निद्रा ध्यान विधि और मनोविज्ञान – भाग-2
विज्ञान भैरव तंत्र – सूत्र- 75 & 86
दोस्तों, हमारी ज़िन्दगी की सारी तो नहीं लेकिन काफी परेशानियाँ, मुसीबतें और रोग हमारी नींद और सोच से जुड़ी हुई हैं | जिन्हें ज्यादात्तर हम ही बुलावा देते हैं | इसके बावजूद हमारा ध्यान इन्हीं पर न जाकर हमेशा किसी दूसरे पर या वक्त या किस्मत पर ही केन्द्रित रहता है |
मनोविज्ञान के अनुसार यदि REM नींद से वंचित रहते हैं, तो हम रोजमर्रा की जिंदगी के महत्वपूर्ण कार्यों को करने में ज्यादात्तर असक्षम हो सकते हैं | यहाँ कुल मिलाकर मनोवैज्ञानिक यह कहना चाहते हैं कि सपने देखने से हमारा दिमाग और सोच शक्ति बढ़ती है जोकि हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में काफी सहायक सिद्ध हो सकती है |
कई संस्कृतियाँ, सपने देखना सही मानती रही हैं और उन पर कई किताबें भी लिखी गई हैं | एक प्रसिद्द मनोवैज्ञानिक का मानना था कि हम सपनों में अपनी उन दबी हुई इच्छाओं को पूरा करते हैं जोकि रोजमर्रा की जिन्दगी में पूरा कर पाना असम्भव होता है | उनके अनुसार ऐसा कर हम अपनी अतृप्त इच्छाओं से मुक्ति पा लेते हैं जिससे हमें दैनिक जीवन में दिमागी बोझ कम महसूस होता है | उनके अनुसार सपनों के वास्तविक अर्थ को अक्सर अचेतन मन द्वारा दबा दिया जाता है ताकि व्यक्ति को उन विचारों और भावनाओं से बचाया जा सके जिनका सामना करना कठिन होता है | उनके अनुसार मनोविश्लेषण या सपनों का विश्लेष्ण कर हम सपनों के वास्तविक अर्थ को उजागर करके, लोगों की स्वयं जनित समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और उन मुद्दों को हल कर सकते हैं जो उनके जीवन में कठिनाइयाँ पैदा कर रहे हैं |
दोस्तों, हम सोच को ठीक करने के बारे में पहले कई लेख में बता चुके हैं | इस लेख में हम नींद कैसे सही तरीके से लें या नींद के जरिये कैसे हम सोच और नींद को ठीक करें इस बारे में उपाय बताएँगे | मनोविज्ञान भी यही कहता है कि अच्छी नींद हमें बहुत से मानसिक और शरीरिक रोगों से न सिर्फ बचा सकती है बल्कि परेशानियाँ या रोग ठीक भी किये जा सकते हैं और साथ ही साथ अच्छी सोच और रोगमुक्त जीवन से रोजमर्रा की जिन्दगी में सफलता की ऊँचाई भी छूई जा सकती है |
इस में कोई शक नहीं कि मनोवैज्ञानिक काफ़ी हद तक इंसानी मानसिक स्थिति का विश्लेष्ण कर पाने में सक्षम हो चुके हैं | लेकिन वह वहीं तक सफल हैं जहाँ तक यह भौतिक शरीर, सोच और शक्ति है | हमारे हिसाब से मनोविज्ञान भारतीय परिवेश में पूरी तरह से सफल न हो पाया है और न हो पायेगा | मनोविज्ञान जब तक भारतीय आध्यात्म, सोच और रहन-सहन के अनुसार बदलाव नहीं करेगा तब तक भारत में पूरी तरह से सफल हो पाना असम्भव है |
दोस्तों, मनोविज्ञान की तरह आध्यात्म में भी नींद की चार अवस्था या चरण हैं | आध्यात्म में N1-N3 कुछ फर्क के साथ हैं जबकि चौथा चरण बिलकुल अलग है और मनोविज्ञान का चौथा चरण(REM) आध्यात्म में बिलकुल वैसे का वैसा पाँचवा चरण है लेकिन इस के बारे में गाय-बगाय ही बताया गया है, क्योंकि आध्यात्म इसे चरण न मानकर शरीरिक कमी बताता है |
मनोविज्ञान और आध्यात्म दोनों ही यह मानते हैं कि REM में हम नींद और जागृत अवस्था के बीच में होते हैं तभी तो जागने पर हमें स्वपन याद रह जाते हैं जबकि N2, N3 में भी स्वपन आते हैं जोकि न के बराबर याद रह पाते हैं |
भारत की अपेक्षा विदेशी, नींद न आने यानि अनिद्रा से ज्यादा परेशान रहते हैं | अब कुछ वर्षों से यह समस्या भारत में भी अपने पैर पसारने लगी है क्योंकि हमारे कार्य का समय, सोच और समझ विदेशी परिवेश में न चाहते हुए भी ढलती जा रही है | विदेशी, भारत की ओर इसी कारण आकर्षित हो रहे हैं क्योंकि वह अपनी सोच, समझ और कार्य प्रणाली के बुरे प्रभाव देख चुके हैं | उन्हें भारतीय समाज, सोच-समझ और कार्य प्रणाली ही सबसे उत्तम और ठीक लगने लगी है और हमें उनकी | समय का फेर है और कुछ नहीं |
अमेरिका में एक स्लीप फाउंडेशन है जोकि नींद कैसे सही ढंग से ली जाए या कैसे अनिद्रा से बचा जाए उसके उपाय बताती है | उनके अनुसार : बिस्तर और शयनकक्ष का उपयोग केवल सोने और सेक्स के लिए करें | दिन के समय बिस्तर पर समय न बिताएं | सोने के समय की नियमित दिनचर्या और सोने-जागने का नियमित कार्यक्रम बनाएं | नींद न आये या आती है तो इस बारे में ज्यादा न सोचें | सोने से पहले बहुत अधिक न खाएं या पियें | नींद को बढ़ावा देने वाला वातावरण बनाएं जो अंधेरा, ठंडा और आरामदायक हो | नींद खराब करने वाली आवाजों से बचें | कैफीन का कम या बिल्कुल भी सेवन न करें, विशेषकर दिन के अंत में | शराब और निकोटीन से बचें, खासकर सोने से पहले | व्यायाम करें, लेकिन सोने से 3 घंटे पहले नहीं | झपकी लेने से बचें, विशेष रूप से देर दोपहर या शाम को आदि आदि |
क्या हम यह सब कर पायेंगे ? अब आप ही सोचिये कि क्या विदेशी सोच या उपाय या तरीका हम पर कारगर सिद्ध हो सकता है ?
दोस्तों, भारतीय परिस्थितियों में मनोविज्ञान के अनुसार बताई गई NREM और REM में REM या तो बहुत बार आएगा या फिर सोने की अवधि में REM दो या तीन बार ही आएगा | मनोविज्ञान द्वारा बताया गया चक्र या चरण हर 90 मिन्ट के बाद बदलने वाला शायद नहीं होगा | क्योंकि हमारा रात के समय सोने का तरीका, परिस्थिति और दैनिक जीवन की परेशानी या पारिवारिक स्थिति विदेश से बिलकुल मेल नहीं खाती है |
दोस्तों, यदि आप पिछले 15 से 20 साल पहले, सोने का समय और अच्छी नींद का हिसाब-किताब, आज के समय से लगायें तो आपको खुद ही समझ आ जाएगा कि बदलाव धीरे-धीरे तेजी पकड़ रहा है और मेरी निजी राय में यह बदलाव अगले 10 से 15 साल में बहुत ही भयावह स्थिति में पहुँच जाएगा | जहाँ हम विदेश में नींद से परेशान रहने वाले लोगों से बहुत आगे निकल जायेंगे | हमें इस परिस्थिति में पहुँचाने वाले कारण बहुत हैं, जिनके बारे में आप सब स्वयम ही जानते हैं | हम उन कारणों की बात यहाँ नहीं करेंगे बल्कि उनकी बात करेंगे जिन से हम अच्छी नींद ले पायें |
योग में बहुत आसान बताये गए हैं जोकि सोने से पहले किये जा सकते हैं और उनके फायदे भी हैं | आध्यात्म के अनुसार यदि हम कम नींद भी लेते हैं तो भी शरीर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा बशर्ते कि वह नींद योग निद्रा हो | यहाँ आध्यात्म हमें गहरी से गहरी नींद लेने को प्रेरित कर रहा है जिससे हमारे शरीर को पूर्ण आराम मिले और सोते हुए शरीर ने जो भी रिपेयर का काम करना है वह कर ले ताकि नींद से जागने पर हम शरीरिक और मानसिक तौर पर पूरी तरह से स्वस्थ्य उठें |
आज के समय में सोशल मीडिया में इतना कुछ बोला जा रहा है जिस से अच्छा होने की बजाय खराब ज्यादा हो रहा है | ऐसे बहुत से लोगों से मैं मिल चुका हूँ जिन्हें REM की स्थिति में भूत-प्रेत दिखते हैं या फिर उनकी आवाजे सुनाई पड़ती हैं या फिर उन्हें ईश्वर के दर्शन होते हैं या फिर आसमानी परी या देव दिखते हैं | ऐसे लोग पहले तो परी या देव देख बहुत खुश होते थे लेकिन अब वह REM से परेशान हैं | ऐसे ज्यादात्तर लोग वह हैं जो मैडिटेशन करते हैं या सोते हुए मैडिटेशन करते हैं या फिर मैडिटेशन से कुछ पाने या आसामानी या ईश्वरीय शक्ति पाना चाहते हैं या फिर बहुत ज्यादा और जल्दी सब कुछ पाना चाहते हैं |
उपरोक्त परेशानी से जूझते वह लोग जोकि मैडिटेशन नहीं करते हैं, उन्हें यदि ऐसी परेशानी होती है तो वह भूत-प्रेत या नजर लगने या किसी के किये-कराये पर ज्यादा विश्वास करते हैं या फिर मानसिक परेशानी से जूझ रहे होते हैं या फिर किसी भी विषय पर बहुत ज्यादा बेवजह सोचते हैं |
खैर, जो भी हो या जैसा भी कर रहे हो या सोच रखते हो | योग या आध्यात्म या तंत्र योग में सब का ईलाज है बशर्ते की बिना किसी उम्मीद या पाने की इच्छा से किया जाए | योग निद्रा से सब कुछ स्वयम हल होने लगता है | आपको अपनी सोच-समझ या ढंग या कार्य प्रणाली को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है | सब कुछ स्वयम बदलने लगता है | आपको बस अच्छी नींद लेने की ओर बढ़ना है…..
आध्यात्म में योग निद्रा का महत्त्व क्यों है ? आइये जानें :
आध्यात्म के अनुसार यदि हम सोने से पहले ध्यान करते हैं या ध्यान करते हुए सोते हैं तब हम कुछ समय के अभ्यास के बाद योग निद्रा का अनुभव कर सकते हैं |
अगले भाग में इस सूत्र में बताये गए तरीके को समझेंगे |