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प्रेम प्यार और सम्बन्ध -5

दोस्तों, जब प्रेम का प्रवाह जब रुक जाता है तब क्या होता है ?

यह प्रश्न असल में गलत है कि प्रेम का प्रवाह जब रुक जाता है तब क्या होता है | क्योंकि यदि प्रेम असल में प्रेम है तो उसका प्रवाह कभी नहीं रुक सकता | प्रेमी भी रोकना चाहे तो भी नहीं और ईश्वर भी चाहे तो भी नहीं रुक सकता है | आप सोचेंगे कि फिर हमने यह गलत प्रश्न उठाया ही क्यों ? नहीं दोस्तों यह प्रश्न गलत हो कर भी गलत नहीं है | क्योंकि यह प्रश्न उस प्रेम का है जिसे हम जानते हैं |

असल में हम प्रेम को जानते ही नहीं हैं | हम तो प्यार को जानते हैं | वह प्यार जिसके बदले में हमें प्यार चाहिए | ऐसे प्यार का प्रेमी जितना प्यार करता है उसे उतना ही प्यार चाहिए | यहाँ प्रेमी प्यार का सौदा कर रहा है | जैसे एक व्यापारी एक चीज देता है तो उसके बदले चीज लेता है या फिर बदले में पैसा लेता है | ऐसे ही आज का प्रेमी भी कर रहा है | और अगर ऐसे प्रेमी को उतना प्रेम नहीं मिलता है तो वह कुछ भी यानि कुछ भी करने पर उतारू हो जाता है | अपने ही प्रेमी का फिर चाहे म… करना पड़े या फिर उस पर…. लिखने में भी शर्म आती है |

दोस्तों, हम ईश्वरीय प्रेम को कहाँ ले आए हैं | सोच कर भी कोफ़्त होती है | ऐसे व्यापारी प्रेम करने वाले कितना भी पूजास्थल चले जाएँ | ध्यान या फिर योग कर लें | कुछ हासिल नहीं होने वाला है | क्योंकि शान्ति और ईश्वर केवल और केवल प्रेम मार्ग पर चल कर ही मिल सकता है | और आप देख भी रहे हो कि इतनी भक्ति हो रही है | हर गली-नुक्कड़ पर एक पूजास्थल है फिर भी हर गली-नुक्कड़ पर आपको राम की बजाय रावण दिख जाएगा | हमने पूजा को भी व्यापार बना दिया है | पूजास्थल के बाहर बैठे भिखारी को दस बातें सुनाते हैं और फिर अंदर जा कर खुद ईश्वर से भीख मांगते हैं | जब तुमने भीख नहीं दी तो फिर ईश्वर तुम्हें कैसे देगा | जब भीख नहीं मिलती है तो हम ईश्वर से सौदा करते हैं | अगर मेरी मनोकामना पूरी होगी तो मैं एक महिना यहाँ आऊंगा या सौ रूपए का प्रशाद चढ़ाउंगा | कभी सोचा है कि आप उस ईश्वर को कह रहे हो जिस ने इस सृष्टि की रचना की है |

ऐसे प्रेम का प्रवाह जब रुक जाता है तब वह एक ऐसी राह पकड़ लेता है जहाँ से वापिसी मुश्किल हो जाती है | क्योंकि प्रवाह जब रुकेगा तब कुछ न कुछ अवश्य होगा | ऐसे में हमारे शरीर से स्ट्रेस होरमोन का स्त्राव सीमित मात्रा से कहीं ज्यादा होना शुरू हो जाता है | जो कई मुश्किलों को जन्म देता है | जब यह लगातार चलता रहता है तो फिर हमें कई तरह की बीमारियाँ पकड़ने लगती हैं | इसमें कोई शक नहीं कि इन बीमारियों के कई और कारण भी होते हैं लेकिन मुख्य कारण यही होता है | depression, disorder in autoimmune system, anxiety, stess, inferiority complex आदि शरीरिक और दिमागी मुश्किलें शुरू होती हैं जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देती हैं |

दोस्तों, डॉक्टर से सलाह लेकर, दवाई का सेवन कर, पूजा-पाठ, ध्यान और रोजमर्रा की जिन्दगी में बदलाव कर बीमारियों को काफी हद तक कम कर सकते हैं लेकिन पूर्णतः समाप्त करने के लिए इन सबके साथ अपनी सोच को भी बदलना होगा | प्रेम कहीं बाहर से नहीं लाना है वह सबके अंतर्मन में सदा से है और सदा रहेगा | बस आपको उसके स्त्रोत तक पहुँचना है | प्रेम के लिए सबसे पहले अपने आप से शुरू करो | आपको सब छोड़ कर जा सकते हैं लेकिन आपका ये शरीर मरते दम तक आपके साथ रहने वाला है | सब मिल सकता है और खो सकता है | लेकिन ये शरीर जो कुछ भी खो देगा उसका फिर मिलना इस जन्म में नमुमकिन है | पैसा, अहम, परिवार, समाज तभी तक है जब तक आप और आपका शरीर है | आप स्वस्थ हैं तो सब आपके साथ हैं और आपके हैं | अतः अपने शरीर से प्रेम करना सीखो | अपने लिए समय निकालो | स्वस्थ शरीर में ही सकारात्मक सोच पनपती है | सकारात्मक सोच से आपके अंदर प्रेम की भावना पैदा होती है जिसे आपने अंतर्मन तक पहुँचाना है | जहाँ यह भावना भाव रूप में प्रगट होगी | प्रेम भाव और भक्ति भाव में कुछ ख़ास फर्क नहीं है | यह भाव सब कुछ बदल देगा |

दोस्तों, जब आप अपने शरीर से प्रेम करने लगेंगे तो स्वयमेव ही आपको दूसरों से भी प्यार होने लगेगा | अपने शरीर के बारे में सोचोगे तो आपको दूसरों के शरीर की सोच भी आएगी | आपको समझ में आएगा कि आपका शरीर जब कोई नया काम और सोच को अपनाने में समय लेता है या अपनाता ही नहीं है तब कोई दूसरा क्यों आपकी सोच या काम के अनुसार चलेगा | इस सोच का परिवर्तन आपको स्वयम ही परिवर्तित कर देगा | प्रेम आपके अंदर है | आपको बस उसे जगाना है | ऐसे ही ख़ुशी आपके अंदर है बस उसे जगाना है | जब प्रेम जागेगा तो ख़ुशी स्वयम ही जाग जाएगी | तब आपको समझ में आएगा कि सब आपके अंदर पहले से था और आपने बेमतलब में ही दूसरों में खोज कर अपना समय खराब किया है | जब जागो तब सवेरा | जैसे बीज में एक पेड़ छुपा होता है उसी प्रकार आप में प्रेम का बीज छुपा है | बस जगाने की जरूरत है | जैसे बीज से बना पेड़ हजारों फल और बीज पैदा कर लेता है वैसे ही आप भी अपने प्रेम से हजारों को प्रेम का संदेश दे सकते हो | उन्हें भी प्रोत्साहित कर सकते हो |

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