ध्यान या मैडिटेशन का अर्थ आप क्या जानते हैं और असल अर्थ या मतलब क्या है वह जानें ???
दोस्तों, हमारी उम्र दिन-महीने-साल पर टिकी हुई है – ऐसा कहा जाता है | इसका अर्थ यह हुआ कि हमारा जीवन धरती के घूमने पर टिका हुआ है | इस धरती पर जो भी प्राणी रह रहे हैं उनका जीवन धरती के घूमने पर टिका हुआ है यह मानने योग्य बात लगती है लेकिन इंसान की उम्र टिकी हुई है- ठीक जान नहीं पड़ता है |
आज का विज्ञान कहता है कि हमारे शरीर के सब atom और cell, हर आठ से दस साल में बदल जाते हैं | धरती एक ही गति से लगातार घूमती ही जा रही है | इसके बावजूद हम बूढ़े क्यों होते जाते हैं और फिर एक दिन हमारी मृत्यु क्यों हो जाती है | सब कुछ वैसे का वैसे चल रहा था लेकिन अब हम नहीं रहे | क्यों ?
इसका अर्थ यह समझ में आता है कि हम कहीं किसी गलत धुरी को पकड़ कर चले आ रहे हैं | ऐसा जान पड़ता है कि हमारी उम्र का धरती के घूमने से कोई लेना-देना नहीं है | हमारी उम्र साँस पर टिकी हुई है ऐसा ऋषि-मुनियों की लम्बी उम्र और आध्यात्म, योग और ध्यान योग का साँस पर जोर देने से समझ आता है |
इन सब से अलग हमारे आज के निजी जीवन में ध्यान का अर्थ हर किसी के लिए अलग है | कुछ ध्यान का अर्थ मन को शांत करना मानते है, यह जानते हुए कि मन न कभी शांत हुआ है और न हो सकता है | ऐसा मानने वाले यह नहीं समझते कि मन भी हमारे शरीर की तरह भौतिक वस्तु है क्योंकि मन हमारे शरीर से ही जुड़ा हुआ है | जिस प्रकार शरीर को साधना मुश्किल है उसी प्रकार मन को साधना भी मुश्किल है |
कुछ लोग इसे जादुई ताकत या आनन्द पाने का रास्ता मानते हैं क्योंकि आज के समय का सबसे प्रभावी माध्यम, सोशल मीडिया में यही छाया हुआ है और जब हम सब जगह, एक ही तरह की बात सुनते हैं तब वह हमारे दिमाग या सोच में घर कर जाती है | इस में कोई शक नहीं कि ध्यान से जादुई ताकत पाई जा सकती है लेकिन यह ताकत हासिल करना एक आम इंसान के लिए एवेरेस्ट पर चढ़ने जैसा है | इससे भी बड़ी बात यह है कि जब यह ताकत हासिल होती है तब आपके लिए यह कोई मायने ही नहीं रखती, क्योंकि इससे आगे ही ईश्वर का द्वार देख आप आगे बढ़ जाते हैं | इस में भी कोई शक नहीं कि यह आनन्द का रास्ता है लेकिन इसका गलत मतलब निकाला जा रहा है | यह आनन्द वह आनन्द नहीं है जिसे आप आम जीवन में जानते हैं, यहाँ परमानन्द की बात हो रही है | वह आनन्द जो एक प्रेमी या भक्ति में डूबा इंसान महसूस करता है जैसे राधा या मीरा |
कुछ लोग इसे वास्तविक जीवन में आने वाली परेशानी और मुसीबतों का हल मानते हैं और कुछ यह जानने के लिए ध्यान करते हैं कि उनके साथ ऐसा या वैसा क्यों हो रहा है या हुआ है | इस में कोई शक नहीं कि जब ध्यान द्वारा आप वर्तमान में रहना शुरू करते हैं तब जीवन के काफी नजरिये बदलने लगते हैं | आपके साथ क्या और क्यों हो रहा है इसका भी ज्ञान, ध्यान द्वारा पाया जा सकता है लेकिन मुश्किल एक ही आती है कि आप सच जान कर भी सच मानने को तैयार नहीं होते हैं और न ही उस पर चलने को तैयार होते हैं | इसीलिए ध्यान में कहा जाता है कि ध्यान करते रहें | समय लगेगा लेकिन आप जब अभ्यस्त हो जायेंगे तब अपने आप ही अंदर बाहर सब बदलना शुरू हो जाएगा |
हम कभी भी वर्तमान में नहीं रहते | कभी अतीत या भूतकाल के विचार हमें विचलित करते हैं कि काश ऐसा हुआ होता या कर लेता या हो जाता तो कभी भविष्य के विचार हमें डराते या चिंतित करते हैं कि कल क्या होगा या हो सकता है | ऐसा भी फैला हुआ है या फैलाया गया है कि अतीत और भविष्य के विचारों से निजात पाने का सब से सरल उपाय मैडिटेशन है | शांति पाने और जल्द कुछ हासिल करने का उपाय मैडिटेशन है | जबकि ऐसे निजात पाने वाले मैडिटेशन कर और तड़फने लगते हैं | ऐसा क्यों होता है यह हम आगे आने वाले भाग में बताएँगे |
ध्यान निजात पाने का रास्ता नहीं बल्कि जूझन सीखने का रास्ता है क्योंकि ध्यान का सीधा-साधा अर्थ है कि अपने आपको या विचारों को वर्तमान क्षण में रहने के लिए प्रशिक्षित करने का प्रयास करना | ध्यान करते हुए हमें पहली बार पता लगता है कि मन कितना चंचल है | पहली बार पता लगता है कि शरीर और मन एक साथ लयबद्ध तरीके नहीं चलते हैं | पहली बार पता लगता है कि हमारी साँस कितनी उथली है, लयबद्ध तरीके से नहीं चलती है | यही सब हमें ध्यान सिखाता है कि कैसे वर्तमान में रहा जाए | ऐसा नहीं है कि हम ऐसा पहली बार कर रहे हैं लेकिन हमारा ध्यान कभी इस ओर गया ही नहीं कि जब हम खाने, खेलने, लिखने, देखने या किसी अन्य काम को करते-करते डूब जाते हैं तब हम सिर्फ वही कर रहे होते हैं जो वर्तमान में हमारे सामने होता है | यह भी एक तरह का ध्यान है क्योंकि उस समय हम केवल और केवल वर्तमान में होते हैं | अतः यह कह सकते हैं कि हर व्यक्ति ध्यान से पूरी तरह परिचित भी है और गाय-बगाय करता भी रहता है | यही कारण है कि हम बार-बार यह दोहराते रहते हैं कि इसे ख़ास क्रिया न बनाएं | ध्यान आपके जीवन में पहले से है बस इसे उसी तरह ले आगे बढ़ेंगे तो बहुत जल्द सफलता पा लेंगे |
अगले भाग में जानेंगे कि कौन मैडिटेशन कर सकता है और कौन नहीं कर सकता |