व्यक्तित्व विकास

Personality development यानि व्यक्तितव विकास के लिए आजकल बहुत कुछ किया जा रहा है या हो रहा है | क्योंकि हर व्यक्ति इस चर्म पर पहुँची प्रतिस्पर्धा में सबसे पहले सफलता पाना चाहता है | लोगों की इसी अंधी दौड़ को देखते हुए बहुत से motivational speaker, writer इस मैदान में उतर आये हैं | अब तो इस दौड़ में कथावाचक, आध्यात्मिक ज्ञान और यहाँ तक की शारीरिक व्यायाम सिखाने वाले भी कूद चुके हैं |

हमारी सोच में कुछ दशकों से एक कमी आई है | अब हम भारतीय, व्यक्ति विशेष के गुण-अवगुण या ज्ञान को न देख केवल भीड़ को देखने लगे हैं | वह भी यह सोच कर कि अगर इतनी भीड़ लगी है तो जरूर पकवान अच्छा होगा | यह इसलिए हो रहा है क्योंकि आज हम सब कहीं न कही अपना आत्मविश्वास खो चुके हैं या फिर अपने आप को न देख दूसरे को देखने लगे हैं और इसी वजह से दूसरों को लाइन में लगा देख हम भी लग जाते हैं |

जैसा हम पहले भी कह चुके हैं कि सफलता के लिए व्यक्तित्व का चहुमुखी विकास होना बहुत जरूरी है | लेकिन बाजार में बैठे दुकानदार ज्यादात्तर बाहरी विकास पर ही जोर देते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि बाहरी लीपा-पोती जल्दी सम्भव है | ऐसे बाहरी व्यक्तित्व विकास को पाने वाले भी कम मेहनत करना चाहते हैं और देने वाले तो बैठे ही भ्रम फैलाने के लिए हैं |

दोस्तों, बाहरी व्यक्तित्व विकास ज्यादा देर चलने वाला नहीं है और ऐसा विकास कामयाबी का वह शिखर नहीं छू सकता जिसके लिए आपने यह यात्रा शुरू की थी | क्योंकि जब तक अंदरूनी बदलाव नहीं आएगा तब तक बाहरी बदलाव से कुछ ख़ास हासिल नहीं होने वाला | कुछ ही समय बाद आप पर वह सब फिर से हावी हो जाएगा या आप फिर से वापिस वैसे ही हो जायेंगे जैसे आप पहले थे लेकिन इस बार यह बदलाव अपने साथ कई तरह की negativity ले कर आएगा और वह negativity आपको न अब जैसा रहने देगी और न पहले जैसा |

इच्छाशक्ति और एकाग्रता से आप जीवन में सब कुछ पा सकते हैं | यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है बल्कि सच में सच है |

इच्छाशक्ति हर किसी में होती है लेकिन असफलता, वक्त और गलत सलाह पर किया कर्म, इसे दीमक की तरह चाट खोखला कर देता है |

एक परिवार हरिद्वार गंगा-स्नान के लिए गया | सुबह भीड़ कम होती है अतः शान्ति और सकून से गंगा स्नान कर पायेंगे यही सोच पति-पत्नी व उनका चार साल का छोटा बेटा सुबह-सुबह ही स्नान के लिए घाट पर पहुँच गये | पति ने कहा कि मैं यहाँ बच्चे के साथ बैठता हूँ तब तक तुम स्नान कर लो | जब तुम आ जाओगी मैं तभी स्नान करने जाऊँगा | पत्नी का अकेले जाने का दिल तो नहीं था लेकिन वह मन मसोस कर चुपचाप चली गई | पति बच्चे को अपने साथ ही बेग पर बिठा कर इधर-उधर का नजारा देखने लगा | उसे पता ही नहीं चला कि कब बच्चा उसके पास से उठकर माँ के पीछे-पीछे चल दिया है | उधर पत्नी बेखबर गंगा जी में डुबकी लगाने के लिए नदी में उतर जाती है | बच्चा पानी देख ठिठक कर रुक जाता है लेकिन अपने दादा के साथ आता एक बच्चा उसे जान-बुझ कर धक्का मार देता है | वह कुछ सोच-समझ पाता इससे पहले ही वह फिसल कर नदी में गिर जाता है | पानी की धारा बहुत तेज तो नहीं थी लेकिन फिर भी छोटे बच्चे के लिए काफी थी | बच्चे को पानी में बहता देख चारों ओर शोर मच जाता है | शोर सुन दोनों पति-पत्नी का ध्यान बहते हुए बच्चे पर पड़ता है | माँ, अपने बच्चे को पानी में बहता देख बिना कुछ सोचे-समझे नदी की मुख्य धारा की ओर तेजी से तैरने लगती है | वह एक कुशल तैराक की तरह तैरते हुए अपने बच्चे के पास पहुँच उसे अपनी पीठ पर रख वापिस किनारे की ओर बढ़ जाती है | आस-पास खड़े लोग उस औरत की हिम्मत देख हैरान थे | वह किनारे पर पहुँच बच्चे को पीठ से उतार कर उसे ठीक-ठाक देख वहीं बेहोश हो गिर जाती है |

आपने बहुत बार ऐसा होते हुए देखा या सुना होगा और ऐसा अपनी औलाद या परिवार के लिए लोग अक्सर कर जाते हैं | आप इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि अपनी जान जोखिम में डाल कर कुछ ऐसा कर जाना जो वह भी नहीं जानता कि वह कर सकता है |

इस घटना में सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि उस माँ को तैरना नहीं आता था एवं उसे साँस की बिमारी थी लेकिन उस समय उसकी इच्छाशक्ति इतनी बलवान थी कि वह अपने बहते हुए बच्चे को हर हालत में बचाने के इलावा न और कुछ देख पाई और न ही सोच पाई  और इसी के फलस्वरूप वह, वह कर गई जो वह अपनी आम जिन्दगी में सोच भी नहीं सकती थी | यही इच्छाशक्ति का कमाल है और हम इसी कमाल की बात कर रहे हैं |

आपने बहुत लोगों को इस इच्छाशक्ति के बल पर बहुत से असम्भव काम करते देखा या सुना होगा | यह कमाल आप भी कर सकते हैं | इच्छाशक्ति बलवान होने पर आप की नजर सिर्फ और सिर्फ अपने लक्ष्य पर होती है और उस समय आपको न कुछ और दिखता है और न ही कुछ और सूझता है | आपके शरीर की सारी उर्जा इकठ्ठी हो उसी दिशा में बहने लगती है जिस दिशा में आपकी इच्छाशक्ति उसे बहने का आदेश देती है | उस समय आपके कान, आँख, दिल और दिमाग सब बंद हो जाते हैं | उस समय आप वह कर जाते हैं जो आपकी इच्छाशक्ति चाहती है, चाहे बाद में परिणाम कुछ भी हो | किसी घटना या दुर्घटना के समय ऐसा अक्सर हो जाता है लेकिन रोजमर्रा की जिन्दगी में भी आप ऐसा करें हम आपको बिलकुल भी नहीं कह रहे हैं | क्योंकि रोजमर्रा की जिन्दगी में ऐसा करने का मतलब है कि आप अपनी उर्जा छोटी-छोटी बातों या कार्य में लगा कर बेकार कर रहे हैं | जब आपके अंदर एकाग्रता होगी तो सब कार्य स्वयमेव ही ठीक हो जायेंगे और आपको पूरी उर्जा लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी | हाँ, यदि आपकी इच्छा शक्ति कम हो चुकी है या आपके उत्साह में कमी आई है या आप negativity की ओर मुड़ चुके हैं तो फिर आपको रोजमर्रा की जिन्दगी से जुडी छोटी-छोटी बातों या कार्य से ही शुरुआत करनी होगी |

दोस्तों, आप हमारे कर्म-योग से सम्बन्धित लेख/विडियो अवश्य देखें जिस में हम विस्तार से इस ब्रह्माण्ड और मानव शरीर के बारे में बता रहे हैं | दोस्तों, आज के विज्ञान के अनुसार हमारा शरीर 99.9 प्रतिशत परमाणु से बना है और यदि मानवीय शरीर में परमाणु विस्फोट किया जाये तो वह विस्फोट इंसान के द्वारा बनाए गए आजतक के सबसे बड़े परमाणु बम से भी दस गुणा बड़ा और घातक होगा | अतः आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारे शरीर में कितनी उर्जा होती है जिसे हम पूरे जीवन में सिर्फ और सिर्फ बर्बाद करने में ही लगाते हैं |

एक बार फिर हम आप से आग्रह करना चाहेंगे कि अपने अंदर छुपी ताकत और उर्जा को पहचानिये | इस ईश्वरीय ताकत को अपने जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयोग करें और अपने जीवन की हर वह ख़ुशी को हासिल करें जो आप चाहते या सोचते हैं |

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