ks04-poster-scaled

निद्रा ध्यान विधि -3

निद्रा ध्यान विधि और मनोविज्ञान : भाग – 3

विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 75 & 86

 

आध्यात्म के अनुसार चेतना (consciousness) जागरूकता की चार अवस्थाएँ हैं। पहली जागृति यानि conscious state जब हम सोने की कोशिश कर रहे होते हैं | इस समय बाहरी वातावरण से धीरे-धीरे कटते जाते हैं | इसी अवस्था को मनोविज्ञान में NREM-N1 कहते हैं | दूसरी अवस्था है जब हम सो चुके होते हैं और हमें सपने आने शुरू हो जाते हैं | इस अवस्था में हम बाहरी वातावरण से करीब-करीब कट जाते हैं | इस अवस्था में हम वह देखते हैं जो हमें sub-conscious और unconscious mind दिखाने की कोशिश करता है | यह अवस्था मनोविज्ञान की NREM-N2 से थोड़ी भिन्न या अलग है | मनोविज्ञान कहता है कि इस अवस्था में हमें स्वपन नहीं आते जबकि आध्यात्म कहता है कि सपने आते हैं | तीसरी अवस्था, वह अवस्था है जब हम गहरी नींद में होते हैं | इस अवस्था में कुछ नहीं होता | इस अवस्था में हम उस अवस्था में पहुँच जाते हैं जहाँ द्वैत यानि दो नहीं होते | यहाँ केवल अंधकार और शून्यता होती है यानि अद्वैत | सब कुछ एक हो जाता है | इस अवस्था में हम पूरी तरह से बाहरी चेतनता से कट चुके होते हैं | यही वह अवस्था जिसे मैडिटेशन में पाने की कोशिश की जाती है | यह अवस्था मनोविज्ञान की NREM-N3 से पूरी तरह से मेल खाती है | चौथी अवस्था तुरिया अवस्था है जहाँ हम खो जाते हैं | तुरिया यानि चतुरिया यानि चौथी अवस्था जिस के बारे में काफी कुछ लिखा और कहा गया है | यह वह अवस्था है जिस में सत-चित्त-आनन्द की प्राप्ति होती है | इसी अवस्था में ईश्वरीय दर्शन होते हैं | यह मनोविज्ञान की super-conscious state यानि अतिचेतन अवस्था जिसे आध्यात्म में आत्मज्ञान की अवस्था भी कहा जाता है | यह अवस्था मनोविज्ञान की REM सी थोड़ी बहुत मिलती-जुलती है |

आध्यात्म कहता है कि हम जागृत अवस्था में कभी नहीं होते है | हम हर समय स्वपन लोक में ही विचरण करते रहते हैं | इसी सोच के मद्देनजर आध्यात्म कहता है कि यह संसार मिथ्या है, सब माया है | योगी ही असल में जागृत अवस्था में होता है क्योंकि वह ही जानता है कि इस संसार में सब ड्रामा चल रहा है | यह आप इस तरीके से भी समझ सकते हैं कि आप जब भी आँख बंद करें कोई न कोई बात या सोच स्वपन बन आ जाती है | हम फिल्म देखते हुए उस में खो जाते हैं या फिल्म या ड्रामा देखना हमें भाता है क्योंकि हमारे अंदर और बाहर भी हर समय ड्रामा चलता रहता है | हम इस के आदि हो चुके हैं | हमारा दिमाग इस अवस्था में ढल चुका है | लेकिन इस के बावजूद भी जब हम नींद में ज्यादा सपने देखते हैं तब परेशान हो उठते हैं | उस समय हम यह नहीं सोचते कि हमें सपने केवल और केवल इसलिए परेशान कर रहे हैं क्योंकि हम दुनियाबी बातों या सोच पर जरूरत से ज्यादा ध्यान दे रहे हैं | दिमाग सोच ज्यादा रहा है और यही कारण है कि जब हमारा इस दिमाग से नियंत्रण खोता है यानि हम जब सो जाते हैं या सोने की कोशिश करते हैं तब हमारा दिमाग वही सब जरूरत से ज्यादा दिखाता जो उस समय हम नहीं देखना चाहते हैं |

आइये अब हम सूत्र की तरफ बढ़ते हैं |

नींद न आना, अच्छी व् गहरी नींद न आना, सपने बहुत आना, जागने और सोने के बीच की स्थिति में भूत-प्रेत दिखना या डरावनी आवाजें आना या किसी के द्वारा पूरा हिला देना या शरीर का कोई अंग न हिला पाना या पैरों में या शरीर में अचानक भयंकर खुजली या दर्द होना आदि उन लोगों को होता है जो ज्यादा सोचते हैं या डर या शक मन में घर कर जाता है या मानसिक रोगी हैं लेकिन उनको होना जो मैडिटेशन करते हैं तो इसका मतलब है कि वह ज्यादा जोर दे रहे हैं या जल्द कुछ पाना चाहते हैं या मन अर्थात सोच से बचना चाहते हैं या सोच को जबरदस्ती दबा रहे हैं या फिर मैडिटेशन का गलत तरीका अपना रहे हैं |

हमारा दिमाग या मन या सोच एक तरह से देखने और करने पर सध चुका है | हम जब भी उस से अलग कुछ करने की कोशिश करते हैं, तब वह हमें करने नहीं देता | जैसे : सोने के लिए दायें या बायें करवट लेट कर दिन की कोई धटना या सपना लेने की कोशिश कर के देखियेगा | आप नहीं कर पायेंगे क्योंकि हमें सीधा देखने की आदत है | आप पीठ के बल सीधा लेट कर कोशिश करेंगे तो हो जाएगा | क्योंकि दिमाग में सीधा देखना ही स्टोर है | यही कारण ही कि हम मैडिटेशन नहीं कर पाते क्योंकि हर समय सोचना ही दिमाग में स्टोर है |

यह सूत्र सब के लिए है और सूत्र में बताई गई विधि अनुसार दिमाग में स्टोर आदत के सहारे ही आगे बढ़ते हुए ध्यान में जा कर, ध्यान के उच्च स्तर को पाया जा सकता है | थोड़ा समय अवश्य लगेगा और मार्ग दर्शन की भी आवश्यकता पड़ सकती है | यदि स्वयम भी कोशिश करते हैं तो भी अच्छा रहेगा |

इन दो सूत्र में बताई गई विधि अनुसार रात को सोने के समय पीठ के बल शव आसन (शरीरिक योगानुसार) में लेटें और सोने की कोशिश करें | कभी भी घटित अच्छे पल याद करें और उस सोच में खोने की कोशिश करें | ऐसा करते हुए आप चेतनता की पहली अवस्था से शुरू हो कर दूसरी अवस्था की ओर बड़ी आसानी से बढ़ सकते है | इसी अवस्था में हम सोने की कोशिश भी कर रहे होते हैं और हमें सपने या सोच भी आ रही होती है | इस अवस्था में हमारा बाहरी दुनिया से सम्पर्क टूट तो जाता है लेकिन हम आन्तरिक शरीर और मन के हवाले हो जाते हैं | यह सूत्र हमें चेताता है कि सोने के बावजूद हमें अपनी जागरूकता बनाए रखनी है | इस सूत्र के अनुसार हम वही करना शुरू करते हैं जैसा हमारा मन या दिमाग चाहता यानि सोचना शुरू कर दें | यहाँ केवल फर्क इतना है कि हम स्वयम सोचते और जागरूक रहते हैं और मन को हावी नहीं होने देते |

कुछ दिन या महीने के अभ्यास से आप उस पल की सोच से आगे बढ़ने की कोशिश में सफल हो जायेंगे यानि आप दूसरी और फिर तीसरी अवस्था की ओर बढ़ जाते हैं | जहाँ चारों तरफ़ अँधेरा, शन्ति तो होती है लेकिन आप और आपका शरीर नहीं होता | आप द्वैत से अद्वैत की ओर बढ़ जाते हैं | यह अवस्था चेतनता की तीसरी अवस्था है जिस में आप जागृत अवस्था में सो रहे होंगे | यह शून्य अवस्था मैडिटेशन में विरले लोगों को मिलती है जो इस विधि द्वारा बहुत आसानी से पाई जा सकती है |

ऐसी अवस्था में यदि नींद आ जाती है तो वह योग निद्रा है | सोते हुए भी यदि जागृत रहते हैं और उठने पर कुछ याद नहीं रहता है यानि कोई सपना नहीं आता है तब आप शून्य अवस्था से भी आगे बढ़ चुके हैं जो समाधि के बराबर की अवस्था है | इन दोनों ही अवस्था में जागने पर आप fresh एवम positive महसूस करेंगे जो दिनोंदिन बढ़ती जायेगी और सोच कम होती जायेगी |

यहाँ कुछ बातें ध्यान देने योग्य हैं :

1.आप सोने के लिए उस अवस्था का प्रयोग न करें जो आप रोजाना सोते हुए करते हैं | जो पेट के बल सोते हैं या दायें करवट या बायें करवट ले सोते हैं वह सब पीठ के बल शव आसन में सोने की कोशिश करें | पीठ के बल शव आसन में सोने का अलग से अभ्यास करें क्योंकि जिसे सीधा सोने की आदत नहीं है वह इस सूत्र का प्रयोग करते हुए ज्यादा देर सो नहीं पायेगा |

2.आपकी साँस धीमी गति से चलनी चाहिए और आप कोई भी positive या खुश होने वाली घटना को ही याद करते हुए आँख बंद कर उसका  रोजाना अभ्यास करें | इस घटना या वैसी कोई और घटना भी एक साथ याद कर सकते हैं लेकिन यहाँ यह ध्यान देना है कि आपका मन आपको कोई घटना याद न दिलाये | यदि ऐसा होता है तो आप बहुत जल्द भटक कर मन के चंगुल में फंस जायेंगे | लेटने से पहले आपको उन घटनाओं को याद करना है उन्ही पर केन्द्रित रहना |

3.कुछ दिन यह अभ्यास करते रहना है और फिर कुछ दिन के बाद उस घटना से आगे बढ़ना है जैसे आप फिल्म देखने के बाद करते हैं |

4.शून्य अवस्था हर इंसान की अलग-अलग समय पर आ सकती है | कुछ दिनों में तो कुछ महीनो में सफल होंगे | पहचान केवल इतनी है कि आपको उठने पर fresh लगे और यह भी लगे कि आप सोये थे कि नहीं | इसी के आगे की अवस्था तुरिया अवस्था है |

5. इस विधि को करते हुए कहीं भी जोर-जबरदस्ती नहीं करनी है और न ही मन के हवाले होना है | जो देखना या सोचना है वह सोने से पहले सोच कर सोचना है |

error: Copyright © Content !! Please Contact the Webmaster
Scroll to Top