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आइये कुछ नया करें….

दोस्तों, काफ़ी समय से मन में विचार आ रहा था कि कुछ ऐसा किया जाए जिस से समय का सदुपयोग भी हो जाए और समाज में उन लोगों का साथ भी मिल जाए जो अपने आप को गाय-बगाय अकेला महसूस करते हैं |

उम्र के साथ हर व्यक्ति के जीवन में बदलाव आते हैं | कुछ उस बदलाव को सहन कर पाते हैं तो कुछ नहीं कर पाते हैं | जीवन एक बहती नदी के समान है | जैसे नदी जब तक अपने आख़िरी पड़ाव यानि समुंद्र में नहीं मिल जाती है तब तक वह अठखेलियाँ करती हुई आगे ही आगे बढ़ती चली जाती है |

दोस्तों, हमारा जीवन भी ऐसा ही है | जब तक हम आगे की ओर बढ़ते रहते हैं यानि अपने शरीर और सोच को शक्ति प्रदान करते रहते हैं तो हमारा जीवन, सोच और शरीर, नदी के जल की तरह निर्मल और जीवनदाई रहता है | यदि हम रुक गये तो हमारा हाल तालाब की तरह हो जाता है | तालाब का जल एक समय अवश्य स्वच्छ और निर्मल होता है लेकिन वक्त बीतने के साथ वह जल (सोच और कर्म) चाहते न चाहते हुए भी गंदला और बदबूदार होता चला जाता है |

दोस्तों, आप माने या न माने हमारा पूरा जीवन हमारी सोच पर निर्भर करता है | जैसी सोच होगी वैसा हमारा बर्ताव और कार्यप्रणाली होगी | तालाब के जल की तरह यदि हमारी सोच रुक गई तो नकारात्मक सोच और द्वेष की भावना चाहते न चाहते हुए अपने आप ही सर उठाने लगती है |

अतः हमारा जीवन तालाब के जल की तरह बदबूदार न हो जाये | हम एक बार फिर से चलना शुरू करते हैं | माना की आज हमें मंजिल का नहीं पता | लेकिन एक न एक दिन कोहरा छटेगा और मंजिल खुद-ब-खुद साफ़ दिखने लगेगी | जरूरी सिर्फ एक ही बात है कि हमें चलते ही रहना है | हमें नदी के जल की तरह बिना रुके बहते ही रहना है | यह जरूरी नहीं है कि हम उम्र के किस पड़ाव पर हैं | जरूरी सिर्फ इतना है कि जब तक जीवन है तब तक उम्र को नहीं देखना है | देखना सिर्फ इतना है कि अभी हम समुंद तक नहीं पहुँचे हैं |

दोस्तों, पिछले लगभग डेढ़ साल से चली आ रही यह महामारी अभी भी हमारे बीच है और इस महामारी के चलते हम में से बहुत लोगों ने अपनो को खो दिया है | इस महामारी ने उम्र या सम्बन्ध किसी को नहीं देखा | बस जो भी सामने आया उसे निर्देयी तरीके से निगलती ही चली गई | बहुत से परिवार सूने हो गये हैं | बहुत लोगों ने अपने जीवन साथी को खो दिया है | आज उन्हें अकेलापन काटने को दौड़ता है | बहुत लोगों ने अपने जीवन साथी या परिवार वालों को अपनी कमाई या बचत के बारे में कभी कुछ नहीं बताया था | और अचानक आई इस महामारी ने जब उन्हें निगल लिया तो उनके पीछे रहने वाले आज दर-दर की ठोकरें खाते फिर रहे हैं | उन्हें कुछ नहीं पता लग पा रहा है कि उनके अपने ने कहाँ क्या रखा हुआ था | किस को क्या दिया था और किस से क्या लिया था | देने वाले गायब हो गये और लेने वाले तकाजे कर रहे हैं |

दोस्तों, हम एक-सी सोच रखने वाले दोस्तों का एक ग्रुप है जो गाय-बगाय जरूरतमंद लोगों की शरीरिक या मानसिक सहायता करते ही रहते हैं | लेकिन अचानक आई इस महामारी ने हमें कुछ ऐसा करने की ओर प्रेरित किया जिस से इस तरह के हालात हम सब की जिन्दगी में दुबारा न आयें | क्योंकि हमारा मानना है कि दूसरी लहर में जिस तरह के हालात हमारे देश के हुए वह शायद इतने बुरे न होते यदि हम समय पर जाग जाते या फिर हम जागरूक होते | हम ने यह website या facebook group या youtube channel जागरूकता फैलाने और हमारे समाज में फैली दकियानूसी या कुरीतियों से अवगत कराने और उन से निजात पाने के लिए ही किया है | इसमें कोई शक नहीं या सब उन लोगों की मदद के लिए किया जा रहा है जो पचास साल से ऊपर हैं लेकिन इस में दी गई जानकारी किसी भी उम्र के लोगों के काम आ सकती है | इस वेबसाइट में हम आपके साथ वह सब जानकारियाँ साझा करेंगे जिन को आपने जानते हुए भी जानने की कोशिश नहीं की होगी |

दोस्तों, विषय बहुत हैं और हमारी कोशिश रहेगी कि आपको लगभग हर विषय पर जरूरी जानकारी दें | यदि आपके पास कोई विषय है जिसे आप जरूरी समझते हैं तो हमें अवश्य बतायें |

दोस्तों, हर काम की शुरुआत किसी एक व्यक्ति से होती है और यदि काम अच्छा और सकारात्मक हो तो समाज तो क्या ईश्वर भी साथ आ जाता है | अतः यह शुरुआत अभी मैं अकेले ही कर रहा हूँ और बाकि लोग अभी पर्दे के पीछे से मदद कर रहे हैं लेकिन निकट भविष्य में सब आपके सामने आयेंगे और हम सब मिलकर एक ऊँचे स्तर पर एक दूसरे की सहायता करेंगे |

एक और जरूरी बात | आप instagram पर हमारे account : navaarmbha या youtube channel : navaarmbha को subscribe कर यही सब विडियो के द्वारा भी देख और सुन सकते हैं |

यदि आप कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं या हम से जुड़ना चाहते हैं या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो हमारे facebook group navaarmbha से as a member or moderator जुड़े | लिंक हमारे contact us page पर उपलब्ध हैं |

दोस्तों हमारे Home Page पर जो कविता लिखी है उसे एक बार फिर से पढ़ते हैं और आगे की ओर कदम बढ़ाते हैं …..

जवानी बीत गई तो क्या
फिर से जवान बन कर देखते हैं

सब अपने साथ छोड़ गये तो क्या
परायों को अपना बना कर देखते हैं

बीती यादें परेशान करती हैं तो क्या
सब भूलने की कोशिश कर के देखते हैं

अब तक अपनों के लिए जीते थे तो क्या
अब अपने लिए जी कर के देखते हैं

गमों के बोझ ने झुका दिया तो क्या
सीधा खड़े होने की कोशिश कर के देखते हैं

आओ एक बार फिर से नई शुरुआत करते हैं
जहाँ से छोड़ा था वहीं से आगे बढ़ते हैं…..

आपका दोस्त अनिल सेंगर अब मैं आप से अभी के लिए विदा लेता हूँ | जल्द ही एक नई पोस्ट के साथ फिर आपकी खिदमत में हाजिर होता हूँ | धन्यवाद |

1 thought on “आइये कुछ नया करें….”

  1. नवारम्भ बहुत ही बेहतरीन शुरुआत, सर। मेरी ओर से समस्त शुभकामनाओं सहित, साधुवाद और भविष्य के लिए अनेकों अनेक शुभेच्छाएं।

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