दोस्तों, आज का लेख उनके लिए है जिन्हें प्यार में धोखा मिलता है या उनका प्यार असफल हो जाता है या रिश्ते में खटास बढ़ती ही जा रही है : वह रिश्ता कोई-सा भी हो सकता है | और फिर शुरू होता है दिमागी असंतुलन जो कई गलत सोच और बीमारियों को जन्म देता है |
दोस्तों, प्रेम या प्यार बहुत ही आध्यात्मिक शब्द है जो आगे चल कर भक्ति-योग को जन्म देता है और फिर शुरू होती है एक ऐसी यात्रा जहाँ चारों ओर प्रेम ही प्रेम होता है | लेकिन आज प्रेम और प्यार बहुत ही निचले स्तर पर पहुँच चुका है | हम सब ऐसे ही प्रेम या प्यार को जानते हैं | हम इसी को प्रेम की परिभाषा में परिभाषित करते हैं | खैर, जब हम इस स्तर पर पहुँच ही चुके हैं तो पहले इसी प्रेम की बात करते हैं |
आज का प्रेम, प्रेम नहीं एक आकर्षण है | एक समझौता है | एक लड़के ने लड़की को देखा, उसे वह अच्छी लगी और वह उसकी ओर आकर्षित हो गया | वह उस से मिलने और बात करने को आतुर हो जाता है | कोई भी बहाना या फिर किसी भी स्तर पर जाकर वह उसे पाना चाहता है | एक लड़के का एक लड़की के प्रति आकर्षित होना सामान्य बात है | उस लड़की को पाने की चाहत रखना वैसे तो असामान्य बात है लेकिन अभी हम उसे सामान्य मान कर चलते हैं | लेकिन उसे पाने के लिए कुछ भी कर गुजरना बिलकुल असामान्य बात है | एक लड़के का एक लड़की की ओर आकर्षित होना और उसे पाने की चाहत रखना हमने इसलिए सही कहा क्योंकि आज सस्ता साहित्य और फिल्मों में कुछ ऐसा ही दिखाया जाता है जिससे प्रेरित हो आज की युवा पीढ़ी भटक रही है | अपना बनाने या पाने की चाहत रखना ही सारे झगड़े की जड़ है |
हम ने बचपन से सीखा और सिखाया है कि सपने देखो तो उन्हें पूरा करने की हिम्मत भी रखो | कुछ पाने की चाहत रखोगे तभी कुछ मिलेगा | पहले कहा जाता था कि जितनी चादर हो उतने पैर पसारो लेकिन वक्त के साथ ये कहावत बदल चुकी है | अब हर माँ-बाप अपने बच्चों को शिक्षा देते मिल जाएंगे कि ऊँचा सोचो और मेहनत में जुट जाओ | जितना है उससे आगे बढ़ो | अपने लक्ष्य बड़े रखो और उसे पूरा करने के लिए जो सम्भव हो सके वह करो | यह सब क्यों कहा जा रहा है क्योंकि हमारी सोच में परिवर्तन हो रहा है | हमारी सोच में परिवर्तन के कई कारण हैं | ज्यादा जनसंख्या होना भी उसमें एक कारण है क्योंकि अवसर कम और लोग ज्यादा हैं | इस कारण competition दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है | बचपन से बच्चों को एक ऐसी अंधी दौड़ में झोंक दिया जाता है जहाँ से वह सारी जिन्दगी बाहर ही नहीं निकल पाते हैं |
आप आज हर छोटे से छोटे बच्चे को किसी न किसी चीज या बात के लिए जिद्द करते देखगें | बचपन से पढ़ाई में अव्वल आने की इच्छा, नौकरी पाने के लिए लक्ष्य को पूरा करने की इच्छा अब उसमें ऐसी घर कर गई है कि अब वह जवान होकर इसे रिश्तों में भी प्रयोग करने लग गया है | आज हम ऐसे जवान हुए बच्चे को सही दिशा देने की बजाय उन्हें कोस रहे हैं | जबकि इस सब के हम खुद जिम्मेदार हैं |
हम अब आकर्षण और प्यार के बीच की दूरी समझ ही नहीं पा रहे हैं | दोस्तों, प्यार दिन-ब-दिन बढ़ता है और आकर्षण कुछ समय बाद धीरे-धीरे खत्म होने लगता है | यह आज सब रिश्तों में हो रहा है | यह आज सब बात और काम में हो रहा है | आपको आज जो चीज अच्छी लगती है आप उसे खरीद लेते हैं और फिर कुछ समय बाद आप उसे फेंक देते हैं क्योंकि उससे अच्छी और ऊँची चीज बाजार में आ गई है | रोज बाजार में नई से नई चीज आ रही है | और हम नई से नई चीज खरीदते-खरीदते इतने आदि हो चुके हैं कि हमें चीज और रिश्ते में फर्क ही महसूस नहीं हो रहा है |
प्रेम में धोखा हो नहीं रहा है | धोखा मिल रहा है क्योंकि हम प्रेम या प्रेमी/प्रेमिका को बिना जाने प्रेम कर रहे हैं | हम आकर्षण और प्रेम में फर्क नहीं कर पा रहे हैं | प्रेम में प्रेमी या प्रेमिका को खुश करने की सोच होनी चाहिए न कि अपने को खुश करने की सोच होनी चाहिए | प्रेम आपने किया है फिर आप उस प्रेम को दूसरे पर क्यों थोप रहे हो | दूसरे को अपने प्रेम में क्यों कैद करने की कोशिश कर रहे हैं | प्रेम है तो प्रेमी या प्रेमिका खींचे चले आएंगे | आप खींचने की कोशिश करोगे तो रिश्ते की नाजुक डोर सदा के लिए टूट जायेगी | और अगर प्रेमी या प्रेमिका नहीं आ रहे हैं तो आप अपने कर्म फल को कैसे बदल सकते हो | जो लिखा है वही होगा | ये कोई एग्जाम या चीज नहीं है जो आपकी मेहनत से बदल सकती है | इसमें बदलाव अगर आ सकता है तो सिर्फ आपके प्रेम में कशिश पैदा होने से ही हो सकता है | प्रेम अंदरूनी या आत्मिक शक्ति है और उसमें कशिश तभी पैदा हो सकती है जब आपकी सोच पॉजिटिव हो |
हमारे देश ने आजादी को पाने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा ये तो आप सब जानते ही हैं | हजारो लोगों ने इस आजादी के लिए मौत को गले लगाया | जैसे शहीद भगतसिंह हँसते हुए फांसी चढ़ गये | उन्होंने ये कुर्बानी हमारे लिए दी ताकि हम आजाद हिंदुस्तान में साँस ले सकें | उन्हें अपने देश, अपनी मातृभूमि और आजादी से प्रेम था जिसके लिए वह अपनी जान देने से भी नहीं चूके | ऐसा होता है प्रेम | प्रेम में दिया जाता है बदले में कुछ मिले या न मिले | प्रेम आजाद माहौल में ही फलता-फूलता है | कैद में तो कैदी होता है, प्रेमी नहीं | जैसे आप पक्षी या जानवर पालें तो वह कुछ दिन बाद आपकी बात समझने लगता है | आप जो कहेंगे वह करने लगता है | तोते की तरह आपकी कही बात आपको सुना सकता है | लेकिन वह एक कैदी है | पंख होने के बावजूद उड़ नहीं सकता | आप सोचते हैं वह खुश है लेकिन एक बार उसे रिहा करके देखिये | आपको खुद ही समझ आ जाएगा | वह अगर आपको प्रेम करता होगा तो उड़ने के बाद भी वापिस आ जाएगा |
अतः आप अपने प्रेमी को प्रेम में कैद करने की कोशिश मत करें | दूसरे की भी सोच है | उसका भी दिमाग है | उसकी भी आत्मा है | उसे भी आजादी चाहिए | अपने प्रेमी को प्रेम के जाल में कैद करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला है | वह आजादी के लिए छटपटायेगा और फिर जिस दिन भी उसे मौका मिलेगा वह भाग निकलेगा | और ऐसी कैद आज हर रिश्ते में है | हम जेलर की तरह व्यवहार कर रहे हैं | हम सर्कस के रिंगमास्टर की तरह कोड़े बरसा रहे हैं | और कैद प्रेमी न चाहते हुए भी वह सब कर रहा है जैसा आप हुक्म दे रहे हैं | ऐसा प्रेम, प्रेम नहीं है |
प्रेम, भक्ति है और भक्ति में बहुत शक्ति होती है | इस भक्ति की शक्ति में जब ईश्वर खिंचा चला आता है तो इंसान की क्या ऊकात है | वह हर हाल में खिंचा चला आएगा | अपने प्रेम और भक्ति में शक्ति जागाओ | प्रेम हो या भक्त हो जब उसमें शक्ति का स्रोत फूटता है तो वह सब ओर प्रेम ही प्रेम देखता है और उसमें उसे अपना प्रेमी भी खड़ा दिख जाता है | आज इस संसार में हमें ऐसे प्रेमीयों की बहुत जरूरत है | हमारी आज की भटकन सिर्फ प्रेम न होने के कारण ही है | आज फैली सब बीमारियों की जड़ प्रेम का न होना ही है |
आज पूरे विश्व में फैली महामारी में एक बात सामने आ रही है कि इस बिमारी का हल आपकी अपनी शरीरिक शक्ति यानि immune system पर निर्भर है | हमारी योग पद्धति कब से इस बात को समझाती आ रही है कि योग द्वारा शरीरिक क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत आसानी से बढ़ाया जा सकता है | लेकिन हम तो जिम और proteins के चक्कर में फंसे हुए थे | अपने शरीर को बाहर से अच्छा दिखाने में लगे थे | लेकिन प्रकृति ने हमें वापिस उस ओर मोड़ दिया है जहाँ से हम पहले चले थे यानी योग की ओर | दोस्तों ऐसे ही आध्यात्म भी सदियों से कहता आ रहा है कि सुख और शन्ति के लिए प्रेम में डूब जाओ | प्रेम का स्रोत आपके अंदर है बस आपको वहाँ तक पहुँच कर उसे जगाना है | उसके जागते ही स्ट्रेस, परेशानी, दुःख का नाश हो जाएगा | आपको पॉजिटिव होने की जरूरत ही नहीं है क्योंकि प्रेम का स्रोत फूटते ही आप खुद-ब-खुद पॉजिटिव हो जाओगे |