वजन शून्य – ध्यान विधि-1

विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 82

इस धरती पर हर पदार्थ का वजन है और हमारा भी है | यहाँ तक कि सूर्य की किरणों का भी वजन है | यह वजन क्यों है क्या कभी आपने जानने की कोशिश की है |

विज्ञान कहता है कि भार या वजन किसी वस्तु पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल है | द्रव्यमान(Mass) हमेशा समान रहता है, लेकिन किसी वस्तु पर कितना गुरुत्वाकर्षण कार्य कर रहा है, इसके आधार पर वजन बदल सकता है | एक और बात कि किन्हीं दो द्रव्यमानों में एक दूसरे के प्रति गुरुत्वाकर्षण आकर्षण होता है और द्रव्यमान जितना अधिक होगा, खिंचाव उतना ही अधिक होगा |

आध्यात्म या तंत्र में शरीर या अन्य के प्रति आकर्षण या लगाव को ही माया कहा जाता है | यदि इन से सम्बन्ध न रहे तो अध्यात्मिक क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ते हुए ईश्वर को पाया जा सकता है | समाधिवस्था में यही तो होता है | आप अपने आप को शरीर मानते हैं तभी सब बंधन, रिश्ते-नाते और आकर्षण यानि माया आपको जकड़े रहते हैं |

असल में आध्यात्म यह कहना चाहता है कि शरीर एक पदार्थ है और इसीलिए इसका वजन है | जब तक आपका सम्बन्ध आपके शरीर से है आप ध्यानावस्था में आगे नहीं बढ़ सकते | आपने महसूस भी किया होगा कि आपको ध्यानावस्था में जाने से आपका शरीर रोकता है यानि कहीं न कहीं परेशानी पैदा करता है और आपका ध्यान भटक जाता है | यदि आपका शरीर नहीं करता तो आपकी सोच आपको ध्यान नहीं लगाने देती | मन भी तो शरीर का ही हिस्सा है | आध्यात्म कहता है कि आप अपनी सोच और शरीर को ऐसे जानो और देखो कि आप उससे अलग हैं और वह कोई और है | आपने कभी यह जानने की कोशिश की इसका असल मतलब क्या है |

हमारे शरीर में एक शक्ति का ऐसा स्रोत है जो हमें जीवन देता है यानि जब तक वह है हम जिन्दा हैं यानि शरीर जिन्दा है | जब वह शक्ति हमारे शरीर से निकल जाती है तब हमारी मृत्यु हो जाती है | आप सही अंदाजा लगा रहे हैं | हम यहाँ आत्मा की बात कर रहे हैं | आत्मा यानि परमात्मा का एक अंश हमारे शरीर में है जो ईश्वर की तरह अनंत शक्तिमान है लेकिन हम उस शक्ति के स्रोत को केवल शरीर चलाने के लिए ही प्रयोग करते हैं | आत्मा पदार्थ नहीं है इसलिए उसका कोई वजन नहीं है |

यह सूत्र यही समझाने और बताने की कोशिश करते हुए एक ऐसी विधि बता रहा है जिससे आप बिना किसी ख़ास प्रयास के ध्यानावस्था को प्राप्त कर सकते हैं |

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