digital art, couple, silhouettes-398342.jpg

प्रेम, आकर्षण और धोखा-8

पिछले भाग में हमने रोना आने का एक और कारण भी बताया था | वह कारण है कि हम हर सम्भव कोशिश करते हैं लेकिन हमें सफलता नहीं मिलती है | जब हमारा हर प्रयत्न सफलता नहीं देता है तब हमारे पास रोने के इलावा और कोई उपाय नहीं रह जाता है | हम ऐसा कर अपने आप को कुछ हद तक हल्का महसूस करते हैं | असफलता किसी भी विषय में हो सकती है वह प्यार में भी हो सकती है | असफलता अच्छे सम्बन्ध बनाने में भी हो सकती है और वह नौकरी या अच्छी नौकरी या अच्छा पद पाने के लिए भी हो सकती है |

खैर, हम यहाँ असफलता की बात करेंगे चाहे वह किसी भी विषय में हो | क्योंकि असफलता के कुछ कारण हर विषय में एक से ही होते हैं | असफलता का मुख्य कारण जिससे हम में रोष या गुस्सा पैदा होता है जो हमें मजबूर करता है रोने के लिए वह है कि हम कर्म से ज्यादा फल पर उम्मीद लगाते हैं | जब हमें मनोवांछित फल नहीं मिलता है तब हम अपने आप को कोसते हैं | यदि हम आपने आप को कोसते हैं तो इसका मतलब है कि हम कहीं न कहीं अपने आप को दोषी मानते हैं जोकि कल हमें सफलता की ओर प्रेरित कर सकता है | लेकिन अगर हम परिस्थिति को दोषी मानते हैं या हम दोष किसी और पर मढ़ते हैं तो यह हमारे अंदर नकारात्मक भाव को पैदा करता है | इसका सीदा-सीदा अर्थ है कि अगर कल हम कोई प्रयास करेंगे तो हम अपना पूरा जोर नहीं लगा पायेंगे | और जब जोर पूरा नहीं होगा तब हमें सफलता मिलने के चांस भी लगभग आधे से कम हो जायेंगे |

आइये पहले हम प्यार या रिश्तेदारी या दोस्ती में असफलता के कारण जानने की कोशिश करते हैं | एक बात गाँठ बाँध लीजिये कि हर कारण में उपाय भी छुपा होता है लेकिन हम कारण को नकारात्मक भाव से देखते हैं इसीलिए हमें उस कारण को दूर करने का उपाय नहीं सूझता है | दोस्तों, आपका अपने शरीर और सोच पर किसी तरह का कोई भी नियंत्रण नहीं है तो फिर आप दूसरे की सोच पर काबू क्यों पाना चाहते हैं ? आप कभी भी किसी दूसरे को खुश नहीं कर सकते हैं क्योंकि हर व्यक्ति अंदरूनी रूप से ही खुश होता है | आप इसे इस तरह से भी समझ सकते हैं कि जब किसी व्यक्ति में आपके प्रति रोष है अर्थात वह आपके प्रति नकारात्मक भाव में है | ऐसे में आपका प्रयास उसे खुश कर भी सकता है और नहीं भी कर सकता है | अगर वह खुश होगा तो वह ख़ुशी कुछ ही समय की होगी या वह उस ख़ुशी में भी कोई न कोई कमी निकाल देगा | जिसे सुन कर आपको अपने किये प्रयास पर दुःख होगा | जबकि आपको ऐसा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि आप उस दूसरे की मनःस्थिति जानते हुए प्रयास कर रहे थे | ऐसे में तो आपको अपनी सोच पर नियंत्रण रखते हुए बिना फल की इच्छा किये कर्म करते रहना चाहिए | दूसरा व्यक्ति जब आपको बिना दुःख मनाये लगातार कर्म करते देखेगा तो वह अपनी सोच या नकारात्मक भाव को बदलने की कोशिश अवश्य शुरू करेगा | और ऐसा भी हो सकता है कि वह आपको और दुःख पहुँचाने की कोशिश करे लेकिन आप तो उसके भाव से परिचित होकर ही कर्म या प्रयास कर रहे हैं | अतः आपको अपने कर्म पथ से विमुख या छोड़ना नहीं होना चाहिए |

यदि कर्म करते हुए आपके अंदर लगातार नकारात्मक भाव उत्पन्न हो रहा है या हर बार आपको कर्म करने के बाद दुःख हो रहा है | तब ऐसी स्थिति में आपको वह कर्म नहीं करना चाहिए | क्योंकि इससे आपके अंदर नकारात्मक भाव अपनी पैठ बना लेगा | ऐसे में सम्बन्ध और भी जल्दी खराब हो जाएंगे क्योंकि दूसरा व्यक्ति तो पहले से ही आपके प्रति नकारात्मक भाव लिए बैठा है | और ऐसे में यदि आपके अंदर भी नकारात्मक भाव आ गये जोकि आने निश्चित हैं तो फिर ठीक होने के चांस बिलकुल ही खत्म हो जाएंगे | आपका सकारात्मक भाव बिना प्रयास के भी दूसरे को प्रभावित कर सकता है | आध्यात्म भी कहता है और आज का विज्ञान भी कहता है कि हमारा शरीर हर समय वाइब्रेशन छोड़ता रहता है और वह वाइब्रेशन यदि पॉजिटिव है तो दूसरा अवश्य प्रभावित होगा | अतः आप पॉजिटिव रहने की कोशिश करिए चाहे वह कर्म के साथ हो या बिना कर्म किये हो | सफलता मिलेगी और अवश्य मिलेगी |

अब हम कारण जानने की कोशिश करते हैं कि आप क्यों उच्च शिक्षा, नौकरी, नौकरी के लिए एग्जाम या बिज़नेस में असफल हो जाते हैं या लगातार असफल हो रहे हैं | असफलता का क्या कारण है ? यदि इस असफलता का कारण आप से पूछा जाए तो आप क्या जवाब देंगे ? यदि आप ये कहते हैं कि आपने हर सम्भव प्रयास किया फिर भी सफल नहीं हो पाए तो इसका अर्थ है कि भविष्य में भी आपके हाथ असफलता ही लगेगी | क्योंकि आपने अपने प्रयास की सीमा बाँध ली है | आप उससे ज्यादा नहीं कर पा रहे हैं, इसीलिए तो आपने कहा कि हर सम्भव प्रयास किया | और आपके सम्भव प्रयास से ज्यादा की जरूरत थी तभी तो आप असफल हो गये हैं | अतः प्रयास की कभी कोई सीमा न बांधे |

यदि आप कहते हैं कि प्रयास तो काफी किया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी तो इसका अर्थ है कि अंतर्मन से आप जानते या मानते हैं कि और ज्यादा प्रयास की जरूरत थी लेकिन आप कर नहीं पाए | यानि आप कर सकते हैं और करना चाहते हैं | यह सकारात्मक सोच है जो भविष्य में आपको सफलता दिला सकती है |

यदि आप अपनी असफलता का कारण किन्ही बाह्रय कारणों या परिस्थितियों को मानते हैं तो भविष्य में आपकी सफलता के चांस लगभग शून्य हैं | क्योंकि कल जो कारण या परिस्थिति थी वो आने वाले कल में उस तरह या किसी अन्य तरह की हो सकती है | अतः ऐसे व्यक्ति का सफल होना लगभग शून्य है | कारण या परिस्थिति को कभी दोष न दें | दोष केवल स्वयम में खोजें तभी सफलता मिलेगी |

error: Copyright © Content !! Please Contact the Webmaster
Scroll to Top