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निजी जानकारी 

दोस्तों, करोना बिमारी ने बहुत-सी ऐसी बातों पर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है जो बहुत जरूरी थीं लेकिन हमारा ध्यान कभी उस ओर गया ही नहीं या फिर हम लोगों ने जानबूझकर कर ध्यान नहीं दिया |

वह बातें जो हमें अपने परिवार के साथ साझा करनी चाहिए थीं | उन में कुछ बातें जो सबसे अहम थीं या हैं कि हमें अपने बैंक खाते तथा लॉकर, जमीन-जयदाद, बचत, हमने किसे क्या उधार दे रखा है या किस से क्या उधार ले रखा है आदि, आदि | लेकिन हमारे समाज में शुरू से यह चलन रहा है कि घर का मुखिया या ग्रहणी अपनी बचत हर किसी से छुपा कर रखते हैं | और ऐसे परिवार बहुत ही कम होंगे जिन में यह चलन नहीं होगा |

अचानक आई इस महामारी ने बहुत से पीड़ित परिवारों को इस चलन के चलते हुए मुसीबत में डाल दिया है | ऐसे परिवारों के सदस्य अपने मुखिया या गृहणी को तो खो ही चुके हैं लेकिन उनके इलाज पर आये बड़े खर्चे के कारण कर्ज में भी डूब गये हैं | और इससे भी बड़ा दुःख इस बात का है कि मुखिया ने कोई बचत की थी कि नहीं और यदि की थी तो कहाँ रखी हुई है उन्हें नहीं पता | पीड़ित परिवार के पास यह अधूरी जानकारी तो है कि उन्होंने कहीं कोई जमीन या किसी बैंक में या किसी जानकार के पास कुछ जमा-पूंजी रखी हुई थी लेकिन कहाँ और किस के पास ये उन्हें कोई पक्की जानकारी नहीं है | उन्होंने किसे उधार दे रखा था उन्हें नहीं पता और जिसे दे रखा था वह आज चुप है | जिस से ले रखा था वह रोज तकाजा करने पहुँच जाते हैं |

दोस्तों, ये बेवजह का चलन काफी समय से चला आ रहा है | बहुत से लोग पहले भी इस कारण परेशान होते ही रहे हैं | जैसे किसी परिवार के सदस्य या मुखिया या बच्चे की अचानक दुर्घटना में मृत्यु होने पर उस पीड़ित परिवार को सदस्य के खोने के दुःख के साथ ही साथ और भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है |

बहुत परिवारों में ऐसा भी चलन है कि बेटा या बेटी कहाँ किस के साथ घूमने जा रहा है | उनके इलावा किसी को नहीं पता होता | परिवार के सदस्यों के पास उसके ज्यादात्तर दोस्तों का पता-ठिकाना या फ़ोन नंबर नहीं होता | यदि उनके साथ कोई धोखा हो जाए या फिर अचानक दुर्घटना हो जाए तो माता-पिता दर-दर की ठोकरें खाते फिरते हैं |

ऐसे पीड़ित परिवार के अन्य सदस्य या यार-दोस्त या रिश्तेदार ही इस घटना से सबक ले अपनी जिन्दगी में यदा-कदा परिवर्तन कर लेते थे | लेकिन अचानक आई से इस महामारी ने जब विकराल रूप लिया और सैकड़ो परवारों पर यह आपदा आई तो लोगों की आँखें खुलीं कि यह चलन गलत है | लेकिन महामारी की विकरालता जैसे-जैसे कम हो रही है | हर इंसान फिर से यही सोचने लगा है कि मेरे साथ थोड़े ही होगा | मैं क्यों करूँ | आप लोग खुद ही अपने गिरेबान में झाँक कर देखिये | क्या आप कर रहे हैं | सौ में अस्सी प्रतिशत आज भी सबक नहीं ले रहे हैं |

दोस्तों, मेरी निजी राय में घर का मुखिया जोकि परिवार का लालन-पालन करता है वह हमेशा अपने परिवार के बारे में अच्छा ही सोचता है | वह कई कारणों से अपनी तनख्वाह और बचत का हिसाब-किताब अपनी पत्नी या बच्चों को नहीं बताता | मैं कारणों में नहीं जाना चाहता हूँ | यह मेरा निजी सुझाव है कि घर में जो कोई भी कमाता है वह चाहे घर का मुखिया हो या गृहणी हो या फिर बच्चे हो, उन्हें एक जगह हिसाब-किताब जरूर लिखना चाहिए | वह कहाँ लिख कर रख रहे हैं उन्हें घर के बाकि सदस्यों या किसी एक सदस्य को अवश्य बता देना चाहिए | ताकि वक्त-मुसीबत में उसे देखा जा सके | इसी के साथ मैं घर के अन्य सदस्यों को भी कहना चाहूँगा कि वह बेवजह या बिना वक्त-मुसीबत के छानबीन न करें ताकि बताने वाले सदस्य का कॉन्फिडेंस बना रहे |

मैं घर के बच्चों को भी सुझाव देना चाहूँगा कि वह अपने नजदीकी दोस्तों के घर के एड्रेस और फ़ोन नंबर अवश्य घर के किसी न किसी सदस्य को अवश्य बताएं या फिर कहीं जरूर लिख कर रख दें और उन्होंने कहाँ लिखा है वह घर के किसी अन्य सदस्य को अवश्य बतायें |

पिछले कुछ समय से आपने ऐसी कई घटनाओं को न्यूज़ चैनल पर देखा होगा कि ख़ास दोस्त ही दुश्मन बन बैठा या फिर कोई दोस्त बना ही इसलिए था कि वह उसे अगवा कर बाप से पैसे ऐंठ सके | दोस्त अच्छे ही होते हैं इसमें भी कोई शक की बात नहीं लेकिन आजकल के वक्त की नजाकत को समझते हुए ऐसा कदम उठाना भी जरूरी है | आपने ट्रैफिक पुलिस का एक स्लोग्न तो अवश्य ही पढ़ा होगा ‘नजर हटी और दुर्घटना घटी’ |

इसके इलावा मैं बच्चों को एक और सुझाव देना चाहूँगा कि वह कहीं अनजानी जगह जाते हुए या फिर शहर से बाहर जाते हुए कोई न कोई मैसेज अपने किसी दोस्त या माँ या बाप को अवश्य कर दें | हर किसी का वक्त अच्छा ही रहना चाहिए लेकिन बुरे का इंतजाम भी अवश्य करके रखना चाहिए | यह सब हमें करोना-काल और आज की होती हुई घटनाओं ने ही सिखाया है कि हमेशा सतर्क रहें | कभी भी किसी के साथ कुछ भी हो सकता है |

मैं माता-पिता को भी एक सुझाव देना चाहूँगा कि वह घर में ऐसा माहौल बना कर रखें कि यदि बच्चा कोई बात बता रहा है और वह बात आपको यदि गलत लग रही है तो उसे समझायें तो अवश्य लेकिन टोका-टोकी ज्यादा न करें और साथ ही यदि बच्चा यह बता रहा है कि उसने फलानी जगह अपने सब दोस्तों की इनफार्मेशन रखी हुई है तो कृपया उसकी इस हिम्मत की दाद दें और वह तब तक न देखें जब तक कि कोई मुसीबत न आ जाए |

मैं यह सब इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैं ऐसे कई बच्चों से मिला हूँ जिनकी यह शिकायत थी कि माता-पिता ने उन के द्वारा दी इनफार्मेशन का नजायज फायदा उठाते हुए हर पल निगाह रखनी शुरू कर दी और उसके दोस्तों को हर कुछ समय बाद फोन कर परेशान कर दिया | मैं भारतीय माँ-बाप को और उनकी आदतों से भलीभांति परिचित हूँ क्योंकि मैं भी पिता हूँ |

दोस्तों, कृप्या मेरी कही बातों पर अवश्य ध्यान दीजियेगा | यदि आपका मन बन जाता है कि आपको अपने या परिवार से सम्बन्धित जानकारियाँ परिवार को बतानी चाहियें या कहीं संजो कर रखनी चाहियें तो आप कृपया दूसरा भाग अवश्य पढ़ियेगा | दूसरे भाग में मैं आपको यह बताऊंगा कि कौन-कौन सी जानकारी आपको एक ही जगह रखनी हैं और यदि आप परिवार को नहीं बताना चाहते हैं तो आप ऐसी जानकारी कहाँ और कैसे रख सकते हैं | यह जानकारियाँ न सिर्फ आपके परिवार के काम आयेंगी बल्कि किसी वक्त मुसीबत में आपके काम भी आ सकती हैं | आपका दोस्त अनिल सेंगर मैं अभी के लिए आप से विदा लेता हूँ और नई जानकारी ले जल्द ही आपकी खिदमत में हाजिर होता हूँ | धन्यवाद |

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