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नजरिया अपना-अपना

दोस्तों, बहुत बार ऐसा होता है कि लक्ष्य तो आप ठीक चुन लेते हैं लेकिन रास्ता दूसरों को देख कर अपनाते हैं जिस कारण आपको लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती है | जब आपको असफलता हाथ लगती है तब भी आप को यह समझ नहीं आता है कि असफलता आपके हाथ क्यों लगी | आप छोटे-मोटे बदलाव कर एक बार फिर से उसी रास्ते पर चल पड़ते हैं और फिर वही होता है जो आपके साथ पहले हुआ था |

आइये और इसी सोच पर आधारित  कहानी पढ़िए :

रामू काका घर से बाहर निकलते हुए देखते हैं कि रमेश तेजी से उनके घर की ओर ही आ रहा था | रमेश की नजर जैसे ही रामू काका पर पड़ती है तो वह लगभग भागते हुए रामू काका के पास पहुँच, काका के पैर छूते हुए बोला ‘काका आप कहीं बाहर जा रहे हैं | काका मुस्कुराते हुए बोले ‘हाँ, जा तो रहा हूँ’ | रमेश हाँ में उत्तर सुन बुझे दिल से बोला ‘अच्छा’ | काका, उसका हताश चेहरा देख मुस्कुराते हुए बोले ‘क्या बात है बहुत दिन के बाद आये ? फैसला नहीं कर पा रहे थे कि अब आगे क्या और कैसे करना है’ ? रमेश सिर झुका कर बोला ‘जी, बस इसी विषय में बात करने के लिए आप से मिलने आया था’ | रामू काका आगे बढ़ते हुए बोले ‘आओ, गाड़ी में चलते हुए बात कर लेते हैं | रास्ते में तुम जहाँ कहोगे वहाँ छोड़ दूंगा’ | रमेश खुश होते हुए बोला ‘जी, ये अच्छा रहेगा’ |

गाड़ी स्टार्ट करते हुए काका बोले ‘तुमने अपने पिता और दोस्त की बात को मानकर जब अपने प्लान में बदलाव करने का मन बना ही लिया है तो फिर मुझ से क्या पूछने आये हो’ | रमेश हैरान होते हुए बोला ‘आपको कैसे पता लगा कि मैंने उन दोनों के सुझाव मान कर अपने प्लान में बदलाव किया है’ ? रामू काका हँसते हुए बोले ‘मैंने तो तुम्हें पहले ही बोला था कि कभी-कभी तुक्का फिट हो ही जाता है | खैर, तुम ये सब छोड़ो और ये बताओ कि मुझ से क्या पूछने आये हो’ ? रमेश सकपकाते हुए बोला ‘काका मैंने अपने माता-पिता और दोस्त दोनों से बात की | मुझे जान कर हैरानी हुई कि वह लोग मुझे, मुझ से भी अच्छी तरह से जानते हैं | उनका कहना था  कि मैं competitive exam की पढ़ाई पर बहुत ज्यादा ध्यान दे रहा हूँ जिस कारण से पढ़ाई कम और stress ज्यादा हो रहा है | मैं हर बार वही रास्ता चुन रहा हूँ जिस पर पहले चल रहा था | मुझे कुछ बदलाव करना चाहिए | बस यही पूछने आया हूँ कि क्या और कैसे बदलाव करूँ’ |

रामू काका गाड़ी चलाते हुए गंभीर स्वर में बोले ‘अब तुम सही रास्ते पर आये हो | सुन कर बहुत अच्छा लगा | बेटा जब तुमने competitive exam में भाग लेने का लक्ष्य रखा तब तुम्हे ये तो पता ही था कि दस हजार में कोई एक या दो लोग ही पास हो पाते हैं | तुम उन एक या दो में हो भी सकते हो और नहीं भी | अतः इस passing percentage को देखते हुए मेरी राय में तुम्हे एक backup plan भी साथ लेकर चलना चाहिए था जैसे उससे किसी छोटे लेवल का exam या qualification में साथ के साथ addition भी करते चलना चाहिए था | यह पहले भी कर सकते थे और अब भी कर सकते हो | पहले करते तो आज तुम पोस्टग्रेजुएट होते | खैर अब इस प्लान के साथ इसे जोड़ लो | बेटा psychology कहती है कि लम्बी अवधि में पढ़ने की बजाय छोटी-छोटी अवधि में पढ़ना लाभदायक होता है | हर दो से तीन घंटे बाद आधे या एक घंटे का अंतराल देना अच्छा रहता है | इससे दिमाग पर stress भी नहीं पड़ता और गैप देने से दिमाग रिफ्रेश भी होता रहता है | पहले पढ़े lesson के प्रश्न बना कर कुछ अंतराल के बाद उसे हल करो | जो भी रिजल्ट चाहते हो वह जब तक नहीं आ जाता उस दिन उसी को बार-बार करो | उस दिन desired result मिलता है या नहीं लेकिन अगले दिन नया lesson या subject ही लेना चाहिए | याद न होने वाले lesson को चार-पाँच दिन के बाद दुबारा से शुरू करो | और इसके इलावा body और mind को refresh करने के लिए रोजाना शरीरिक योग जैसे प्राणायाम और मैडिटेशन अवश्य करो | और बेटा पढ़ने के ईलावा मनोरंजन का समय भी अवश्य रखो चौबीस घंटे में जितना देर भी पढ़ते हो उसका दस से पंद्रह प्रतिशत अवश्य होना चाहिए | यदि तुमने ये सब अपने प्लान में जोड़ लिया तो अवश्य ही सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी | बेटा एक बात और ध्यान रखना कि ये बातें सिर्फ competitive exam पर ही लागू नहीं होती बल्कि ज़िन्दगी के किसी भी क्षेत्र में कैसा भी challenge आये उन सब पर लागू होंगी | इसलिए इन सब को अपनी ज़िन्दगी में सदा के लिए जोड़ लोगे तो कभी मात नहीं खाओगे’ |

रमेश खुश होते हुए बोला ‘जी बिलकुल’ |

काका मुस्कुराते हुए बोले ‘अब बताओ तुम्हें कहाँ उतरना है’ |

रमेश अनमने भाव से बोला ‘काका बस अगले मोड़ पर रोक दीजियेगा’ |

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