विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 81.1
आपने ये कहावत तो अवश्य सुनी होगीं कि एक चुप और सौ सुख या कभी तो अपनी जुबान तालू से लगा लिया करो |
दोस्तों, हमारी संस्कृति में एक यही खासियत है | हम हर ख़ास बात या चीज को आम बना देते हैं और फिर गाय-बगाय उसका प्रयोग कर हर खासो-आम को चेताते हैं कि इस पर चलो | लेकिन समय के साथ हम इन कहावतों के असल मतलब और असर को भूलते जा रहे हैं और आम बना दी गईं कहावते आम ही हो कर रह गई हैं |
जुबान तालू से लगाने का और चुप रहने का बहुत गहरा अर्थ था लेकिन आज हम जुबान तालू से लगाने का अर्थ केवल चुप रहने से लगाते हैं और चुप रहने को सिर्फ न बोलना ही मानते हैं | जबकि चुप रहने का असल मतलब है कि दिमाग या मन को चुप कराना | यदि आपके मन या दिमाग में विचारों का तूफ़ान उठा हुआ है लेकिन आप बोल नहीं रहे हैं तो एक दिन वह ज्वालामुखी की तरह फटेगा और आसपास सबको बहा कर ले जाएगा | गुस्सा या अधिक गुस्सा या हर समय अपशब्द बोलना या नेगेटिव सोच रखना आज इसी का नतीजा हैं | लेकिन हम समझ कर भी नहीं समझना चाहते हैं कि कोई हमें गुस्सा चढ़ाता नहीं है या किसी की हरकतों या बोल से गुस्सा हमें आता नहीं है बल्कि वह हमारे अंदर पहले से ही पनप रहा होता है और हम केवल मौके की तलाश में होते हैं | अब आप यहाँ यह भी कह सकते हैं कि ऐसे कैसे हो सकता है कि मेरे अंदर गुस्सा पनप रहा था और मुझे ही पता नहीं था | आप बिलकुल सही कह रहे हैं | गुस्सा दबा लेने पर ऐसा ही होता है और यदि आप यह कहें कि मैं बिलकुल भी मौके की तलाश में नहीं था तो भी आप सही कह रहे हैं |
असल में यहाँ आपके अवचेतन मन की बात हो रही है | जब आप चाहते हुए भी नहीं बोलते हैं तब आप सोचते हैं कि मैंने गुस्से को रोक लिया और कुछ नहीं बोला | जबकि असल में ऐसा नहीं होता | वह बात आपके अवचेतन मन में स्टोर हो जाती है | इस तरह की कई बातें जब आपके अवचेतन मन में स्टोर हो जाती हैं तब वह या तो बिमारी का रूप ले बाहर आती हैं या फिर आपको बिना बात के गुस्सा आने लगता है या एक ही बार में आप ऐसा गुस्सा कर जाते हैं जिसके दूरगामी परिणाम आपको या दूसरों झेलने पड़ते हैं |
तंत्र हमें सिखाता है कि सोच को रोको नहीं, आने दो | गुस्सा भी एक सोच है और रोकते ही मुश्किल बढ़ जाती है | आजकल के समय में आपने सुना होगा कि गुस्से पर कण्ट्रोल करो | गुस्सा रोकने के बहुत उपाय बताये जाते हैं | आजकल कुछ ऐसे सेंटर भी बन गये हैं जहाँ जा कर आप अपना गुस्सा निकाल सकते हैं यानि गुस्सा निकालने के लिए भी आपको पैसे देने होंगे | कुल मिलाकर आज के समय में आपको गुस्सा न करने और गुस्सा कम करने के लिए तो बहुत सुझाव या व्यायाम बताये जाते हैं लेकिन बहुत कम लोग हैं जो आपको गुस्सा फिर आये ही न इसका अभ्यास कराते हैं |
इस सूत्र में बताई गई विधि कुछ हद तक योग की खेचरी और सोहम क्रिया का मिश्रण भी कह सकते हैं या दोनों से मिलती जुलती है लेकिन बहुत आसान है | इस विधि से आपका ध्यान भी लग जाता है और आपको आपनी सोच पर भी काबू आता है यानि उसे आप दिशा देने में सफल हो जाते हैं |