विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 81.2
इस सूत्र में बताई गई विधि अनुसार आप यह क्रिया दिन या रात में कभी भी कर सकते हैं | सिद्धासन या सुखासन या वज्रासन में आँख खोल या बंद कर जैसे आपको सुविधाजनक लगे वैसे बैठें | बैठने के बाद होंठ बंद कर अपनी जुबान ऊपर तालू पर लगा लें | खेचरी क्रिया में भी लगभग ऐसा ही किया जाता है लेकिन खेचरी क्रिया में आगे की क्रिया काफी मुश्किल है जबकि इस विधि में बताई गई क्रिया में सिर्फ इतना ही है |
इस सूत्र में बताई गई विधि के अनुसार तालू पर जुबान लगाने के बाद मुंह खोल कर यानि होठ गोल कर साँस इस प्रकार अंदर खींचनी है कि वह तालू से लगी जुबान के कोने से होते हुए जाए | जब भी आप ऐसा करने में सफल हो जायेंगे तो ‘स’ की आवाज आएगी |
इस सूत्र में बताई गई विधि के अनुसार जब साँस वापिस बाहर निकले तब भी जुबान के कोने से होते हुए बाहर निकले | ऐसे साँस अंदर लेने पर ‘ह’ की आवाज आएगी |
जुबान थक जाए तो कुछ क्षण के लिए रोक लें और फिर शुरू करें | यह क्रिया पाँच से दस मिन्ट तक की जा सकती है |
विज्ञान भैरव तंत्र में बताई गई लगभग सब विधियाँ बहुत ही आसान हैं और आपके मन को सोच से दूर ले जाने की क्रिया हैं | मन को रोकना मुश्किल ही नहीं न मुमकिन है इसीलिए जब आप शुरू-शुरू में मैडिटेशन करते हैं तब आपका शरीर और सोच दोनों आपको मैडिटेशन करने ही नहीं देते हैं | आप जब शरीर पर काबू पा लेते हैं जोकि पाना आसान है तब आपका मन रंग दिखाना शुरू करता है | उससे बाहर निकलना या मन के बहकावे में न आकर उसे बहकाना ही मैडिटेशन है जोकि 90 प्रतिशत लोग नहीं कर पाते हैं |
हमारे अनुभव में आया है कि बहुत लोगों को जब मैडिटेशन करते हुए काफी समय हो जाता है और वह ध्यान की अगली अवस्था में नहीं पहुँच पाते हैं तब अचानक एक दिन उन्हें भगवान् दिखते हैं और उन से बातचीत शुरू कर देते हैं या फिर कोई डरावनी शक्ल दिखने लगती है या फिर कोई आत्मा दिखती है और वह किसी परिचित की होती है आदि, आदि | कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि कोई उन्हें हिला रहा है या फिर आत्माओं की आवाजें सुनाई पड़ती हैं आदि,आदि |
दोस्तों, यह सब मन का खेल है | यह सब आपके मन की बनाई हुई हैं | आप मानने से इनकार जरूर करेंगे क्योंकि आपको यह अनुभव हुए हैं लेकिन ध्यान में यह सब सम्भव नहीं है | आप हमारे साथ बने रहें | आपको सब जानकारी दी जायेगी |
खैर, इस सूत्र में बताई गई विधि पर वापिस आते हैं | इस क्रिया को करने पर आपका मन कुछ दिन के बाद शांत होना शुरू हो जाएगा | आप यह क्रिया करने के बाद जब आपको थकावट लगे तो आप सामान्य रूप से आँख बंद या खोल कर ध्यान करना शुरू कर सकते हैं | आप चाहें तो इस क्रिया को करते हुए भी ध्यान कर सकते हैं और ध्यान करने से पहले भी कर सकते हैं |
इस क्रिया को करने पर शरीर और मन दोनों शांत हो जाते हैं और ध्यान बहुत आसानी से लग जाता है | यह क्रिया कुछ दिन करने पर आपका गुस्सा सदा के लिए छूमंतर हो जाएगा और साथ ही साथ अधिक सोच भी कम होने लगेगी |