वजन शून्य – ध्यान विधि-2
वजन-शून्य होने पर आपका, सोच से भी पीछा छूट जाता है क्योंकि वह भी शरीर का हिस्सा है और अब आपका शरीर आपके साथ नहीं है | बल्कि अब आप आत्मा के साथ हैं |
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वजन-शून्य होने पर आपका, सोच से भी पीछा छूट जाता है क्योंकि वह भी शरीर का हिस्सा है और अब आपका शरीर आपके साथ नहीं है | बल्कि अब आप आत्मा के साथ हैं |
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आपने कभी सोचा कि हम जिस काम या बात या सोच को ‘न’ करने की सोचते हैं उतना ही उस काम या बात या सोच को क्यों जाने-अनजाने करते चले जाते हैं ?
कभी भूल कर भी न कहें या सोचें ? Read More »
शरीर में प्राण-शक्ति बढ़ने से आप दीर्घायु, रोगमुक्त एवं वह शक्ति मिलती जिससे बढ़ती उम्र के कारण आ रहे परिवर्तन काफी हद तक रुक जाते हैं |
प्राण-शक्ति उपचार -2 Read More »
प्राणशक्ति शरीर के बीमार अंग में भेज कर उसे स्वस्थ कर सकते हैं जैसे आध्यात्मिक उपचार, कुडालिनी जागरण, साइकिक हीलिंग तथा रेकी में किया जाता है |
हम जब मन का सही से प्रयोग नहीं करते हैं तब डर, नेगेटिव सोच, अशांति, शक की स्थिति बनती हैं | इसलिए दोस्तों बार-बार यह कहा जाता है कि मन की न सुनें |
प्राणायाम से श्वास यानि साँस पर काबू पाया जा सकता है और लयबद्ध श्वास से आपकी शरीरिक उर्जा ज्यादा बनती भी है और बचती भी है
भावनात्मक इंसान में क्रोध, आवेश, उत्तेजना, घृणा, शक और झल्लाहट जल्द आ जाती है और इसी कारण ऐसा इंसान एकाग्रता पाने में ज्यादात्तर असफल रहता है
यह गलत प्रचलित है कि इंसान को भावनात्मक होना चाहिए असल में भावना ही भटकाती है जबकि भावना नहीं भाव होना चाहिए भाव हमेशा समभाव रहता है
यह गलत फैला हुआ है या फैलाया गया है कि एकाग्रता और धैर्य प्राणायाम से प्राप्त कर सकते हैं जबकि… आप प्राणायाम से साँस पर नियंत्रण पा सकते हैं और सहज लयबद्ध साँस सोच पर नियंत्रण देती है जो एकाग्रता और धैर्य पाने में सहायक सिद्ध होती है
यह गलत फैला हुआ है या फैलाया गया है कि एकाग्रता और धैर्य ध्यान यानि meditation से प्राप्त कर सकते हैं जबकि… आपके पास एकाग्रता और धैर्य है तभी आप ध्यान यानि meditation में सफल हो पायेंगे
इच्छाशक्ति यानि willpower धैर्य यानि patience एकाग्रता यानि concentration यह तीनो आपस में बंधे हैं सफलता पाने के लिए इच्छाशक्ति होना बहुत जरूरी है यह होने पर बाकि दोनों को आसानी से हासिल किया जा सकता है यही कारण है कि सफल इंसान में काम के प्रति लग्न होती है वह शांत और धेर्यवान
यहाँ हर कोई एक-दूसरे को समझा रहा है और देखने से लगता है हर कोई समझ रहा है लेकिन समझने के बाद हर कोई जब अपना रास्ता पकड़ लेता है तब समझ आता है कि सब बेकार गया लेकिन क्यों ………..? बचपन में सोच-समझ, शिक्षा-ज्ञान सबका बस्ता खाली था शायद इसीलिए जो सिखाया गया वह
क्षमता और प्रतिभा हर किसी में होती है लेकिन ज्यादात्तर लोग सही प्रशिक्षण के अभाव में या गलत धारणा या गलत प्रचलन के कारण आम जिन्दगी जीने को मजबूर हो जाते हैं | असफलता या टूटन होने पर प्रेरक कथा-कहानी, पूजा-पाठ, संत-समागम, धार्मिक आस्था इत्यादि पर जोर दिया जाता है ताकि आस्था और विश्वास जागे
असफलता व्यक्ति के अंदर कई तरह के डर पैदा कर देती है | जितनी ज्यादा या देर तक असफलता रहती है उतना ही वह व्यक्ति-विशेष अंदरूनी रूप से टूटने लगता है | सबसे पहले उस टूटन का इलाज होना चाहिए | उसकी टूटन का इलाज उसकी असफलता का विश्लेष्ण कर ही हो सकता है |
सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्तित्व विकास यानि Personality development या प्रेरक व्याख्यान यानि Motivational Lectures या सफलता कैसे हासिल करें इस पर प्रशिक्षण दिया जाता है | जबकि…….. इच्छाशक्ति यानि willpower और धैर्य यानि patience कैसे जागृत करें, एकाग्रता यानि concentration कैसे प्राप्त करें और असफलता के मुख्य कारण क्या होते हैं इस पर
हम धर्म ग्रन्थ की हर बात पर दुहाई देते हैं बार-बार उसे दोहराते हैं लेकिन हम ने कभी ये समझने की कोशिश नहीं की है कि लिखने वाला ब्रह्मज्ञानी और दिव्य दृष्टा था और हम अज्ञानी और अन्धें उस भाव तक कैसे पहुँच सकते हैं हम क्यों नहीं समझते हैं कि लिखने वाले के
नए साल के पहले दिन पूजा स्थल के बाहर लम्बी कतार देख यूँही एक पुरानी कहावत याद आ गई कि साल के पहले दिन अच्छा करोगे तो पूरे साल तुम्हें अच्छा ही अच्छा मिलेगा क्या सचमुच ऐसा होता है इस जैसी और भी कहावत हैं अच्छे से बुरा कर्म फल कट जाता है जिन्दगी में कुछ न कुछ अच्छा करते
कर्म करने के बाद प्रश्न उठने का मतलब है कि आपने विचार या भावना के तल पर ही कर्म किया है आप उससे आगे बढ़ ही नहीं पाए आपने मंथन कर भाव के तल पर कर्म नहीं किया है विचार-भावना-मंथन-भाव-कर्म भावना से विश्वास जन्म लेता है और विश्वास हमेशा डगमगाता है जबकि भाव के तल पर आत्मविश्वास जन्म लेता
हजारों प्रश्न उठ सकते हैं तेज बहती नदी में कूदने से पहले लेकिन कूदने के बाद कभी प्रश्न उठा कि क्या मैं भीग गया हूँ, क्या मैं तैर सकता हूँ क्या मैं किनारे तक पहुँच पाऊंगा फिर कर्म करने के बाद प्रश्न उठने का क्या मतलब निकालें ज़िन्दगी भी समय की रफ्तार से बहती या भागती ही
जिन्दगी की हर समस्या का समाधान ही समस्या का जन्मदाता है तो फिर हल क्या है हल इतना-सा है कि हमें प्रश्न या समस्या का हल या समाधान नहीं प्रश्न जिस समाधान से उपजा है वह खोजना है