार ठान ले तो वह बड़े से बड़े पहलवान या दिमागी इंसान से मुकाबला कर सकता है |
दोस्तों, आपको मालूम ही होगा कि बुद्धि यानि दिमाग यानि mind का काम विश्लेष्ण(analysis) करना तथा हर आदेश या आज्ञा को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुँचाना या प्राप्त करना होता है | सोचने का काम हमारा मन करता है जिसे हम सचेत मन या conscious mind कहते हैं | आईये आपको इसे एक उदाहरण से समझाते हैं : मान लीजिये कि आपको किसी ख़ास व्यक्ति के विचार या हरकतें अच्छी नहीं लगती हैं | तब आपकी यह सोच आपके मन में स्टोर हो जायेगी | अब जब भी वह व्यक्ति आपके सामने आएगा तब आपका मन उससे सम्बन्धित सारी बातें आपको याद करवा देगा | यह सब याद आते ही आपको कुढन या गुस्सा आने लगेगा और तब आपकी मनःस्थिति को देख आपका दिमाग या बुद्धि शरीर को आदेश देगा कि इस समय जैसी मन की स्थिति चल रही है उससे सम्बन्धित कर्म करें | ऐसा आदेश पाते ही आपकी साँस स्वतः ही तेज होने लगेगी और साँस तेज होते ही शरीरिक तापमान बढ़ने लगेगा जिससे आपको पसीना आना शुरू हो जायेगा | आपकी रक्तचाप यानि blood pressure में परिवर्तन होने लगता है जिसकी वजह से आपके शरीरिक अंग में भी हरकत होने लगती है | जब ऐसा चर्म पर होता है तब आपकी बुद्धि लगभग शून्य हो जाती है यानि बुद्धि का आपके शरीर पर से एक तरह से कण्ट्रोल खत्म हो जाता है और इसी कारण उस क्षण कई बार आप वह कर जाते हैं जो आपने कभी सोचा भी नहीं होता | इसी स्थिति को अंग्रेजी में rush of blood कहते हैं | उम्मीद है आपको बुद्धि और मन में फर्क समझ आ गया होगा |
दोस्तों, Psychology के अनुसार व्यक्ति विशेष के हाव-भाव और शरीरिक हरकतें उसके मन के भाव तथा उसके दिमाग में क्या चल रहा है बता देती हैं | यह कोई राकेट साइंस नहीं है | यह वही जो हमने अभी आपको बताया कि मन के अनुसार दिमाग, शरीर को आदेश देता है और शरीर के सारे अंग उसी आदेश के अनुसार कार्य करते हैं | एक व्यक्ति गुस्से में है या ख़ुशी में है या गम में है, आप आसानी से उसके हाव-भाव व शरीरिक हरकत देख पहचान सकते हैं | यदि आप इस ओर ध्यान दें तो आप दूसरे के मन या दिमाग में क्या भाव या विचार चल रहा है आसानी से जान सकते हैं | इसे विस्तार से हम आगे आने वाले लेख में बतायेंगे |
Psychology के अनुसार हमें rush of blood जैसी परिस्थिति से बचना चाहिए और अपने आप पर काबू पाने की कोशिश करनी चाहिए | psychology की यह बात समझ नहीं आती क्योंकि रोजमर्रा की जिन्दगी में न तो हम ऐसी परिस्थिति से बच सकते हैं और न ही अपने गुस्से पर काबू कर पाते हैं | तब ऐसी परिस्थिति में या इस जैसी अन्य में क्या किया जाये कि हम या हमारा शरीर सामान्य स्थिति में ही रहे |
दोस्तों, इसके लिए काफी तरीके अपनाए जा सकते हैं | अभी हम आपको तीन बहुत ही सरल तरीके बताते हैं जिनकी मदद से आप किसी भी परिस्थिति से अपने को बाहर निकाल सकते हैं | विस्तार से हम आपको अगले भाग में बतायेंगे | आप सोच रहे होंगे कि personality development में इन बातों का क्या लेना-देना | दोस्तों, इन सब बातों का बिलकुल लेना-देना है क्योंकि हमारा लक्ष्य है शरीरिक उर्जा बचाना और उसे सही दिशा देना है |
पहला तरीका : कपालभाती और अनुलोम-विलोम का अभ्यास करें | आपको youtube पर बहुत विडियो मिल जायेंगे | हम भी जल्द इस पर एक विडियो बनाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि यह अभ्यास शुरू करने और लगातार करने में बहुत दिक्कत आती हैं और youtube पर उपलब्ध विडियो ज्यादात्तर एक्सपर्ट लोगों के हैं | क्योंकि वह लोग एक्सपर्ट हैं इसीलिए शुरू-शुरू में आने वाली बहुत सारी दिक्कतों को विस्तार से बता या समझा नहीं पाते हैं | जब तक इस पर हमारा विडियो नहीं आ जाता तब तक आप हमारे फेसबुक ग्रुप से जुड़ कर या यहाँ भी अपनी दिक्कतों के हल पूछ सकते हैं |
कपालभाती और अनुलोम-विलोम से आप को साँस की एहमियत के साथ ही साथ यह भी पता लगेगा कि आप कैसे साँस लेते हैं और कैसे लेना चाहिए | गुस्सा, गम या ख़ुशी में साँस की बहुत बड़ी भूमिका है | इसके साथ ही साथ एकाग्रता पाने और उर्जा बचाने में भी साँस की अहम भूमिका है |
दूसरा तरीका : त्राटक क्रिया | इसमें आप दिवार पर एक सेंटीमीटर या एक इंच का गोला बना कर उस पर नज़र टिकाते हैं और वह भी बिना पल्क झपके | यहाँ एक बात और ध्यान रखनी है कि आपने सामान्य दृष्टि से देखना है, घूरना यानि जोर देकर नहीं देखना है | आप पहले पहल जितनी देर भी कर पायें कोई जोर-जबरदस्ती नहीं करनी है | पहली बार आप आधा मिन्ट या एक मिन्ट भी कर पाते हैं तो कोई बात नहीं | दूसरी बार फिर से करें | जब आपको या आँखों को थकावट महसूस हो तो छोड़ दीजिये | अगले दिन फिर करिए | ऐसा करते रहने से आप में एक शक्ति का संचार होगा और साथ ही साथ आपका बुद्धि और मन पर कण्ट्रोल पाना आसान हो जायेगा | यह सब इसीलिए होगा क्योंकि जो भी उर्जा आप पल्क झपकने में लगाते थे अब आप अपनी मर्जी से उसे कोई भी दिशा दे पायेंगे |
तीसरा तरीका : यह तरीका या काम लगता तो बहुत आसान है लेकिन है थोड़ा मुश्किल | आपने शव आसन का नाम तो सुना ही होगा | आपको इस आसन में कम से कम दस मिन्ट लेटना है | अब आपका सवाल होगा कि इस आसन को करना कैसे है ? दोस्तों आप ये आसन कैसे करते हैं youtube पर भी देख सकते हैं |
जो महानुभव youtube पर नहीं देखना चाहते हैं तो उनके लिए बता देते हैं कि इस आसन के लिए जमीन पर या हार्ड बेड पर पीठ के बल लेटना होता है | हाथ और पैर इतने खोलने हैं कि आपको हाथ या पैर में किसी तरह का कोई तनाव या कसाव महसूस न हो | इसके बाद आपने अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़ देना है | आपको ऐसा महसूस होना चाहिए कि जैसे आपका शरीर है ही नहीं | इसके बाद आँख बंद कर मन ही मन में कम से कम आठ से दस बार दोहराना है कि आपकी बॉडी, muscle, atom, और cells जिस में भी तनाव या कसाव या स्ट्रेस है वह release हो जाए और सब relax हो जाएँ | इसके बाद आपके दिमाग में जो भी सोच आ रही है उसे आने देना है | उस सोच को ऐसे देखना या मानना है जैसे वह आपकी है ही नहीं और ध्यान साँस पर केन्द्रित करने की कोशिश करनी है | साँस नाभि के पास से लेने की कोशिश करनी है | ऐसा भी हो सकता है कि आपको ऐसा करते-करते नींद आ जाए | अगर नींद आ जाती है तो बहुत अच्छी बात है अगर नहीं आती है तो भी दस मिन्ट के बाद उठने पर आपको काफी हल्कापन अवश्य महसूस होगा | इस तरीके से आप अपने शरीर और मन दोनों को जान जायेंगे और साथ ही आप अपनी उर्जा को भी ज्यादा से ज्यादा बचा पायेंगे |
दोस्तों, यह लेख लम्बा हो गया है अतः बाकि की बातें अगले लेख में करेंगे | उम्मीद है कि आपको यह लेख अवश्य ही अच्छा लगा होगा | comment कर अवश्य बतायें और यदि किसी की कोई query है तो आप यहाँ या फेसबुक पर हमारे नवारम्भ ग्रुप में शामिल हो कर भी पूछ सकते हैं | हम आपके प्रश्नों का अवश्य जवाब देंगे | धन्यवाद |