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इंद्री विधि द्वारा ‘ध्यान’ साधना – 1

एक ही बिमारी का असर अलग-अलग व्यक्ति पर अलग होता है वैसे ही एक तरह की दवा पर भी होता है | यही बात ‘ध्यान’ की विधि पर भी लागू होता है |

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तंत्र-आध्यात्म-मनोविज्ञान – 3

तंत्र योग है और इससे भी बढ़ कर पूरे का पूरा विज्ञान है | इसे धर्म से जोड़ कर न देखे | हम विज्ञान को धर्म से नहीं जोड़ते वैसे ही इसे भी नहीं जोड़ना चाहिए |

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तंत्र-आध्यात्म-मनोविज्ञान – 2

तंत्र की एक शाखा : ‘विज्ञान भैरव तंत्र’ में ‘ध्यान’ करने के बहुत आसान तरीके बताये गए हैं जिसे आध्यात्म और मनोविज्ञान में पिरो कर पेश करेंगे |

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कर्म योग-भाग्य व इच्छाशक्ति

ब्रह्माण्ड में हर ग्रह की अपनी एक दशा और चाल है | चूँकि हमारा शरीर भी एक भौतिक वस्तु है | अतः हमारा शरीर भी ग्रह की तरह सब काम स्वयम कर रहा है |

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कर्म-योग और विज्ञान-2

कण-कण में भगवान बसते हैं तो क्या अध्यात्म परमाणु यानि Atom के बारे में जानता था ? परमाणु कभी मरता नहीं है तो फिर हमारी मृत्यु कैसे हो जाती है ?

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कर्म योग और विज्ञान

कोई वस्तु या चित्र देख मुँह से अनायास ही निकल जाता है कि किसने बनाया है तो फिर इस ब्रह्माण्ड के रचियता को कैसे भूल जाते हो | इसका रचियता भी तो होगा |

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व्यवहारिक आध्यात्म – 3

अध्यात्म की धुरी प्रेम पर टिकी है | आप शुरुआत कहीं से भी करें लेकिन अंत प्रेम पर ही होता है | इस सबसे आसान रास्ते को हम भूले बैठे हैं |

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व्यवहारिक आध्यात्म -2

ईश्वर अनंत क्यों है और क्या ईश्वर का दूसरा छोर नहीं है | दोस्तों, अगर ईश्वर अनंत है तो इसका मतलब साफ़ है कि दूसरा छोर नहीं है या होगा नहीं |

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व्यवहारिक आध्यात्म

अध्यात्म दो शब्दों से मिल कर बना है जिसका अर्थ है ऐसा ज्ञान जो आत्मा और ब्रह्म का विवेचन करे या आत्मा और ब्रह्म के विषय में चिन्तन-मनन करना |

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