Anil Sainger

ध्वनि द्वारा ध्यान – 1

इस सूत्र में बताई विधिनुसार कुछ दिन बाद आपको शरीर के अंदर की आवाज के ईलावा भी कुछ ऐसी आवाजें सुनाई देंगी जोकि इस धरती या सौरमंडल की नहीं हैं |

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इंद्री विधि द्वारा ध्यान

इस सूत्र के अनुसार आपकी आँख, कान, नाक और होंठ तो बंद हैं और केवल एक ही इंद्री यानि स्पर्श ही आपको भटका सकती है | बस आपको इस भटकन में नहीं फँसना है |

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श्वास-कुम्भक विधि द्वारा ध्यान

धीमी और गहरी साँस लेने से उम्र बढ़ती है और शरीरिक बदलाव भी देर से आते हैं या पूरी तरह से नहीं आते हैं | यही संदेश इस सूत्र के माध्यम से दिया गया है |

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श्वास विधि द्वारा ध्यान – 7

विज्ञान भैरव तंत्र का यह सूत्र कितनी आसानी से हमें यह सिखा देता है जिसे समझने के लिए पूरा मानव जीवन भी कम पड़ जाता है लेकिन समझ नहीं आता है |

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विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 51

इस विधि को अपनाने पर कुछ समय बाद आप महसूस करेंगे कि आप और वह काम करने वाला इंसान दोनों अलग हैं | इस से आपकी काम करने में एकाग्रता भी बढ़ेगी |

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स्वपन और मृत्यु का सच जानें भाग-3

जब आप लेट कर यह क्रिया करते हैं तब आपका ध्यान और साँस का केंद्र अनाहत यानि हृदय या हार्ट चक्र हो गया है | यहाँ से आपकी आगे की यात्रा शुरू होती है |

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स्वपन और मृत्यु का सच जानें भाग-2

इस सूत्र का दूसरा भाग – धीरे-धीरे लम्बी और गहरी साँस लेने पर दिमाग यानि मन की गति अपने आप धीमे होने लगेगी और फिर मन गायब हो जाता है |

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श्वास विधि द्वारा ध्यान – 5

इस विधि में आप आज्ञा चक्र यानि तीसरी आँख या अनाहत यानि हृदय चक्र या फिर विशुद्ध चक्र यानि थ्रोट चक्र पर ध्यान लगा कर शुरुआत कर सकते हैं |

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तीसरी आँख सक्रिय करें-भाग -2

तीसरी आँख या आज्ञा चक्र को सक्रिय करने से पहले कुछ जरूरी बातें जानना बहुत जरूरी है ताकि बाद में आपको कोई परेशानी न आये जैसे बुरी सोच छोड़ना होगा |

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तीसरी आँख सक्रिय करें – 1

हमारे माथे के बीचोबीच यानि दोनों eyebrow के बीच तीसरी आँख होती है जिसे आज्ञा या अजना चक्र भी कहा जाता है | आइये इसे इस सूत्र विधि द्वारा सक्रिय करें |

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कुछ जरूरी बातें

तंत्र, आध्यात्म, योग, ध्यान आदि में सफलता पाने के लिए उन के साथ प्राकृतिक रूप से जुड़ने के इलावा आपको यह करने का उद्देश्य पूरी तरह से साफ़ होना जरूरी है |

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श्वास विधि द्वारा ध्यान – 3

सूत्र -26 हमें साँस के प्रति सजग रहने को कहता है लेकिन उस समय जब आने और जाने वाली साँस एक हो गई है यानि सूत्र-24 और 25 का नाभि केंद्र पर मिलन |

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श्वास विधि द्वारा ध्यान – 2

यदि पद्मासन में नहीं बैठ सकते तो सुखासन में बैठे या लेटें और आँख बंद कर साँस के दोनों छोर जहाँ से साँस पलटती है, पकड़ कर ध्यानावस्था में खो जाएँ |

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श्वास विधि द्वारा ध्यान – 1

ये मन्त्र गहराई में छुपा है | जब आपकी साँस गहरी होती चली जाती है तब आपके साँस अंदर खींचते हुए ‘अम’ की ध्वनि आती है और छोड़ते हुए ‘साह’ की |

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प्रेम, ध्यान, डर और सम्बन्ध

मीरा और राधा का प्रेम सच्चा प्रेम था | आप उसे इकतरफा प्रेम भी कह सकते हो | उनका प्रेम यदि अमर हो सकता है तो आपको सच्चा प्रेमी क्यों नहीं मिल सकता ?????

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इंद्री विधि द्वारा ‘ध्यान’ साधना – 2

इस विधि का मुख्य ध्येय ये है कि आपकी उर्जा जो इस इंद्री पर लग रही थी वह रुक जाए और वह तभी रुक सकती है जब आप रोजाना अपनी इच्छा से करें |

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इंद्री विधि द्वारा ‘ध्यान’ साधना – 1

एक ही बिमारी का असर अलग-अलग व्यक्ति पर अलग होता है वैसे ही एक तरह की दवा पर भी होता है | यही बात ‘ध्यान’ की विधि पर भी लागू होता है |

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तंत्र-आध्यात्म-मनोविज्ञान – 3

तंत्र योग है और इससे भी बढ़ कर पूरे का पूरा विज्ञान है | इसे धर्म से जोड़ कर न देखे | हम विज्ञान को धर्म से नहीं जोड़ते वैसे ही इसे भी नहीं जोड़ना चाहिए |

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