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सबक तो सिखाना होगा

दोस्तों, आज के समय में यह बात आपने आम सुनी होगी कि जो भी आपकी भावनाओं से खेले उसे बर्बाद कर दो या उसे सबक जरूर सिखाना चाहिए | दोस्तों, फीलिंग्स के साथ कोई भी खेल सकता है फिर चाहे लड़का हो या लड़की | प्रेम करते हुए झूठे वादे करना या बहुत समय बाद अचानक सच्चाई बता कर अलग हो जाना धोखा है इसमें कोई शक नहीं |

आइये और इसी सोच पर आधारित कहानी पढ़िए :

सुरभि और हितेश की दोस्ती कॉलेज से शुरू हो कब प्यार में बदल गई दोनों को पता ही नहीं लगा | दोनों का प्रेम-सम्बन्ध लगभग तीन साल से चल रहा था | लेकिन पिछले तीन-चार महीने से दोनों में कई बार आपसी लड़ाई-झगड़ा हुआ था | ऐसा नहीं है कि उनका लड़ाई-झगड़ा पिछले तीन साल के प्रेमालाप में नहीं हुआ | लेकिन इस बार कुछ अलग ही चल रहा था | लड़ाई-झगड़ा थमने का नाम ही नहीं ले रहा था | पिछले एक महीने से तो उनकी आपस में बात-चीत भी नहीं हुई थी | परेशान दोनों ही थे लेकिन मुद्दा कुछ ऐसा था कि वह आपस में बात-चीत से खत्म होने वाला नहीं था |

सुरभि की ले-दे कर कॉलेज की एक ही सहेली अनु थी | अनु उन दोनों के प्रेम सम्बन्ध के बारे में कॉलेज के समय से जानती थी | अतः जब सुरभि को कोई हल नहीं सूझा तो एक दिन उसने सारी बात अनु को बता दी | अनु, सुरभि की बात सुन कर बोली कि ज़िन्दगी में कई बार ऐसा होता है कि हल सामने होता है लेकिन दिखता नहीं है और वो दिखता है जो होता ही नहीं है | कोई बात नहीं तू कल तैयार रहना हम रामू काका के पास चलेंगे वह सब साफ़-साफ़ दिखा भी देंगे और समझा भी देंगे | अगले ही दिन शाम को दोनों रामू काका से मिलने उनके घर पहुँच जाती हैं |

सुरभि अपनी सारी कहानी बिना किसी लाग-लपेट के काका को सुना देती है | काका कुछ देर मुस्कुराने के बाद गंभीर स्वर में बोले ‘बेटा तुम कह रही हो कि तुम्हें ऐसा लगता है कि हितेश तुम्हें धोखा दे रहा है | अगर ऐसा होता तो वह तुम्हें हर बात क्यों बताता | जब वह अपने व्यवहार के बारे में या अपने बारे में सब बताता था तब तुम ने उसे कुछ ख़ास कहा नहीं और अब तुम उन्ही बातों पर उसकी टांग खींच रही हो या उस पर शक कर रही हो | ये बात तो बहुत गलत है | अगर वह धोखा देने वाला होता तो तुम्हें अपनी सोच, व्यवहार और आदत के बारे में नहीं बताता | हाँ, तुम ये भी कह सकती हो या सोचती होंगी कि उस ने यह बातें बताई नहीं मैंने उस से उगलवाई हैं | क्यों सही बात है न’, कह कर रामू काका सुरभि को देखते हैं | सुरभि को हाँ में सिर हिलाते देख वह एक बार फिर से बोले ‘बेटा जब वह नौकरी की तलाश कर रहा था और उसी समय उसके पिता का निधन हुआ तो तुमने उसकी व उसके परिवार की मानसिक रूप से व पैसे से बहुत मदद की और उस ने भी जब नौकरी लगी तो सारे पैसे लौटा दिए और जब तुम पारिवारिक क्लेश और ऑफिस की पॉलिटिक्स से झूझ रही थी तो उसने भी तुम्हारी हर तरह से मदद की और तुम्हारे गुस्से व खीज को हँसते-हँसते झेला | अब जब दोनों तरफ सही चल रहा है और वह कह रहा है उसे एक अच्छी नौकरी और घर बदलना है उसके बाद वह शादी करेगा तो तुम्हें लग रहा है कि वह तुम्हें धोखा दे रहा है क्योंकि तुमने उसे कई बार ओर लड़कियों के साथ देखा है….’, सुरभि हैरान होते बीच में ही बोल उठी ‘काका आपको कैसे पता लगा | मैंने तो ये बातें आपको बताई भी नहीं थीं’ |

काका मुस्कुराते हुए बोले ‘बेटा तुम्हें अनु ने बताया नहीं कि मैं सब कुछ जानता हूँ | खैर, मैं मजाक कर रहा था | बेटा मैं चेहरा पढ़ दिल का हाल जान जाता हूँ | तुम्हारे बताने या न बताने से कोई फर्क नहीं पढ़ता | खैर, बेटा उड़ने वाले पंछी को कभी पिंजरे में बंद नहीं करना चाहिए | प्रेमी और प्रेमिका या पति और पत्नी का प्रेम उड़ता पंछी है जो आसमान की हर ऊँचाई छू सकता है और प्रेम या सम्बन्ध का हक जमाना पिंजरे के समान है | अब तुम ही फैसला करो कि तुम्हें प्रेमी चाहिए या सीखा-सिखाया जानवर चाहिए | तुम्हें साथी चाहिए या पिंजड़े में कैद पंछी चाहिए | हाँ, तुमने जो कुछ भी मुझे बताया या नहीं बताया और तुम्हारी बात सुन जो कुछ मैं समझ पा रहा हूँ उससे मैं ये कह सकता हूँ कि वह धोखेबाज नहीं है | हाँ, इंसान कुछ समय के लिए बहक सकता है यह हर इंसान की फितरत है | ऐसे में दूसरे साथी का फर्ज है कि वह उसका साथ दे ताकि उसके बहकते कदम वापिस आ जाएँ | बेटा negativity से negativity ही जन्म लेगी | अगर तुम कहती हो कि वह भटक रहा है तो इसका मतलब है वह negativity में फंस गया है | ऐसे में तुम शक कर negativity को और बढ़ा रही हो | ऐसे में प्यार बढ़ाओ, positivity बढ़ाओ और अपने अंदर कशिश पैदा करो कि उसमें पैदा हुई negativity को तुम्हारी positivity निगल जाये | वैसे मेरा अनुभव कहता है कि जैसा तुम सोच रही हो वैसा नहीं है लेकिन फिर भी यदि तुम सम्बन्ध आगे चलाना चाहती हो तो फिर वही करना चाहिए जो मैं कह रहा हूँ | और रही बात तुम्हारी कि हितेश तुम्हें धोखा दे रहा है तो तुम्हें उसे बर्बाद करना चाहिए कि नहीं ? बेटा यह बात उन सम्बन्धों के लिए सही साबित होती है जो कुछ महीनों के होते या फिर तुम उसे या उसके परिवार को न जानती होती | उसकी हर बात यदि झूठ पर टिकी होती तो तुम्हें अवश्य ऐसा ही करना चाहिए था | तुम हितेश और उसके परिवार को पिछले पाँच साल से जानती हो ऐसे में तुम्हारा ऐसा सोचना भी पाप है | इसमें भी कोई शक नहीं कि ये जमाना धोखेबाज और मुखौटा लगाये लोगों से भरा पड़ा है और ऐसे लोगों को अवश्य ही सबक सिखाना चाहिए | इसीलिए तो मैं हर किसी को कहता हूँ कि जिन्दगी भर के सम्बन्ध बनाने से पहले प्रेम सम्बन्ध को कम से कम चार-पाँच साल अवश्य देने चाहिए और आँख और कान खुले रखने चाहिए | प्रेम सम्बन्ध में हर समय दिल की नहीं कभी-कभी दिमाग की बात भी सुननी चाहिए’ |

यह सुन सुरभि उठ कर काका के पैर छू कर बोली ‘काका धन्यवाद, मुझे सब समझ आ गया | अच्छा अब चलती हूँ’, कह कर वह ख़ुशी-ख़ुशी अनु के साथ बाहर की ओर चल देती है

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